गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

पोषण आहार के भ्रष्टाचार में विदेशों कनेक्शन

ईडी के शिकंजे में धरे गए मीट एक्सपोर्टर कुरैशी से हुई जांच में सामने आया तथ्य
भोपाल। ईडी के शिकंजे में फंसा खबपति मीट एक्सपोर्टर मोइन कुरैशी के तार मप्र में हुए पोषण आहार घोटाले से भी जुड़ा हुआ है। कुरैशी देश के बड़े बड़े नेताओं के अलावा एक बड़े सिंडीकेट के लिए भी हवाला का काम करता था। यह सिंडीकेट सरकार के तमाम बड़े प्रोजेक्ट में भी सक्रिय था। जिसमें मप्र में बच्चों के लिए पोषण आहार का अरबों रुपये का घोटाला शामिल है। सूत्रों के अनुसार जो 200 करोड़ रुपये कुरैशी ने बाहर भेजे थे उसमें बच्चों के मिड-डे मील से कमाई गई करोड़ों की रकम भी शामिल है। मीट कारोबारी मोइन कुरैशी को गत दिनों दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से प्रवर्तन निदेशालय ने हिरासत में ले लिया था। मोइन कुरैशी पर आरोप है कि उन्होनें अवैध तरीके से देश से बाहर 200 करोड़ रुपये भेजे। दरअसल प्रवर्तन निदेशालय ने मोइन कुरैशी को उस वक्त हिरासत में लिया जब वह दुबई जाने की फिराक में था। कुरैशी पर हवाला के जरिये पैसे की लेन-देन के गंभीर आरोप थे। पोषण आहार की अवैध कमाई ठिकाने लगाता था मीट कारोबारी अभी तक की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि कुरैशी मप्र में हुए पोषण आहार घोटाले में शामिल रसूखदारों का पैसा विदेशों में ठिकाने लगाने का काम करता था। ज्ञातव्य है कि आयकर विभाग ने पिछले दिनों इंदौर, भोपाल और मुंबई सहित कुल 35 ठिकानों पर छापेमारी की थी। जिसमें उसे इंदौर में 11 लॉकर, 35 लाख नकद और करीब आधा किलोग्राम ज्वैलरी के साथ 25 सिस्टम-लेपटॉप का डाटा जब्त किया गया। दरअसल यह पूरा पैसा समन्वित बाल विकास योजना का है। जो कि बच्चों के लिए आवंटित खाने का पैसा है जो कि आंगनबाड़ी के जरिये बांटा जाता है। ठेकेदार कंपनियों द्वारा बच्चों के पोषण के नाम पर पिछले पांच साल में जमकर भ्रष्टाचार किया गया। यह पूरा मामला कई सौ करोड़ का है जिसमें हवाला के जरिये पैसा दुबई, इंगलैंड के रास्ते मालदीव और मॉरिशस भेजा जाता है फिर उसे व्हाइट कर वापस भारत लाया जाता है। इनकम टैक्स ने एमपी एग्रो के डॉयरेक्टर पर 100 करोड़ के सीधे इनकम टैक्स गबन का आरोप लगाया था। बृजेश गुप्ता, गणेश गुप्ता, खण्डेलवाल मिलकर चेन्नई, तमिलनाडु और आंध्रा में पूरा सिंडीकेट चलाते हैं। यह पूरा खेल मप्र में गणेश और उसके भाई के जरिये चलाया जा रहा है। हजारों करोड़ों का घपला है आयकर विभाग और ईडी की पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है कि यह पूरी साजिश किसी छोटे मोटे घपले की नहीं बल्कि कई हजार करोड़ के घपले की है। घपले के आरोपों के बीच इन्वेस्टिगेशन विंग ने जब कार्रवाई की तो यह पूरा मामला पोषण आहार और रीयल एस्टेट के साथ मीडिया से जुड़े समूहों से जा जुड़ा पाया गया। कैग ने भी यूपी में इसे लेकर 2000 करोड़ के घोटाले का भी जिक्र किया है। यह है नेटवर्क कुरैशी कुपोषण से जुझ रहे मप्र के बच्चों को पोषण आहार मुहैया कराने के लिए सरकार ने सलाना 400 करोड़ का जो बजट निर्धारित किया था, उसको ठिकाने लगाने के लिए कुरैशी की अगुआई में नेटवर्क बनाया गया था। इस नेटवर्क में मप्र के अलावा अन्य राज्यों के भी घोटालेबाज शामिल थे। बताया जाता है कि करीब 800 करोड़ के दलिया घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगने के बाद आयकर विभाग ने छापे की कार्रवाई की। मप्र