शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

मोदी को मिलकर रोकेंगे शिवराज और सुषमा स्वराज

भारतीय जनता पार्टी के अंदरखाने मे सत्ता संघर्ष और प्रधानमंत्री पद को लेकर मचे घमासान का केन्द्र मध्य प्रदेश भी बन गया है। संघ और पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से खबर है कि दिल्ली भाजपा में मचे सत्ता संघर्ष और भविष्य की राजनीति की पटकथा भोपाल मे लिखी जा रही है। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से खबर है कि मोदी बनाम सुषमा को लेकर मची खींचतान में मोदी को रोकने और पार्टी के भीतर सुषमा के पक्ष मे माहौल बनाने की रणनीति का खाका खींचने में मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। विदिशा से सुषमा स्वराज को लोकसभा भेजने वाले शिवराज सिह चौहान ने मोदी के मुकाबले सुषमा स्वराज को समर्थन देने और समर्थन जुटाने का जिम्मा उठाया है। विश्वस्त सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिह तोमर और विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के बीच दिल्ली और भोपाल में हो रही बैठकों का मकसद भी यही है। मोदी नही सुषमा को स्टार प्रचारक बनाने की तैयारी ! केन्द्रीय चुनाव समिति का प्रमुख बनाने और इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावो और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी को स्टार प्रचारक बनाने की संभावनाओ के चलते पार्टी के भरोसेमंद सूत्रों के हवाले से खबर है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव मे मोदी की जगह सुषमा स्वराज शिवराज सिह चौहान के साथ स्टार प्रचारक की जिम्मेदारी निभाएगी। विश्वस्त सूंत्रों कि मानें तो सत्ता और संगठन के प्रदेश प्रमुख नरेन्द्र मोदी को प्रदेश के प्रचार में ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नही है। औपचारिकता निभाने के लिए मोदी की कुछ ही सभाएं प्रदेश मे आयोजित करने का प्रस्ताव भेजे जाने की तैयारी है। असल में अगर शिवराज को साधकर सुषमा स्वराज मोदी का रथ रोकने की कोशिश कर रही हैं तो शिवराज सिंह चौहान भी सुषमा स्वराज को आगे करके मोदी को मैसेज भेज रहे हैं कि अगर वे अपने गुजरात में आलाकमान हैं तो मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह की हैसियत मोदी से कम नहीं है। अभी तक के जो हालात हैं वो प्रदेश में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनने का संकेत कर रहे हैं। जब से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने हैं कम से कम प्रदेशभर की सहानुभूति जुटाने में उन्होंने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। ऐसे में अगर तीसरी बार उन्हें अपने नेतृत्व में जीत पक्की नजर आ रही है तो वे नहीं चाहते कि इसका श्रेय कहीं से भी नरेन्द्र मोदी को मिले। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के करीबी लोगों में गिने जाते हैं इसलिए स्वाभाविक तौर पर पार्टी फोरम के भीतर वे नरेन्द्र मोदी के समकक्ष गिने जाते हैं। हाल के दिनों में खुद आडवाणी ने बार बार मध्य प्रदेश जाकर शिवराज का कद बढ़ाने की कोशिश भी की है। ऐसे में सुषमा स्वराज और शिवराज की यह जोड़ी मोदी के खिलाफ जिस रास्ता रोको अभियान को अंजाम देने जा रही है उससे कौन जाने सबसे ज्यादा फायदा उन दोनों के पितातुल्य लालकृष्ण आडवाणी को हो जाए। कौन जाने? शिवराज की हर दिल पर राज की कवायद राज्य में विधानसभा चुनाव इसी वर्ष होने वाले हैं। शिवराज हर कीमत पर जीत की हैट्रिक बनाकर इतिहास रचना चाहते हैं, क्योंकि राज्य में किसी गैर कांग्रेसी दल ने लगातार 15 वर्ष तक शासन नहीं किया है। शिवराज लगातार जनता को यह भरोसा दिलाते रहे हैं कि उनका मकसद जनता को समस्याओं से मुक्त कराकर उसे खुशहाल जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है। यही कारण है कि वह हर वर्ग के कल्याण की योजनाएं बनाने से नहीं हिचकते और उनका प्रचार भी पूरे जोर-शोर से करते है। मुख्यमंत्री ने चुनावी वर्ष के पहले माह जनवरी में ही तीन पंचायतें करके यह बता दिया है कि वे चुनाव जीतने की हर संभव कोशिश करने से नहीं चूकेंगे। चौहान के आठ वर्षों के कार्यकाल पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि उन्होंने हर वर्ग के करीब पहुंचने के लिए पंचायतों को आधार बनाया है। बीते आठ वर्षों में चौहान अब तक विभिन्न वर्गो की 29 पंचायतें आयोजित कर चुके हैं। ये पंचायतें सिर्फ आयोजनों तक ही सीमित नहीं रही हैं, बल्कि इनके जरिए सरकार की भावना को हर दिल में उतारने की कोशिश की है। हम योजनाएं वल्लभ भवन के कमरे में नहीं बनाना चाहते, लिहाजा पंचायतों में विभिन्न वर्गों को बुलाकर उनसे संवाद करते हैं। एक नेता को मिलेगा 10 पंचायतों का जिम्मा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रदेश पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों की पहली बैठक में कहा कि पार्टी 2300 नेता चुनकर उन्हें दस दस पंचायतों का जिम्मा सौंपेगी। नाम तय होते ही इन नेताओं को प्रभार की पंचायतों में संपर्क पर निकलना होगा। अप्रैल से जून तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्रों में दौरे होंगे, संगठन को इस दौरान भी उन क्षेत्रों में सपोर्ट के लिए तत्पर रहेगा। जुलाई और अगस्त में मतदान केंद्रों की तैयारी होगी। दीनदयाल उपाध्याय जयंती पर प्रदेश स्तर पर बड़ा कार्यक्रम होगा। उन्होंने कहा कि सभी जिला अध्यक्ष और मोर्चा अध्यक्ष फरवरी के पहले हफ्ते में अपनी कार्यकारिणी घोषित कर दें। प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक आठ फरवरी को और कार्यसमिति बैठक 9 और 10 फरवरी को भोपाल में होगी। इसमें विधानसभा चुनाव की तैयारी की रणनीति का विस्तृत कार्यक्रम तैयार होगा। सभी विधानसभा चुनाव क्षेत्रों में विकास यात्राएं निकाली जाएंगी। इनका कार्यक्रम विधानसभा के बजट सत्र की तारीखों को ध्यान में रखकर तय किया जाएगा। संगठन महामंत्री अरविंद मेनन ने जिला अध्यक्षों ने कहा कि वे कार्यकारिणी गठन के लिए नाम जल्द दे दें।

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