शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

शिवराज को घेरेंगे कांग्रेस के वेटिंग सीएम..

भाजपा को हराने दिल्ली में आज रणनीति बनाएंगे राहुल भोपाल। भाजपा और कांग्रेस विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की सरकार बनाने एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। लगातार दो बार राज्य सरकार बनाकर मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सम्हालने वाले शिवराज सिंह चौहान अपनी पार्टी को तीसरी बार सत्ता में लाने में प्रयत्नशील हैं। वहीं कांग्रेस में अभी तक न तो कोई नेता दिखाई दे रहा है और न ही नेतृत्व। इसलिए पार्टी नेतृत्व शिवराज सिंह चौहान को घेरने के लिए अपने उन तमाम नेताओं को जिम्मेदारी देने जा रहा है कि जो सीएम इन वेटिंग हैं। इस संदर्भ में आज कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अध्यक्षता में होने वाली महासचिवों और प्रदेश प्रभारियों की बैठक में रणनीति बनाई जाएगी। जिस तरह भाजपा में शिवराज सिंह चौहान का एक छत्र नेतृत्व दिखाई दे रहा है और भाजपा की ओर से अगले मुख्यमंत्री के रूप में वे स्वाभाविक उम्मीदवार हैं। ऐसा कांग्रेस में दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है। पार्टी में न तो तय है कि चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा और न ही कांगे्रस ने अभी तक मुख्यमंत्री के रूप में किसी को प्रोजेक्ट किया है। यूं तो प्रदेश में कांग्रेस की ओर से कथित तौर पर प्रदेश कांतिलाल भूरिया ही मुख्यमंत्री के दावेदार हैं, लेकिन वेटिंग सीएम की लंबी कतार है। ऐसे में पार्टी एकजुट नहीं हो पा रही है। कांग्रेस की गुटबाजी के कारण ही वर्ष 2003 में कांग्रेस भाजपा की उमा भारती के हाथों चुनाव हार गई थी। वर्ष 2008 में कांग्रेस भारी गुटबाजी के चलते शिवराज सिंह चौहान के हाथों चुनाव हारी थी। वर्ष 2013 में भी कांग्रेस गुटबाजी से अलग दिखाई नहीं दे रही है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की लहर इधर कांग्रेस मानकर चल रही है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की लहर चल रही है। प्रदेश सरकार का भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा है। किसान, सरकारी कर्मचारी, शिक्षाकर्मी,दैवेभो,अध्यापक,संविदाकर्मी,गुरूजी आदि सरकार से नाराज है। इन पर होगी जिम्मेदारी प्रदेश में भाजपा की सरकार को तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने के लिए पार्टी का एक सूत्रीय मंत्र है शिवराज की घेराबंदी। इसके लिए कांग्रेस नेतृत्व ने सीएम इन वेटिंग दिग्विजय सिंह,ज्योतिरादित्य सिंधिया,कमलनाथ,सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया और अजय सिंह को क्षेत्रवार जिम्मेदारी सौंपेगा। शिवराज का व्यक्तिगत वोटबैंक सबसे बड़ा टेंशन मध्यप्रदेश में एक दशक बाद सत्ता में वापसी की कोशिश में कांग्रेस शिवराज के व्यक्तिगत वोटबैंक को अपने मिशन में बाधक मान रही है। चुनावों की तैयारियों से पहले जमीनी हकीकत की समीक्षा के बाद कांग्रेस हाईकमान ने इन हालात को देखते हुए तय किया है कि प्रदेश में पार्टी बिना चेहरे के नहीं दिखेगी। दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौैरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया आदि तमाम क्षत्रपों के गुटों में बंटी कांग्रेस कहीं से भी शिवराज के सामने खड़ी नहीं दिख रही है। लिहाजा, पार्टी ने तय किया कि यहां पर युवा चेहरे के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया को आगे बढ़ाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी ने इस पर मुहर लगा दी है। सिंधिया को इस बात के संकेत भी दिए जा चुके हैं। गुटबाजी और अनुशासनहीनता रोकने सख्त फैसले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद कहते हैं कि प्रदेश में गुटबाजी और अनुशासनहीनता रोकने पार्टी नेतृत्व सख्त कदम उठाएगा। नेता चाहें बड़ा हो या छोटा सबको एक नजरिए से देखा जाएगा। उधर प्रदेश कांग्रेस में साफ तौर पर पांच गुट दिखाई दे रहे हैं। इनमें सबसे ताकतवर और प्रभावी गुट पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी का अपना गुट है। फिलहाल पचौरी खेमा दिग्विजय सिंह समर्थकों के साथ कदमताल कर सक्रिय बना हुआ है,लेकिन कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और अरुण यादव गुट प्रदेश संगठन में अपने समर्थकों की कथित उपेक्षा के कारण पूरी तरह निष्क्रिय हैं।

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