शुक्रवार, 21 मार्च 2014

2 साल में 1500 करोड़ की काली कमाई सरेंडर

67 सरकारी कारिंदों से &48 करोड़ की कमाई जब्त
भोपाल। मध्य प्रदेश में आयकर, लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू ने पिछले दो सालों में करीब दो सौ से Óयादा जगह छापे मारे और करीब 1500 करोड़ रुपए की काली कमाई उजागर की है। यह इस बात का संकेत है कि मप्र में लगातार काली कमाई और टैक्स चोरों का आंकड़ा बढ़ रहा है। प्रदेश में वर्ष 2011-12 में आयकर छापे की कार्रवाई में काली कमाई सरेंडर का आंकड़ा &90 करोड़ रुपए था। यह वर्ष 2012-1& में 720 करोड़ पहुंच गया है। वहीं लोकायुक्त और इओडब्लयू ने दो वर्ष में करीब 400 करोड की अवैध कमाई का भंडाफोड किया है। पार्टी अपने मंत्रियों और पदाधिकारियों को तो लगातार सबक दे रही है कि वे कोटा-परमिट, मकान-दुकान, खदान से दूर रहें पर नौकरशाही की मुश्कें कसना राÓय सरकार के लिए भी बेहद मुश्किल भरा साबित हो रहा है। भ्रष्टाचार का नजारा यह है कि भ्रष्ट अरबपति अफसरों और करोड़पति क्लर्को, बाबुओं, चपरासियों में एक-दूसरे को पछाडऩे की होड़-सी चल रही है। आयकर से मिली जानकारी के अनुसार इस साल मप्र-छग में कुल 720 करोड़ रुपए छापे की कार्रवाई में सरेंडर हुए हैं। इस आंकड़े में और इजाफा भी हो सकता है। कई मामलों में अभी जांच जारी है। इस रकम में सबसे Óयादा &20 करोड़ रुपए रियल एस्टेट के कारोबारियों से सरेंडर हुए हैं जिनमें इंदौर और भोपाल के कारोबारियों पर हुई कार्रवाई शामिल है। इस वित्तीय वर्ष में मप्र-छग के 16 ग्रुप पर विभाग ने छापे की कार्रवाई को अंजाम दिया था। जहां से 17 करोड़ की नकद रकम को सीज किया गया है वहीं 8.75 करोड़ के जेवरात भी बरामद किए गए हैं। इसके साथ विभाग ने कार्रवाई में 26 करोड़ की संपत्ति भी जब्त की है। इसके अलावा विभाग ने आयरन सेक्टर से 250 करोड़ और शराब कारोबार से 100 करोड़ सरेंडर कराया है।
अरबपति अफसरों और करोड़पति क्लर्क
भ्रष्टाचार का नजारा यह है कि भ्रष्ट अरबपति अफसरों और करोड़पति क्लर्को, बाबुओं, चपरासियों में एक-दूसरे को पछाडऩे की होड़-सी चल रही है। लोकायुक्त संगठन द्वारा पिछले ढाई वर्ष में प्रदेश में 20& रिश्वतखोर अधिकारी-कर्मचारियों को पकड़ा। 81 के यहां छापामार कार्रवाई कर 10& करोड़़ की संपत्ति जब्त की है। इन सरकारी आंकड़ों से मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। सूबे में लोकायुक्त पुलिस और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने भ्रष्टाचार की शिकायतों के मद्देनजर पिछले दो साल में 67 सरकारी कारिंदों के ठिकानों पर छापे मारकर करीब &48 करोड़ रुपये की काली कमाई जब्त की। इन कारिंदों में चपरासी, क्लर्क, अकाउन्टेन्ट और पटवारी से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा के बड़े अफसर शामिल हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर के क्षेत्र क्रमांक एक के भाजपा विधायक सुदर्शन गुप्ता के विधानसभा में उठाये गये सवाल पर यह जानकारी दी थी। गुप्ता ने मुख्यमंत्री के हालिया जवाब के हवाले से बताया कि प्रदेश में पिछले दो साल के दौरान लोकायुक्त