बुधवार, 21 दिसंबर 2016

नौकरशाह नहीं लोकसेवक पी नरहरि

इंदौर, भोपाल । उपनिवेशीय युग में नौकरशाहों को प्राय: निरंकुश शासन के लिए इस्तेमाल किया जाता था। वे कर वसूली करने वाले और सरकार के आदेशों को लागू कराने वाले के रूप में जाने जाते थे। दुर्भाग्य से आज भी जिला प्रशासकों यानी 'कलेक्टरÓ को इसी रूप में ही देखा जाता है। लेकिन कुछ नौकरशाह ऐसे हैं जिन्होंने अपनी कार्यप्रणाली से अपने को लोकसेवक के रूप में स्थापित किया है। अगर मप्र कैडर की बात करें तो यहां वर्तमान समय में पदस्थ 340 आईएएस अफसरों में से कुछ ऐसे हैं जिन्होंने न केवल अपनी प्रशासनिक क्षमता से विकास को गति दी है, बल्कि जनता के बीच भी लोकप्रिय हैं। इनमें प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर के कलेक्टर पी नरहरि एक हैं। 2001 बैच के आईएस अफसर पी. नरहरि का पूरा नाम परीकिपंडला नरहरि है। उनका जन्म 1 मार्च 1975 को करीमनगर (तेलंगाना) में हुआ। उन्होंने उस्मानिया यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली। इसके बाद अर्थशास्त्र में एमए किया। वे हू ओंस महू और द मेकिंग ऑफ लाड़ली लक्ष्मी योजना नामक दो पुस्तकें भी लिख चुके हैं। नरहरि ने कभी अपने को नौकरशाह के फ्रेम में नहीं रखा। वे हमेशा लोक जीवन के करीब नजर आते हैं। यही कारण है कि वे जहां भी पदस्थ होते हैं जनता के प्रिय बन जाते हैं। मई 2015 में मध्यप्रदेश के दिल कहे जाने वाले इंदौर शहर में पी. नरहरि ने जिलाधीश का पद संभालते ही संकेत दे दिया था कि वे जिले के विकास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। पी. नरहरि ने कहा था कि मैं जिलाधीश के रूप में सिवनी, सिंगरोली और ग्वालियर का अनुभव लेकर इंदौर आया हूं। मुझे यहां की कार्यशैली समझने में तीन माह का वक्त लगेगा। इसके बाद मेरे पास दो साल का वक्त रहेगा और वक्त ही बताएगा कि मैं शहरवासियों की कसौटी पर कितना खरा उतरता हूं। लोगों का भी इसमें संदेह नहीं है क्योंकि 2005 में इंदौर नगर निगम के आयुक्त रहते वे राष्ट्रीय स्तर पर इंदौर को पुरस्कार भी दिलवा चुके हैं। और अपनी इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कलेक्टर के तौर पर जिले में विकास की गंगा बहा रखी है। दिव्यांगजन सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार पी. नरहरि ने अपने अब तक के करीब डेढ़ साल के कार्यकाल में इंदौर में कई उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने जिले में दिव्यांगजन के लिए जो कार्य किया है उसके लिए अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनको सम्मानित किया। यह पुरस्कार उन्हें निर्बाधा अभियान के तहत दिव्यांगजन सशक्तिकरण कार्यक्रम चलाने के लिए दिया गया। कलेक्टर ने अभियान के तहत जिले में 2000 से अधिक भवनों में दिव्यांगों के आवागमन में विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराईं। साथ ही शासकीय और निजी भवनों में रैम्प, ब्रेल लिपि के साइन बोर्ड, टॉयलेट आदि भी बनवाए। इस कार्य में इंदौर जिला प्रदेश में प्रथम और देश में दूसरे स्थान पर रहा। दिव्यांगों को निजी क्षेत्र में रोजगार दिलाने में भी इंदौर प्रथम है। ग्वालियर कलेक्टर रहते हुए भी नरहरि को इस अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। आयोजन सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा किया गया। इससे पहले स्वच्छता अभियान के तहत श्रेष्ठ काम करने के लिए कलेक्टर पी. नरहरि को केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू और नरेंद्र तोमर सम्मानित कर चुके हैं। कलेक्टर को मुख्य रूप से इंदौर ग्रामीण को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रयास करने और लगातार कोशिश कर इसे हासिल करने के लिए सम्मानित किया गया। ऐसा करने वाला इंदौर देश में दूसरा जिला है। शिवराज के प्रिय अफसर भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में जिस अफसर को कलेक्टरी मिलती है उसे सरकार का प्रिय अफसर माना जाता है। क्योंकि प्रदेश के विकास का पैमाना इन्हीं जिलों के विकास से तय होता है। इन जिलों में इंदौर की कलेक्टरी सबसे चुनौती वाली होती है। नरहरि ने पदभार संभालते ही चुनौतियों को स्वीकार किया और सरकार ने विचार महाकुंभ, ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट सहित जो भी जिम्मेदारी दी उसे सफलता पूर्वक अमलीजामा पहुंचाया। आज अपनी कार्यप्रणाली से पी नरहरि मुख्यमंत्री के सबसे प्रिय अफसरों में गिने जा रहे हैं। भोपाल में पिछले महिने आयोजित कमिश्नर-कलेक्टर्स कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नरहरि के कार्यों की प्रशंसा करते हुए सभी जिला कलेक्टर व अधिकारियों को पी.