शुक्रवार, 21 मार्च 2014

मप्र के 30,000 गांवों में रोजी-रोटी का संकट!

-ओलावृष्टि से 13000 करोड़ रूपए का नुकसान
-राज्य सरकार ने घोषित की 2600 करोड़ की राहत राशि,केंद्र ने नहीं दिया एक पाई
-रोजाना एक किसान कर रहा आत्महत्या
-हवा-हवाई सर्वे कर औपचारिकता पूरी की केंद्रीय दल ने
भोपाल। मप्र में अब तक हुई ओलावृष्टि से करीब 30,000 गांवों की खेती पूरी तरह तबाह हो गई है। इस तबाही से इन गांवों में रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। कई गांवों में लोग पलायन करने लगे हैं। उधर,फसलों के तबाह होने के कारण प्रदेश में रोजाना एक किसान आत्महत्या कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ ओलावृष्टि मामले में अब तक केंद्र सरकार से 5000 करोड़ के विशेष पैकेज की मांग कर रही प्रदेश सरकार का अनुमान है कि अब तक 13000 करोड़ रूपए से ज्यादा का हुआ है नुकसान। इस नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने अब 2,000 करोड़ रूपए की जगह 2,600 करोड़ रूपए राहत के तौर पर देने की घोषणा की है,लेकिन अभी तक केंद्र की तरफ से एक पाई भी नहीं मिली है। उधर, ओलावृष्टि के कारण प्रभावित फसलों का आकलन करने आया 9 सदस्यीय केंद्रीय दल ने हवा-हवाई सर्वे कर महज औपचारिकता पूरी की है।
प्रदेश में पिछले एक पखवाड़े से बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की खेती पूरी तरह बर्बाद हो गई है। 10 मार्च को हुई ओलावृष्टि से बची-खुची फसल भी तबाह हो गई। ऐसे में कर्ज के बोझ से दबे किसान अब रोजगार के लिए महाराष्ट्र,पंजाब,दिल्ली और दक्षिण भारत के शहरों का रूख कर रहे हैं। पलायन करने वालों में सबसे अधिकबैतूल,दमोह,धार,उमरिया,बुरहानपुर,नरसिहपुर,कटनी,छतरपुर,टीकमगढ़ आदि जिलों के लोग हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में आलावृष्टि के कारण सबसे अधिक फसलें सागर, विदिशा,दमोह,राजगढ़,मुरैना,ग्वालियर,नीमच,देवास,सिवनी,रायसेन,धार,उमरिया,बुरहानपुर,कटनी, नरसिहपुर,जबलपुर,अशोकनगर,सतना,शिवपुरी,छतरपुर,सीहोर,बैतूल,होशंगाबाद,भोपाल,दतिया,रतलाम,खंडवा,रीवा, टीकमगढ़,बालाघाट और छतरपुर में बर्बाद हुई हैं। बैतूल,राजगढ़,विदिशा में तो खेतों में दो फूट तक ऊंची बर्फ की चादर बिछ गई, जो तीन घंटों बाद भी नहीं पिघली। बैतूल जिले में ओलावृष्टि की सूचना मिलते ही विधायक हेमंत खंडेलवाल और अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) आदित्य रिछारिया सहित अन्य राजस्व कर्मचारियों ने प्रभावित गांवों का दौरा कर किसानों का ढांढस बंधाया। विधायक हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि बैतूल जिले में पिछले पखवाड़े से अलग-अलग स्थानों पर हो रही ओलावृष्टि से किसान पूरी तरह तबाह हो गए हैं, क्योंकि इस ओलावृष्टि से गेहूं, चने, मसूर और अरहर सहित रबी की अन्य फसलें बुरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। उन्होंने कहा कि इस ओलावृष्टि से अब जिले का कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रह गया है।
100 प्रतिशत तक नुकसान
