बुधवार, 21 दिसंबर 2016

खनन के खेल में मनी, माफिया का गठजोड़

1100 गांव अवैध खनन की चपेट में
भोपाल। मध्यप्रदेश में जन की सेवा, कल्याण और विकास के लिए कार्य करे रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए नमामि देवी नर्मदे यात्रा निकाल रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ नर्मदा अवैध खनन की आगोश में है। नर्मदा के साथ ही नदी किनारे स्थित 1100 गांवों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। दरअसल, प्रदेश खनन के खेल में मनी(मंत्रियों, विधायकों, नेताओं और अफसरों की काली कमाई) और माफिया का गठजोड़ इस कदर हुआ है कि उन पर अंकुश लगाना सरकार के बूते की भी बात नहीं दिख रही है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि प्रदेश में खनन माफिया जल, जमीन और जंगल को खोखला कर रहा है। दरअसल, डकैतों के लिए कुख्यात रहे मध्य प्रदेश में अब माफिया उनसे भी खूंखार हो गया है। आलम यह है कि सरकार ने पिछले 13 साल में प्रदेश से डकैतों का सफाया कर दिया है, लेकिन इस दौरान खनन माफिया उतना ही बलवान हो गया है। दरअसल, खनन के खेल में मनी(मंत्रियों, विधायकों, नेताओं और अफसरों की काली कमाई) और माफिया का गठजोड़ इस कदर हुआ है कि उन पर अंकुश लगाना सरकार के बूते की भी बात नहीं दिख रही है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि प्रदेश में खनन माफिया जल, जमीन और जंगल को खोखला कर रहा है। अमरकंटक से शुरू हुई नमामि देवी नर्मदे यात्रा मई 2017 तक नर्मदा के किनारे स्थित जिन 1100 गांवों से होकर गुजरेगी वे सभी अवैध खनन की चपेट में हैं। रसूखदारों ने इन गांवों को एक तरह से अपने कब्जे में ले रखा है। आलम यह है कि खनन से गांवों की आबोहवा खराब हो रही है। पर्यावरण दुषित हो रहा है। अगर कभी गांव वाले अवैध खनन का विरोध करते हैं तो उन्हें इसका खामियाजा भी उठाना पड़ता है। इस काम में स्थानीय प्रशासन भी माफिया के साथ देता है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि मिलीभगत से हर साल हजारों करोड़ रूपए की अवैध रेत नर्मदा की गोद से निकाली जा रही है। नर्मदा पर आस्था रखने वाले चीख चीखकर कहते रहे कि नर्मदा के कई घाटों पर मशीनों से रेत का खुलेआम अवैध उत्खनन किया जा रहा है। पूरा गोरखधंधा रसूखदारों के इशारे पर चल रहा है। लेकिन प्रशासन मौन होकर देख रहा है। शिप्रा नदी को पुनर्जीवित करने के प्रयास के आठ महीने बाद सरकार प्रदेश की जीवन रेखा यानी नर्मदा को जीवन देने के अभियान में जुटी हुई है। इसके लिए नमामि देवी नर्मदे यात्रा चल रही है। लेकिन यात्रा के दौरान जिस तरह के दृश्य देखने को मिल रहे हैं उससे तो एक बात तय है कि नदी में बेखौफ अवैध खनन हो रहा है। यह अवैध खनन परिक्रमा से नहीं बल्कि रसूखदारों की कॉलर पर हाथ डालने से रूकेगा। शिवराज मंशा पर फिरता पानी प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान चाहते हैं कि प्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा का संरक्षण हो। वह युगों तक अविरल बहती रहे। संभवत: इसी भावना से अमरकंटक से नमामि देवि नर्मदे सेवा यात्रा का शुभारंभ किया जा रहा है। इस बीच सामने आया एक वीडियो नर्मदा भक्तों को विचलित कर रहा है। इस वीडियो में नर्मदा के बीचों-बीच से बोट व मशीनें लगाकर रेत निकालते दिखाई जा रही है। वीडियो भेजने