नरहरि की तरह काम करने की सीख दी है। सीएम ने इंदौर संभाग में कलेक्टर द्वारा किए गए कार्यो को अन्य जिला कालेक्टरों के सामने एक माडल की तरह रखा है। साथ ही उन्होंने अफसरों को कहा है कि, अब उनके कार्यों का मूल्यांकन परफॉर्मेंस के आधार पर होगा। जोकि उनके गोपनीय चरित्रावली में दर्ज होगा। इससे पहले भोपाल में आयोजित राज्यस्तरीय स्वरोजगार मेले में मुख्यमंत्री ने कलेक्टर पी नरहरि को मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार और उद्यमी योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सम्मानित किया था। दरअसल, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार और उद्यमी योजना के सफल क्रियान्वयन में इंदौर ने सबसे ज्यादा हितग्राहियो को लाभ दिलाया है। सर्वाधिक सम्मानित नौकरशाह पी. नरहरि और सम्मान एक-दूसरे के पर्याय बने हुए है। नरहरि जिस भी जिले में रहे हैं वहां उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें सम्मान मिला है। ग्वालियर कलेक्टर रहते 2014 में उन्हें दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। इसके अलावा भी अनेक अवसरों पर उन्हें पुरस्कृत किया गया। 2012 में पी. नरहरी को दिल्ली तेलुगु अकादमी (डीटीए) द्वारा सिविल सेवा में उत्कृष्टता के लिए विशाला भारती गौरव सत्कार के साथ सम्मानित जा चुका है। इसके अलावा वे कई और अवसरों पर सम्मान पा चुके हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट्स का जनहित में इस्तेमाल प्रदेश में कुछ जिलाधिकारी आम आदमी के हितों के लिए बहुत ही संवेदनशीलता से काम कर रहे है। उनमें से एक है इंदौर जिला कलेक्टर पी नरहरि। वे लगातार जनता को जागरूक करते रहते हैं की सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल अच्छे कार्यों के लिए करें। नोटबंदी के बाद जिस तरह की अफरातफरी मची हुई है उसको देखते हुए नरहरि ने 14 नवंबर को पुराने नोट को बदलने और या उसके संबंध में किसी भी आपत्तिजनक अथवा उद्वेलित करने वाली फोटो, मैसेज पोस्ट करने की गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया है। दरअसल, शांति बनाए रखने के कारण ऐसा किया गया है। यही नहीं नोटबंदी के बाद कैशलेस सिस्टम को मजबूत करने और इसकी जानकारी लोगों को देने के लिए डिजिटल वैन इंदौर में चलवाई जा रही है। इस वैन में माइक्रो एटीएम भी है, जिससे कोई भी व्यक्ति कार्ड के जरिए दो हजार रुपए विड्राल कर सकेगा। साथ ही डिजिटिल बैंकिंग की पूरी जानकारी विशेषज्ञों द्वारा दी जा रही है। मोबाइल वॉलेट से कैसे भुगतान किया जा सकता है और किस तरह राशि ली जा सकती है। स्वाइप मशीन का उपयोग किस तरह हो सकता है, इसकी भी जानकारी दी जा रही है। उल्लेखनीय है कि ग्वालियर में कलेक्टरी के दौरान लोगों से बेहतर संवाद रखने और सुचना प्रोद्योगिकी का सफलता पूर्वक इस्तेमाल करने वाले पी नरहरि को सोशल नेटवर्किंग साइट्स के बेहतर इस्तेमाल के लिये इंटरनेट एण्ड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया तथा माइक्रोसॉफ्ट एडवरटाइजिंग इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से एक अवार्ड दिया था। उस समय सोशल नेटवर्किंग साइट 'फेसबुकÓ और 'ट्विटरÓ पर नरहरि से लगभग 17 हजार फॉलोअर जुड़े थे। फेसबुक एवं ट्विटर के जरिए उनके ध्यान में आईं 1,473 समस्याओं में से 1,322 का उन्होंने निराकरण भी कर दिया। निराकरण की सूचना उन्होंने एसएमएस के जरिए संबंधित फॉलोअर तक पहुंचाई। शेष समस्याओं को निराकृत करने के लिये कलेक्टर ने कुछ को न्यायालयीन, कुछ को जन-सुनवाई तो कुछ समस्याओं को टीएल की सूची में पंजीबद्ध करवाया है। फेसबुक और ट्विटर के जरिये ग्वालियर के विकास के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव भी उन्हें मिले। साथ ही इन सुझाव पर अमल के लिये फॉलोअप से सतत संवाद भी हुआ। शहर के चौराहों और सड़कों का विकास तथा शहर के सौंदर्यीकरण से संबंधित इन सुझावों पर अमल भी किया गया। शहर की ज्वलंत समस्याओं से संबंधित सोशल नेटवर्किंग साइटों के जरिए 1500 से अधिक सुझाव उन्हें मिले। जनसुनवाई, टीएल, जन शिकायत निवारण तथा अन्य माध्यम से प्राप्त हो रहे आवेदनों के त्वरित निराकरण के लिये भी ग्वालियर में सूचना प्रौद्योगिकी का सफल इस्तेमाल हुआ। ऑनलाईन निराकरण व्यवस्था लागू होने से प्रकरणों के निराकरण में विशेष तेजी आई है। नरहरि यही प्रयोग इंदौर में भी कर रहे हैं जो लोगों को भा रही है।

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