सतना सांसद गणेश सिंह ने बताया कि जिले के 230 गांव में ओलावृष्टि से शत प्रतिशत व शेष गांवों में अतिवृष्टि से मसूर, चना, मटर जैसी फसलों का भारी नुकसान हुआ है। नजरी आंकलन के मुताबिक लगभग 90 करोड़ रुपए की राहत राशि दिए जाने के लिए हेतु मांग पत्र जिला प्रशासन ने प्रदेश सरकार को भेजा है। सिंह ने किसानों को आश्वस्त किया है कि वास्तविक आंकलन के आधार पर राहत राशि सीधे किसानों के खातों में जमा होगी। ग्वालियर कलेक्टर पी नरहरि के अनुसार घाटीगांव और चीनोर के लगभग 35 गांवों में ओले गिरने के कारण फसलों को 50 से 100 प्रतिशत नुकसान हुआ हैं। चीनोर तहसील में आने वाले अमरौल, झांकरी, बेवनी, पिपरौआ, पुरा बनवार, बनवार, पुरवा, ऊर्वा, मऊछ, रिछैरा,सूरजपुर,बीनवाड़ी, दुबहा, दुबई, मेहगांव, करैया, छजा,घाटीगांव के भी 15 गांव के किसान इस ओला वृष्टि में प्रभावित हुए हैं। मैंने व अन्य अधिकारियों ने गांवों में जाकर निरीक्षण किया जिसमें बहुत बड़े स्तर पर नुकसान होने की बात पुष्ट हो रही है। सर्वे कार्य जल्द पूर्ण कर मदद दिलाने के प्रयास शुरू करेंगे।
10,000 करोड़ के कर्ज में किसान
पिछले कई सालों से मध्यप्रदेश के किसान गहरे संकट में है। यह संकट है उनकी छोटी होती कृषि भूमि, मंहगी होती खेती और बार-बार नष्ट होती फसलों का, जिसके चलते वे कर्ज के भारी बोझ को ढोने के लिए विवश है। स्थिति तब ज्यादा गंभीर हो जाती है जब संकट से जूझते हुए किसान आत्महत्या को विवश हो जाते हैं। देश के अन्य राज्यों की तरह आज मध्यप्रदेश को भी इसी दर्दनाक स्थिति से गुजरना पड़ रहा है। यदि हम पूरे मध्यप्रदेश में किसानों पर कर्ज की मात्रा का आकलन करेंं तो पाते हैं कि प्रदेश के किसान करीब दस हजार करोड़ रूपए से भी ज्यादा के कर्जदार हैं। क्योंकि अपेक्स बैंक के रिकॉर्ड में किसानों पर साढ़े सात हजार करोड़ रूपए कर्ज के रूप में दर्ज हैं। इसमें कम से कम ढाई हजार करोड़ का साहूकारी कर्ज जोड़ दें तो यह आंकड़ा दस हजार करोड़ को पार कर लेता है। किसानों की आत्महत्या के पीछे कर्ज एक बड़ा कारण है। लघु और सीमांत किसानों के लिए बगैर कर्ज से खेती करना लगभग असंभव हो गया है। बैंकों से मिलने वाला कर्ज अपर्याप्त तो है ही, साथ ही उसे पाने के लिए खूब भागदौड़ करनी पड़ती है। इस दशा में किसान आसानी से साहूकारी कर्ज के चंगुल में फंस जाते हैं। मध्यप्रदेश में आत्महत्या करने वाले किसान 20 हजार से लेकर 3 लाख रूपए तक के साहूकारी कर्ज में दबे थे। साहूकारी कर्ज की ब्याजदर इतनी ज्यादा होती है कि सालभर के अंदर ही कर्ज की मात्रा दुगनी हो जाती है।
किसान खा रहे जहर
बीते वर्ष की भांति इस वर्ष भी किसानों के द्वारा आत्महत्या करने और जहरीले पदार्थ के सेवन करने का सिलसिला शुरू हो गया है। प्रदेश में प्रतिदिन एक किसान बर्बाद फसलों के कारण मौत को गले लगा रहा है,जबकि 2 किसान कर्ज के बोझ के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। ओला और बारिश के कारण बर्बाद हुई फसल के बाद अब किसानों को न केवल अपने तथा अपने परिवार के भरण पोषण की चिंता सताने लगी है, बल्कि फसल के लिए बैंक से लिए कर्जे को चुकाने की भी चिंता सताने लगी है। 11 मार्च को दमोह जिले में ओलावृष्टि से फसल चौपट होने से दुखी किसान पिता-पुत्र ने खेत में लगे पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पटेरा थाना क्षेत्र के रमगढ़ा गांव के भैयालाल पटेल के परिवार ने लगभग 10 एकड़ में फसल बोई थी। पिछले दिनों हुई बारिश और ओलावृष्टि से उनकी फसल पूरी तरह चौपट हो गई है। सरकार की ओर से भी कोई मदद नहीं मिली थी। हालांकि मप्र सरकार के द्वारा फसलों को हुए नुकसान के मुआवजे की घोषणा तो कर दी गई थी लेकिन मुआवजा अभी तक नही मिल पाया है, जिसके कारण इन किसानों में रोष भी देखा जा रहा है। ऐसे में किसान आंदोलन भी करने पर उतारू हैं।
