बुधवार, 12 मार्च 2014

सल्तनत पाने बेकरार बलखड़िया

चुनाव, तेंदूपत्ता और महुए की फसल अच्छी आने के साथ ही 6 लाख का ईनामी स्वदेश सिंह बलखड़िया अपने 14 सदस्यीय गिरोह के साथ ददुआ एवं सुंदर की तराई के जंगलों में कायम सल्तनत पर कब्जा पाने को बेकरार दिख रहा है। असल में चुनाव में प्रत्याशी से आर्थिक लाभ डकैतों द्वारा वसूला तो जाता ही है और तेंदूपत्ता तुड़ाई का ठेका लेने वाले ठेकेदारों से भी रंगदारी की भी मांग की जाएगी। जिससे ही बलखड़िया गिरोह ने अपनी गतिविधि बड़ा दी हैं। गिरोह की गतिविधिया बढ़ने में एक कारण महुआ भी है। असल में जिले के जवा एवं त्योंथर तहसील सेमरिया के जंगल सतना जिले के मझगवां, नागौद, ऊंचेहरा, यूपी के चित्रकूट, मानिकपुर, बांदा, कर्वी एवं हड़हाई के जंगल में महुआ के पेड़ बहुतायत संख्या में है। जिसके बिनाई का काम टेंडर में वन समितियों द्वारा लिया जाता है। उक्त महुए पर भी डकैतों की नजर बनी रहती है।
रीवा जिले के जंगलों की सीमा यूपी के जंगलों से लगी हुई है। लिहाजा इन जंगलों में लंबे समय से डकैतों का अधिपत्य रहा है। चुनाव की घोषणा होने के बाद अब जंगलों में डकैतों की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सुगबुगाहट का अंदाजा डकैतों द्वारा कुछ दिनों से की जा रही घटनाओं से लगाया जा सकता है। सूत्रों की माने तो डकैत इन दिनों जंगल में चुनाव नजदीक आने के साथ-साथ तेंदूपत्ता और महुआ अच्छा होने से जश्न मना रहे है। डकैत अपना मनोरंजन के लिए तमंचे पर डिस्कों पर भी कर रहे है। उत्तर प्रदेश से लगी सीमा मानिकपुर व मझगवां के बीच रह-रहकर बलखड़िया गिरोह की मूवमेंट न केवल देखने को मिल रही है बल्कि उनके द्वारा दहशत फैलाने की नीयत से विगत एक महीने के अंदर तीन से अधिक वारदात को अंजाम भी दिया जा चुका है। चुनाव में जहां वैलेट को सजातीय नेताओं के पक्ष में लाने के लिए बुलट का इस्तेमाल गिरोह द्वारा किया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ गिरोह के अन्य भी उद्देश्य हैं। जिससे न केवल गिरोह की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। बल्कि सालों से उन्हें जंगल की रंगदारी मिलती रही है। पुलिस एम्बुस लगाकर जंगल सर्चिंग करने की बात करती है। लेकिन एडिश के जानकारों की माने तो यह सर्चिंग सिवाय सड़कों के अलाव कहीं भी होती नहीं दिखाई देती है।
वारदात से करते अपना प्रचार
प्रशासन खुलेतौर पर प्रचार करने को ही प्रचार करना मानता है। लेकिन लम्बे समय से तराई के लिए कैंसर साबित हो रही दस्यु समस्या अब बढ़ती जा रही है। एक डकैत के मरने के बाद दूसरे डकैत को न पनपने का दावा पुलिस प्रशासन करता है, लेकिन उनका दावा हर बार फेल हो जाता है। दस्यु सम्राट बनने की होड़ में जुटे बलखड़िया गिरोह के प्रचार करने का अंदाज ही कुछ अलग है। वारदात को अंजाम देना या फिर यूपी के ग्राम प्रधानों को धमकाकर प्रचार करना फितरत में शामिल हो चुका है। जिससे प्रशासन प्रचार की श्रेणी में नहीं मानता है। लेकिन यही वह जरिया है जिसके चलते तकरीबन तराई अंचल के 29 फीसदी मतों बुलट का साया पड़ता है।
बढ़ सकता है ईनाम
सुन्दर के मरने के बाद स्वदेश सिंह बलखड़िया तराई अंचल का सबसे बड़ा ईनामी डकैत बन गया है। स्वदेश सिंह बलखड़िया पर उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 लाख एवं मप्र सरकार ने 1 लाख का दांव लगाया है। कहने के लिए तो उत्तर प्रदेश की एसटीएफ टीम उक्त डकैत के इनकाउण्टर के लिए मोर्चा सम्हाल रखी है। दो दिन पूर्व मुखबिर की सटीक सूचना पर एसटीएफ की मुठभेड़ भी बैलपुरवा चौकी अंतर्गत धमनी नामक नाले के समीप हुई थी। लेकिन अंधेरे का लाभ उठाकर गिरोह भागने में कामयाब हो गया था।