वालों का दावा है कि जबलपुर जिले में एक बड़ा रैकेट रेत का अवैध और अंधाधुंध उत्खनन कर रहा है। प्रशासन जानकर भी अनजान बना हुआ है। हालात यही रहे तो नर्मदा दलदल में तब्दील हो जाएगी। इसे बचाने के सारे प्रयास धरे के धरे रह जाएंगे। बीच नदी पर बना ली सड़क खनिज माफिया ने हाइवा और डंपरों की आवाजाही के लिए नर्मदा नदी के बीच में सड़क बना ली है। इससे नर्मदा का प्रवाह रुक गया है। जानकारों का कहना है कि जबलपुर जिले के नर्मदा के नीमखेड़ा, झूजी, जाकिन, बिलपठार, झांसीघाट, नीमखेड़ा, कूंडा व कुसली आदि घाटों से रोजाना करीब सौ ड पर, हाइवा रेत निकाली जा रही है। जानकार सूत्रों का कहना है कि रेत के अवैध खनन का पूरा खेल मिलीभगत से चल रहा है। रैकेट चलाने वालों ने बकायदा खुद की रायल्टी पर्ची छपाकर रखी है। हर ड पर से 7 हजार रुपए और हाइवा से 9 हजार रुपए की वसूली की जा रही है। बताया गया है कि खनन माफिया ने खुद की लाइंग स्क्वॉड बना ली है। गाडिय़ों में खनन माफिया के गुर्गे दिन भर यहां-वहां फेरा लगाते रहते हैं। किसी भी अनजान को इलाके में वेवजह घुसने की इजाजत नहीं रहती। यह लाइंग स्क्वॉड फेरा लगाकर आने-जाने वालों पर नजर रखती है। घाटों का अस्तित्व खतरे में यात्रा जिन क्षेत्रों से गुजर रही है उन क्षेत्रों में अवैध खनन के कारण कई घाटों का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि जि मेदारों को इसकी खबर नहीं है। अधिकारी गहरी नींद में सो रहे हैं। रेत माफिया अवैध खनन कर मनमाने दाम पर रेत बेचकर चांदी काट रहे हैं। सूत्रों की मानें तो विभागीय अधिकारियों को एक बड़ा हिस्सा खनन माफिया पहुंचा रहे हैं। जिसके चलते उन पर कार्रवाई करना तो दूर अधिकारी नजर तक नहीं डालते। माइनिंग विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यहां अवैध खनन के मामले कम ही दर्ज होते हैं। टारगेट पूरा करने के लिए केवल अवैध परिवहन के मामले दर्ज किए जाते हैं। इस स बंध में विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अदालत में अवैध खनन साबित करने में परेशानी होती है। इसलिए अवैध परिवहन के मामले ही बनाए गए हैं। एनजीटी के नियम दरकिनार एनजीटी के नियमों के मुताबिक नदी के अंदर से रेत खनन पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके तहत कोई भी खननकर्ता नदी के पानी से रेत नहीं निकाल सकता। चूंकि नर्मदा राष्ट्रीयकृत नदी है इसलिए इसकी संरचना से कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता। इसके बाद भी खनन माफिया ने बीच नदी तक रे प बना लिए हैं। पिपरिया घाट में रेत माफिया ने नदी की बीच धार में रेम्प बना लिया है। इससे रे प से वाहन बीच नदी तक पहुंच जाते हैं। जहां पानी में खड़ी पोकलेन मशीन नदी से रेत निकालकर वाहनों में भर देते है। दिन दहाड़ चल रहे इस अवैध खनन पर अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। बेलखेड़ा के पास सुनाचर घाट में रेत खदान स्वीकृत नहीं है। इसके बाद भी खनन माफिया यहां रेत खनन करने में जुटे हुए हैं। नदी के बीच से नाव में भरकर रेत निकाली जाती है। जिसके लिए स्थानीय मजदूरों का प्रयोग किया जाता है। पकड़े जाने पर सारी जि मेदारी मजदूरों पर छोड़ दी जाती है। कम जुर्माने पर छोड़ रहे गाडिय़ां नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर ने एनजीटी कोर्ट में यह हलफनामा दे