3 साल में 4,025 किसानों ने की आत्महत्या
प्रदेश में आसमान से बरस रही आपदा ने फसलों को बुरी तरह चौपट कर दिया है, इससे किसान टूट चले हैं और वे आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। जनवरी 2011 से लेकर अब तक प्रदेश में 4,025 किसान मौत को गले लगा चुके हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011 में 1326,वर्ष 2012 में 1172 और वर्ष 2013 से अभी तक करीब 1523 किसानों किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने की बात से सामने आती है।
कलेक्टर ने मांगा मुआवजा मिली फटकार
ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा देने के लिए 12 मार्च को जब मुख्य सचिव एंटोनी जेसी डीसा वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए कलेक्टरों को निर्देश दे रहे थे उस समय होशंगाबाद कलेक्टर राहुल जैन सीएस से कहा कि किसानों को राहत देने के लिए उन्हें अतिरिक्त राशि की आवश्यकता है। इस पर सीएम ने सख्त लहजे में पूछा कि उनके जिले में राहत के नाम पर बैंक खाते में 94 करोड़ रुपए जमा हैं, पहले वे इस राशि को खर्च करें। सीएस ने सभी कलेक्टरों से कहा कि वे अपने खातों में रखी राशि को तुरंत जरूरतमंद किसानों तक पहुंचाए। इसके बाद अगर राशि में कमी आती है तो अतिरिक्त राशि दी जाएगी। सीएस ने कलेक्टरों को निर्देश देते हुए कहा है कि बारिश में हुई क्षति का आकलन कर कलेक्टर पूरक प्रतिवेदन भोपाल भेजें। कलेक्टर कर्ज में राहत देने के लिए एक हफ्ते में बैठक कर नाबार्ड की गाइड लाइन के मुताबिक निर्णय लेंगे।
उधर,केंद्रीय कृषि आयुक्त डॉ. जे एस संधु ने बताया कि असमय की बारिश से मध्य प्रदेश में रबी फसलों को हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए गई केंद्रीय टीम के अनुसार फसलों को भारी नुकसान तो हुआ है, लेकिन कुल नुकसान का ब्यौरा आकलन के बाद ही पता चलेगा। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश की राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से फसलों के नुकसान का जायजा लेने के लिए पत्र लिखा था। इन सब के बीच कृषि मंत्रालय ने चालू रबी में गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार 956 लाख टन होने का अनुमान लगाया है। प्रदेश सरकार अब ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को मुआवजा देने के लिए केंद्र सरकार की मदद का इंतजार नहीं करेगी। वह चुनाव आयोग से अनुमति लेकर किसानों को मुआवजा बांटने की कार्यवाही जल्द शुरू करेगी।
अब 2600 करोड़ रुपए की राहत राशि
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से 2 हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है जो कि काफी नहीं है। इस बजट को बढ़ा कर 26 सौ करोड़ किया जा रहा है। सीएम ने बताया कि केंद्र को प्रदेश में हुई ओलावृष्टि की भयावहता से अवगत कराने के लिए नुकसान की वीडियो रिकार्डिंग कराई गई है। यह रिकार्डिंग केंद्र से सर्वे के लिए आए विशेष दल को दिखाया गया है।
अब तक इतना हुआ नुकसान
-3 लाख मीट्रिक टन मसूर
-10 लाख मीट्रिक टन चना
-20 लाख मीट्रिक टन गेंहूं
-1.50 लाख मीट्रिक टन अन्य फसलों का
-30 हजार गांवों की फसल बर्बाद
-13000 करोड़ रूपए का नुकसान
ओला प्रभावित गांवों का 'हवा-हवाईÓ सर्वे!