ये हैं सुगबुगाहट के संकेत
- दो दिन पूर्व मारपीट-अतर्रा थाना अंतर्गत ग्राम करसूमा के पंचपेड़ियापुर टोला में लेबर तपके के तकरीबन आधा दर्जन युवकों के साथ बलखड़िया गिरोह के सदस्यों ने मारपीट की है। सूचना पाकर मौके पर पहुंची यूपी पुलिस ने घेराबंदी कर गिरोह के सदस्यों को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन गिरोह पुलिस के हाथ नही लग पाये।
- गैंगमैन सहित कर्मचारियों के साथ की थी मारपीट- चुनाव को देखते हुए दहशत फैलाने की नीयत से बलखड़िया गिरोह ने फरवरी के प्रथम सप्ताह में टिकरिया रेलवे स्टेशन पर कार्यरत गैंगमैन सहित कर्मचारियों के साथ मारपीट कर न केवल रंगदारी वसूल की थी बल्कि उन्हें साफ लहजे में चेतावनी दी थी कि यहां सपा का राज नहीं बल्कि दस्यु सम्राट की हुकूमत चलती है।
- हांक ले गए थे बकरियां-विश्वस्थ सूत्रों की माने तो सेमरिया थाना अंतर्गत कटई जंगल में बकरी चराने गए ददई प्रसाद पाल को गिरोह के सदस्यों ने मारपीट कर घायल करने के बाद 30 बकरियां हाक ले गए थे। हालांकि शुरूआती दिनों में छोटे-मोटे अपराधियों द्वारा वारदात को घटित करना माना जा रहा था। लेकिन सशस्त्र गिरोह के सदस्य व मोबाइल टॉवर लोकेशन के बाद एडी के जानकार इस गतिविधि को गिरोह से जोड़कर देख रहे हैं।
- टेंडर के पहले रंगदारी- वन विभाग द्वारा जारी निविदा के अनुसार तेंदूपत्ता की तुड़ाई कराने का काम लेने वाले ठेकेदार सुल्तान खान ने बताया कि अभी उन्हें ठेका मिला भी नहीं है, लेकिन एक अननोन नंबर से कॉल आया था कि ठेका तभी लेना जब तुम्हे 3 लाख की रंगदारी देनी हो। हालांकि उनके द्वारा इसकी रिपोर्ट थाने में दर्ज नहीं कराई गई है। उनका कहना है कि ठेका मिलने के बाद अगर पुनः रंगदारी के लिए फोन आता है तो मामला दर्ज कराएंगे।
गिरोह की क्या बात की जाए। गिरोह कभी एमपी तो कभी यूपी के बीच में स्थित जंगलों में देखा जाता है। यह तेंदूपत्ता या चुनाव में असर पहुंचाएंगे यह तो तय है। बस इंतजार इस बात का है कि सही सूचना, सटीक टाइम एवं समतल मैदान में मुठभेड़ होने के साथ ही बलखड़िया का चेप्टर खत्म हो जाएगा।
-जवाहर, पुलिस कप्तान, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश
अब गिरोह है वारदात को अंजाम देता है तो कायमी होती है। हम तलाश कर रहे हैं मिलने के साथ ही मामला फाइनल होगा। मुखबिरों का जाल फैला है, एसटीएफ भी काम रही है। अगर समय अच्छा रहा तो परिणाम जल्द ही बेहतर होंगे।
अरविंद सेन, पुलिस कप्तान, बांदा उत्तर प्रदेश।
तीनों ही बातें महत्वपूर्ण हैं। चुनाव तेंदूपत्ता व महुआ को लेकर डकैतों के मूवमेंट बढ़ते हैं। जिसे देखते हुए तराई में एलर्ट घोषित किया गया है। सर्चिंग जारी है। सूचना इकठ्ठा की जा रही है। दो दिन पूर्व मैं स्वयं जंगल की सर्चिंग में था।
-केसी जैन, डीआईजी, सतना
डकैत चुनाव को प्रभावित न करें इसके लिए दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं। सर्चिंग जारी है और लगातार तराई अंचल पर नजर बनी हुई है। मुखबिरों को और टटस करने का काम किया जा रहा है। अगर सटीक सूचना हाथ लगी तो इनकाउंटर से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
-पवन श्रीवास्तव, आईजी, रीवा रेंज

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