कर धार जिला खनिज अधिकारी को कटघरे में खड़ा कर दिया कि वे अमीरों को गरीब बताकर कम जुर्माने पर उनकी गाडिय़ा छोड़ रहे हैं। इधर अधिकारी यह सफाई देते नजर आए कि उन्होंने न्यायालय के आदेशानुसार ही कार्रवाई की है। धार जिले में धरमपुरी, मनावर व कुक्षी तहसीलों का कुछ क्षेत्र नर्मदा डूब में आता है, जहां दो दर्जन से अधिक खदानें हैं। डूब क्षेत्र में खनन पर प्रतिबंध के बावजूद यहां अवैध कारोबारी सक्रिय हैं, जिन पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। नवंबर व दिसंबर में रेत, गिट्टी, मुरम आदि मिलाकर करीब 35 गाडिय़ां पकड़ी गई, जिन पर एनजीटी कोर्ट के निर्देशानुसार कार्रवाई करते हुए लगभग 10 लाख रुपए का जुर्माना आरोपित किया गया। पिछले हफ्ते एनजीटी कोर्ट में अवैध खनन को लेकर तारीख लगी थी, जिसमें पाटकर ने धार जिला खनिज अधिकारी के अलावा और भी कुछ जिलों के अफसरों द्वारा की गई कार्रवाई को चुनौती दी थी। पाटकर का कहना है कि अफसरों ने खनन के कुछ अवैध कारोबारियों से सांठ-गांठ कर उन पर कम जुर्माना लगाया है, जबकि इनसे 600 गुना अर्थदंड वसूला जा सकता था। इधर धार जिला खनिज अधिकारी ज्ञानेश्वर तिवारी का कहना है कि एनजीटी न्यायालय के निर्देशानुसार डूब क्षेत्र में जो भी गाड़ी अवैध खनन करते पकड़ी जाती है, उस पर कार्रवाई की जाती है। इसमें अमीर-गरीब का कोई भेदभाव नहीं है। तिवारी ने यह भी बताया कि पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए, जिनमें 6-6 महीने में प्रदूषण क्षति मुआवजा जमा कराने के बाद ही गाडिय़ां छोड़ी गई है। मनमाने खनन से पेड़ों को नुकसान अवैध खनन से नर्मदा का अस्तित्व प्रदूषण से ही नहीं अवैध खनन से खतरे में है। नदी में रेत और पत्थर खदान माफिया रेतीली तथा पथरीली भूमि को खोदकर इस इलाके में रुपयों की बड़ी फसल काट रहा है। मध्य प्रदेश में खनन माफिया के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि वे सरकारी अफसरों पर हमला करने से भी नहीं चूक रहे। मंडला जिले में खनन माफिया बेखौफ अवैध उत्खनन कर रहे हैं। चाहे नर्मदा नदी हो या वन विभाग की जमीन हो या राजस्व की। खुलेआम खनिज का उत्खनन किया जा रहा है। नदी किनारे रेत माफिया सक्रिय हैं तो जंगलों में लकड़ी माफिया। आलम यह है कि अवैध खनन से नर्मदा के किनारे क्षरण का शिकार हो रहे हैं और पेड़ या तो नदी में गिर रहे हैं या सूख रहे हैं। मंडला-जबलपुर मार्ग पर वन माफिया और खनिज माफिया दोनों ही सक्रिय हो रहे हैं। एक ओर अवैध तरीके से मुरम का उत्खनन किया जा रहा है तो दूसरी ओर वन संपदा को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। मंडला-जबलपुर मार्ग के दोनों किनारों पर स्थित ज्यादातर वन क्षेत्र पश्चिम सामान्य वनमंडल के अधीन हैं। मुख्य मार्ग के किनारे की पहाड़ी भूमि में मुरम का भंडार बना हुआ है। खनिज माफिया मुरम की खुदाई इस तरह से कर रहे हैं कि पेड़ों की जड़ों के नीचे की जमीन खोखली हो रही है। जड़ों के आसपास से मुरम की खुदाई किए जाने के कारण पेड़ सड़क की ओर झुकते जा रहे हैं। मंडला-जबलपुर मार्ग के दोनों ओर की पहाड़ी भूमि पिछले कुछ महीनों में खोद-खोदकर इतनी खोखली कर दी गई है कि मुख्य मार्ग और पहाड़ी भूमि के बीच कई फिट का फासला बन गया है। जबकि पिछली बरसात तक ये पहाड़ी हिस्से मुख्य मार्ग से सटे हुए थे। सड़क किनारे लगातार