के संदर्भ में शिकायत थी की पिछले 5 साल के दौरान एमपी एग्रो जैसी एजेंसी को पोषण आहार का ठेका देकर आंगनबाडिय़ों के जरिए होने वाले पोषण-आहार के आवंटन के नाम पर जमकर लूटखसोट की गई। आलम यह रहा कि एमपी एग्रो को साढ़े 4000 करोड़ का भुगतान कर दिया गया, जिसके मुकाबले जमीनी स्तर पर कुछ भी काम नहीं किया गया। आरोप है कि एमपी एग्रो ने अपनी ही पार्टनरशिप वाली फर्मों से ढाई फीसदी का कमीशन वसूला जो तकरीबन 30 करोड़ का था। सुप्रीम कोर्ट का भी मानना है कि ठेका पद्धति से पोषण आहार की गुणवत्ता सुनिश्चित करना टेढ़ी खील है। इसीलिए स्वसहायता समूहों व आंगनबाडिय़ों को इस सिलसिले में प्राथमिकता दी गई बावजूद इसके यहां एमपी एग्रो जैसी कंपनियां काम कर रही थींं। किस की हैं ये कंपनियां एमपी एग्रो न्यूट्री फूड्स लि. सांवेर रोड, इंदौर- नरेंद्र जैन, रवींद्र चतुर्वेदी, व्यंकटेश्वर राव धवल, हेमेंद्रसिंह नाबेडा, सखाराम पंडित, लखपत कुमार जैन, अनिल जैन, जय पेरुलिया। एमपी एग्रो फूड्स इंडस्ट्री, मंडीदीप- बृजेशकुमार गुप्ता, ऋषि गोयल, रवींद्र चतुर्वेदी, व्यंकटेश्वर राव धवल, अंशुकुमार जिंदल, गिरजाशंकर अवस्थी, कृष्णकुमार श्रीवास्तव, आनंदप्रकाश नेमा। एमपी एग्रोटोनिक लि. मंडीदीप-रवींद्र चतुर्वेदी, व्यंकटेश्वर राव धवल, अंशुल जैन, प्रमोदचंद्र महनोत, अजय कपूर, समकित हिरावत, निशा सिंह श्री कृष्ण देवकॉन लिमिटेड-शैलेष कुमार जैन, दिनेश जोशी, अशोक सेठी, पुरुषोत्तमदास बैरागी, मुकेश कुमार जैन, सुनील कुमार जैन, नवीन कुमार जैन और प्रकशाली जैन। इस कंपनी का पंजीबद्ध पता मुंबई है। पोषण तो भ्रष्टाचारियों का हुआ मप्र में कुपोषण इस लिए खत्म नहीं हो पा रहा है कि यहां पोषण आहार में भ्रष्टाचार से राज्य में कई साल से सिर्फ तीन निजी कम्पनियों का ही 'पोषणÓ हो रहा है। ये हैं- एमपी एग्रो न्यूट्री फूड, एमपी एग्रो फूड इंडस्ट्रीज और एमपी एग्रोटॉनिक्स। सरकारी कम्पनी एमपी स्टेट एग्रो ने इन तीनों के साथ करार किया हुआ है, राज्य में पोषण आहार की आपूर्ति के लिए। लेकिन यह 'आपूर्तिÓ वास्तव में हुई किस तरह एमपी स्टेट एग्रो साल-दर-साल अपना उत्पादन घटाती गई जबकि बाकी तीनों निजी कम्पनियों का उत्पादन बढ़ता गया। प्रदेश में 2007 में प्रदेश में पोषण आहार का बजट करीब 160 करोड़ रुपए था जो अब करीब 1,200 करोड़ रुपए हो चुका है। लेकिन इस बजट का अधिकांश हिस्सा 'बंदरबांटÓ में ही खर्च हो जाता है। इस बंदरबांट के लिए आंकड़ों की हेराफेरी कैसे की जाती है, इसकी मिसाल हैं प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग के हास्यास्पद आंकड़े। इनके मुताबिक राज्य में 2015-16 में 1.05 करोड़ बच्चों को पोषण आहार बांटा गया है। यानी इस हिसाब से राज्य के हर सातवें व्यक्ति को पोषाहार मिला है। क्योंकि प्रदेश की आबादी ही इस वक्त साढ़े सात करोड़ के लगभग है। इस गड़बड़झाले की बानगी इससे भी मिलती है कि पिछले 12 साल में करीब 7,800 करोड़ रुपए का पोषण आहार राज्य में बांट दिया गया। लेकिन जैसा कि नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्टें (2006-07, 2008-10 और 2012-13) बताती हैं, राज्य के 32 फीसदी से ज्यादा बच्चों तक पोषाहार पहुंचता ही नहीं है। शायद इसीलिए बच्चों में कुपोषण और उससे हो रही मौतों के मामले में बिहार के बाद मध्य प्रदेश का नंबर देश में दूसरा है। फिलहाल मध्य प्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति बना दी है।

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