बुधवार, 21 दिसंबर 2016

अब विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करेगी भाजपा

भोपाल। भाजपा मध्यप्रदेश में अपनी चौथी पारी को सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कोर कसर नहीं छोडऩा चाहती है। इसलिए मैदानी जमावट के साथ ही पार्टी अब अपनों की हैसियत का भी आंकलन कर रही है। इसी कड़ी में पार्टी अब अपने विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करेगी। इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा कार्यकर्ता, और स्थानीय लोगों का मंतव्य लिया जाएगा। पार्टी की इस कवायद से यह साफ संकेत मिल रहा है कि जिन विधायकों की परफारमेंस पुअर होगी उन्हें टिकट से वंचित होना पड़ सकता है। दरअसल भाजपा अपनी इस तैयारी से एक तीर से दो शिकार करना चाह रही है। यानी 2018 के विधानसभा चुनाव के साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भी मैदान तैयार किया जा रहा है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान और संगठन महामंत्री सुहास भगत ने इसके लिए सभी मोर्चा संगठनों को जमीनी तैयारी शुरू करने का निर्देश दे दिए है। ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों संघ ने भाजपा संगठन को हिदायत दी थी कि प्रदेश की नौकरशाही, कुछ मंत्रियों और अधिकांश विधायकों को लेकर जनता में रोष है। सरकार की योजनाएं इनकी निष्क्रियता के कारण धरातल पर उतर नहीं पा रही है। उसके बाद से सरकार और संगठन में इस पर गौर किया है। सरकार ने नौकरशाहों को तो घुट्टी पिला दी है लेकिन विधायक अभी भी निष्क्रिय हैं। इसको लेकर संगठन ने कई बार उन्हें चेतावनी दी है। चेतावनी के साथ ही भाजपा द्वारा अपने दल के विधायकों के कामकाज पर नजर रखी जा रही है। विधायकों से उनके कामकाज की रिपोर्ट मांगी गई है। विधायकों से पूछा जा रहा है कि उन्हें काम के दौरान संगठन, प्रशासन एवं मीडिया के स्तर पर किस तरह की परेशानियां हो रही हैं। दरअसल यह पूरी कवायद संगठन द्वारा विधायकों के लिए बेहतर कार्यप्रणाली विकसित करने के उद्देश्य से की जा रही है। नंदकुमार सिंह चौहान कहते हैं कि प्रदेश में लगातार चौथी बार भी सरकार बनाना हमारी प्राथमिकता है। इसलिए पार्टी अपने स्तर पर तैयारी कर रही है। जहां तक विधायकों के रिपोर्ट कार्ड की बात है तो समय-समय पर संगठन ऐसा करता रहता है। हमारी कोशिश रहती है कि हमारे नेता हमेशा जनता के बीच रहे। इसके लिए सभी को कार्य सौंपे जाते हैं। उधर जानकारों का कहना है कि यह सब प्रदेश में भाजपा के केन्द्रीय संगठन की धमक का भी असर है। केंद्र में मजबूत संगठन का असर अब प्रदेश पर भी धीरे-धीरे दिखने लगा है। राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए केन्द्र ने धीरे-धीरे सत्ता और संगठन के सूत्र अपने हाथों में लेना शुरू कर दिए हैं। सूत्रों का दावा है कि संघ की नजर उन विधायकों पर भी बनी हुई है, जिनकी निष्क्रियता का फीडबैक विभाग प्रचारक और वरिष्ठ स्वयंसेवक से लिया जा रहा हैं। दिलचस्प पहलू यह है कि सतत जनसंपर्क, जनसंवाद न करने वाले ऐसे कुछ विधायक अपनी लापरवाही का दोष सरकार और संगठन पर मढ़ते हुए खुद ही दुष्प्रचार में जुटे हुए हैं। संघ ने ऐसे विधायकों को चिन्हित करने के साथ-साथ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर उन्हें आगाह भी किया है। संघ ऐसे नेताओं को दोबारा टिकट देने के पक्ष में नहीं है, जिनके खिलाफ क्षेत्र में जनाक्रोश है, क्योंंकि पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ सकता है। उधर संघ भी मैदानी तैयारी में जुट गया है। सूत्र बताते हैं कि आरएसएस मिशन-2018 के लिए ऐसे पदाधिकारियों की टीम चाहता है, जो संघ के क्षेत्रीय पदाधिकारियों और स्वयंसेवकों से तालमेल बनाकर चल सके। संघ ने अपने स्वयंसेवकों को मैदानी रिपोर्ट हर माह देने को कहा है। जिस तरह सरकार, भाजपा प्रदेश संगठन और संघ सक्रिय दिख रहे हैं उससे अब यह साफ हो गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी वर्तमान विधायकों के 164 के आंकड़े को हर हाल में पार करना चाहती है। इसके लिए आने वाले दिनों में कई तरह की योजनाएं बनेंगी तथा उनके क्रियान्वयन के लिए अभियान चलेंगे। नंदकुमार सिंह चौहान कहते हैं कि कांग्रेस मुक्त मप्र के लिए हमारी पूरी तैयारी है।

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