खुदाई किए जाने से बारिश के आगामी मौसम में यहां की मिट्टी धंसेगी और कोई भी वाहन सड़क की पट्टी से नीचे उतरा तो उसके दुर्घटना की आशंका बढ़ेगी। इन सबके बावजूद न ही वन विभाग के अधिकारी नींद से जाग रहे हैं और न खनिज विभाग के। सूत्रों की माने तो क्षेत्र में वैध से अधिक अवैध उत्खनन हावी है। बताया जाता है रेत के ठेकेदार खदान क्षेत्र के बाहर एवं दूसरे घाटों तक बेतहाशा रेत का उत्खनन एवं परिवहन करते हैं। वहीं दूसरी ओर संबंधित विभाग द्वारा अवैध उत्खनन पर ठोस कार्रवाई होते नजर नहीं आती। नगर समेत क्षेत्र के गांव गांव में हो रहे निर्माण कार्यों में दिन रात रेत ढो रहे वाहन दौड़ते रहते हैं। बीते दिनों कुछ ट्रैक्टर पकड़े जाने के बाद ट्रालियों में तिरपाल ढककर रेत ढोई जाती देखी गई थी। लेकिन समय बीतने के बाद अब पुन: खुलेआम रेत ढोई जा रही है। केवल नदियों के तटों पर ही नहीं वरन नदी के पुलों के आसपास भी रेत का उत्खनन किया जाता है। इससे पुल कमजोर होने की आशंका बनी रहती है। इसके अलावा नदियों के पानी में मशीनों से रेत निकाले जाने से गहरे गडढे हो जाते हैं। जो दुर्घटनाओं में लोगों के डूबने पर जान का सबब बनते हैं। लोगों का कहना है कि रेत माफिया पर राजनैतिक संरक्षण होने के आरोप लगते रहते हैं। वहीं प्रशासन द्वारा उदासीनता बरते जाने से इस दावे को हवा मिलती भी नजर आती है। बहरहाल लोगों की अपेक्षा है कि क्षेत्र के पर्यावरण एवं क्षेत्रवासियों के भविष्य को बचाने रेत के अवैध उत्खनन पर रोक लगाई जाए। साथ ही नर्मदा की सहायक नदियों का भी उद्धार किया जाने की अपेक्षा जताई गई है। सरकार का आदेश नर्मदा की धारा में बह गए प्रदेश सरकार अवैध खनन के प्रति सख्त है। मुख्यमंत्री ने अवैध खनन हर हाल में रोकने को निर्देश दिया है। लेकिन यहां अवैध उत्खनन व परिवहन किया जा रहा है लेकिन प्रशासन मौन साधे हुए हैं। नदी से लगातार रेत निकलने की वजह से नदी में रेत की जगह पत्थर नजर आ रहे हैं। इस ओर शासन और प्रशासन दोनों ही मौन धारण किए हुए है, जबकि वर्तमान में प्रदेश के मुखिया द्वारा नर्मदा सहित तटों को संरक्षित एवं स्वच्छ बनाने के लिए नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा भी निकाल रहे हैं। अपराधियों का बोलबाला खनन के खेल में नेताओं और अपराधियों के साठगांठ की निशानी मध्य प्रदेश पर आए दिन होते अपराध के घावों में साफ दिखाई देती है। एक ओर राज्य में बढ़ते अपराधों से जनता क्षुब्ध है, वहीं राज्य सरकार इसे महज हादसा करार देने में जुटी है। सिफ नर्मदा ही नहीं लगभग प्रदेश की सभी नदियों के तटीय इलाकों में खनन माफिया सक्रिय है। राज्य की नदियों से रेत निकाले जाने और पहाड़ खोदने को लेकर कई संगठनों ने इस पर रोक लगाने की मांग की है। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार को कार्रवाई के निर्देश दिये हैं। इसके बाद सरकार ने अनमने ढंग से कुछ दिन अभियान चलाया जिसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। इनका कहना है नरसिंहपुर जिले में बहुत जगह अवैध रेत उत्खनन हो रहा है। एक तरफ मुख्यमंत्री नर्मदा यात्रा निकाल रहे हैं। दूसरी ओर उत्खनन को नहीं रोका जा रहा है। जिले में कोई कार्रवाई न होना इनकी कथनी करनी में अंतर को उजागर करता है। साधना स्थापक, पूर्व विधायक

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