गुरुवार, 14 मार्च 2013

मप्र में कपाट बंद... तो उप्र कार्यकारिणी में उमा का नाम नहीं..!

भोपाल। कभी भाजपा की राजनीति की धूरी रही साध्वी उमा भारती की स्थिति यह हो गई है कि न उन्हें घर(मप्र) में जगह मिल रही है और ना ही बाहर(उप्र) वाले पुछ रहे हैं। उधर खबर है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की टीम में भी उनको जगह मिलने की संभावना कम नजर आ रही है। ऐसे में उमा कहां जाएंगी यह सवाल हर किसी के मन में उठ रहा है। 7 साल से राजनीति वजूद अधर में 2005 में जब उमा भारती को पार्टी से निकाला गया था तब से लेकर अब तक वे अपना दमदार राजनीतिक वजूद बनाने में लगी हुई हैं लेकिन उन्हें मजबुत आधार नहीं मिल पा रहा है। जून 2011 में भाजपा में वापसी के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश में अजमाया गया लेकिन वह वहां नहीं चल सकी। विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार के बाद उन्होंने मप्र में सक्रिय होने के प्रयास किए लेकिन यहां पर नेताओं ने उनके लिए कपाट बंद कर दिए। यहां अपनी सक्रियता बढ़ाने के लिए उन्होंने संघ और संगठन का भी सहारा लिया लेकिन मप्र में सबकुछ बेहतर चल रहा है कह कर टाल दिया गया। अभी हाल ही में बांद्राभान में आयोजित एक कार्यक्रम में भी वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ मंच पर दिखी। प्रदेश में यह पहला आयोजन था जहां दोनों नेता एक साथ दिखे। उसके बाद खबर आई की उमा प्रदेश में सक्रिय होने के प्रयास में लगी हुई हैं। ऐसे में उनके लिए हैरान करने वाली एक खबर यह आई है कि उन्हें भाजपा उत्तर प्रदेश इकाई की कार्यकारिणी में भी जगह नहीं मिल पाई है। प्रदेश नेतृत्व की तरफ से हालांकि संशोधित सूची जारी करने की बात भी कही जा रही है। उमा को नई टीम में जगह नहीं मिलने के बारे में प्रदेश अध्यक्ष वाजपेयी का कहना है कि उमा भारती का नाम भूलवश छूट गया है, संशोधित सूची जल्द ही जारी की जाएगी, जिसमें उनका नाम स्थाई आमंत्रित सदस्यों के साथ शामिल किया जाएगा। वाजपेयी ने कहा कि उमा भारती राष्ट्रीय स्तर की नेता हैं और इस नाते उन्हें स्थाई आमंत्रित सदस्यों की श्रेणी में आने का अधिकार प्राप्त है। दो बार पार्टी से हो चुकी हैं बाहर राम मंदिर आंदोलन के अग्रदूतों में से एक रहीं उमा भारती एक समय न सिर्फ भाजपा और हिंदुत्व का चेहरा तो थी हीं बल्कि सामाजिक न्याय का भी प्रतिनिधित्व किया करती थीं। भाजपा की प्रमुख प्रचारकों में से एक रहीं उमा भारती अपने उग्र भाषणों के जरिए बार-बार पार्टी के लिए लोगों के वोट को खींचने का काम करती रहीं। मध्य प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस सरकार को बेदखल करने का श्रेय भी उमा भारती को ही जाता है। साल 2003 के चुनावों में भारी जीत हासिल करने वाली भाजपा की ओर से उमा भारती प्रदेश की मुख्यमंत्री बनाई गईं। उमा भारती को दो बार भारतीय जनता पार्टी से निकाला गया। पहली बार साल 2004 में उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी के खिलाफ बयानबाजी की। हालांकि जल्द ही वर्ष 2005 में उनकी पार्टी में वापसी हो गई। इसके बाद 2005 के अंत में पार्टी द्वारा शिवराज सिंह चौहान को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री निर्वाचित करने पर उन्होंने फिर भड़काऊ बयान दिए, जिसके कारण उन्हें एक बार से बाहर का रास्ता देखना पड़ा। जून 2011 में उमा भारती को पार्टी में दोबारा शामिल कर लिया गया और उनकी अगुआई में उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ा गया लेकिन उनका जादू नहीं चल पाया और भाजपा को करारी हार मिली।

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