ओलावृष्टि में नष्ट हुई फसलों का जायजा लेने आए केंद्रीय दल ने महज दो दिन के अंदर सर्वे निपटा दिया। किसी गांव में 10 तो किसी में 35 मिनट रूक कर उन्होंने रिपोर्ट तैयार की। हवा-हवाई हुए इस सर्वे के दौरान किसानों ने खूब अधिकारियों से खेतों पर चलने की विनय की, मगर अधिकारी नहीं पहुंच पाए। दरअसल तबाह हो चुकी फसलों का जायजा लेने के लिए पहुंचे अधिकारियों ने फसलों का जायजा तो लिया, मगर समय कम देने की वजह से किसान व्यथित हो गए।
केंद्रीय अध्ययन दल ने भोपाल और होशंगाबाद संभाग के भी कई इलाकों का दौरा किया। एक केंद्रीय अध्ययन दल ने विदिशा और सिरोंज के नौलास, बरुघाट, मुंडरा, पालकी गांवों में हेलीकॉप्टर से उतरकर ओलावृष्टि और उससे हुए नुकसान का निरीक्षण किया। रायसेन जिले के बेगमगंज, सिलवानी, सीहोर जिले के रेहटी, नसरुल्लागंज, आष्टा तहसीलों में अध्ययन दल पहुंचा। यहां पर अधिकारियों ने करीब 30 मिनट तक आसपास के दो खेतों में सर्वे किया और वापस लौट गए।
रोने लगीं महिलाएं...
सुबह करीब 10.30 बजे हेलीकाप्टर से अधिकारी टीकमगढ़ के नगर पंचायत कारी के आलमपुरा पहुंचे। वे सबसे पहले चार पहिया वाहन में सवार होकर करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित रहीस खां के खेत पर पहुंचे और खेत की चौपट फसल जायजा लिया। उन्होंने खेत में से एक गेहूं की बाल को तोड़ी हथेली में मसलन कर देखा और आगे चल दिया।
यहां पर जैसे ही अधिकारी गाड़ी पर सवार होने लगे। ग्रामीण गाड़ी के आगे खड़े हो गए और आगे चलकर फसलें देखने के लिए कहा, मगर अधिकारी नहीं माने। निरीक्षण दल के अधिकारी तो गाड़ी का शीशा चढ़ाकर अंदर बैठ गए, बाहर ही नहीं निकले। इसी बीच ग्रामीण झुल्लन पांडे, चुनुआ और सरजू अहिरवार ने अधिकारियों से खूब विनय की, मगर किसी ने सुना नहीं। कलेक्टर ने उन्हें दोबारा निरीक्षण कराने का आश्वासन दिया। वापस अधिकारी हेलीपेड पर पहुंचे और पास के खेत का जायजा लेने लगे।
इस बीच ग्रामीण महिलाओं का समूह एकत्रित हो गया और अपनी व्यथा सुनाने लगा। ग्रामीण महिला रामा बाई और इमल बाई अधिकारियों के सामने रोने लगीं। उन्होंने कहा कि ओला गिरने से फसलें चौपट हो गईं हैं। घर के खप्पर फूट गए हैं। खेत में डठुआ ही डठुआ नजर आ रहे हैं। वे क्या खाएं और बच्चों को क्या खिलाएं। इस पर कलेक्टर डॉ. खाडे ने महिलाओं को चुप कराया। बाद में अधिकारी जिला मुख्यालय पर सर्किट हाउस के लिए रवाना हो गए। जहां पर उन्होंने रेस्ट किया और खाना खाया। ऐसा ही नजारा पूरे प्रदेश में सर्वे के दौरान नजर आया।
100 फीसद नुकसान पर ही मुआवजा
प्रदेश में ओला वृष्टि से तबाह हुई फसलों पर केंद्रीय दल ने आते ही साथ केंद्र सरकार का इस मामले में रूख साफ कर दिया है। मंत्रालय में विभागीय अफसरों के साथ चर्चा में दल के अधिकारियों ने कहा कि केवल 100 फीसद नुकसान वाले प्रकरणों में ही किसानों को मुआवजा बांटा जाएगा। केंद्रीय रुख से ओला वृष्टि से तबाह किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती है क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले ही ये घोषणा कर चुके हैं कि 50 फीसद नुकसान को भी 100 फीसद नुकसान माना जाएगा।

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