पुलिस ने 52 सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के ठिकानों पर छापे मारे। वहीं ईओडब्ल्यू ने 15 अधिकारियों और कर्मचारियों के ठिकानों पर छापेमारी की। उन्होंने सरकारी आंकड़ों के आधार पर बताया कि दोनों जांच एजेंसियों के छापों में इन 67 सरकारी कारिंदों के ठिकानों से करीब &48 करोड़ रुपये की रकम जब्त की गयी। उधर, प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की मानें तो लोकायुक्त पुलिस और ईओडब्ल्यू की कार्रवाई से बड़े मगरम'छ अब भी बचे हुए हैं। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा कहते हैं कि, सूबे में क्लर्क और पटवारी जैसे अदने कर्मचारियों के ठिकानों पर इन जांच एजेंसियों के छापों में करोड़ों रुपये की मिल्कियत उजागर हो रही है। इससे बड़े नौकरशाहों और मंत्रियों की काली कमाई का अंदाजा लगाया जा सकता है।
ढाई वर्ष में 20& रिश्वतखोरों को पकड़ा:नावलेकर
प्रदेश के लोकायुक्त पीपी नावलेकर कहते हैं कि लोकायुक्त संगठन द्वारा पिछले ढाई वर्ष में प्रदेश में 20& रिश्वतखोर अधिकारी-कर्मचारियों को पकड़ा। 81 के यहां छापामार कार्रवाई कर 10& करोड़़ की संपत्ति जब्त की है। संगठन की नजरों में कोई भी बड़़ा या छोटा नहीं है। शिकायत मिलने पर सभी श्रेणी के अफसर व कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि छोटे स्तर के अधिकारियों पर कार्रवाई करने का मतलब यह नहीं है कि प्रथम श्रेणी के अफसरों पर कार्रवाई नहीं होती है। आम आदमी निचले स्तर के अफसर व कर्मचारी द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार से परेशान है। यही शिकायतें भी अधिक आती हैं। प्रारंभिक स्तर पर परीक्षण के बाद ही कार्रवाई की जाती है।
10 साल में 50,000 करोड़ की हेराफेरी
राÓय के प्रमुख सचिव से लेकर पटवारी तक सरकारी कर्मचारी इन दिनों करोड़पति बन चुके है। अनुमान के अनुसार पिछले दस वर्षो के दौरान मध्यप्रदेश में पचास हजार करोड़ से अधिक की हेराफेरी सरकारी खजाने में की गई है। मध्यप्रदेश को एक सुशासन देने का दावा करने वाली सरकार इस भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में असफल रही है। एक अनुमान के अनुसार भ्रष्टाचार की अब तक वसूली गई रकम को यदि सरकार इन अधिकारी, कर्मचारियों से बाहर निकाल दे तो मध्यप्रदेश को अपने विकास कार्यो के लिए आने वाले बीस सालों तक किसी टैक्स की जरूरत नहीं रहेगी।
अरबों के असामी हैं मप्र में पदस्थ आईएएस
प्रदेश में अफसरों की कमाई का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि लगभग सभी आईएएस करोड़पति है। जीएडी में दिए गए संपत्ति के ब्यौरे में ये सब दर्ज है। मुख्य सचिव एंटोनी डिसा और एसीएस देवराज बिरदी अमीर अफसरों में सबके ऊपर हैं। सरकार के चहेते अधिकारियों में से एक विवेक अग्रवाल अरबपति है, लेकिन उसमें निजी मिल्कियत से Óयादा पैत्रिक संपत्ति जुड़ी है। ब्यौरे में जो कीमत दर्ज की गई है, उसका बाजार मूल्य निकाला जाए तो कई गुना Óयादा बैठता है। मप्र के नए मुख्य सचिव बनाए गए एन्टोनी जेसी डिसा के पास भोपाल तहसील हुजुर बरखेड़ी खुर्द में 0.26 एकड़ ओपन लैण्ड हैं, जिसकी कीमत &0 लाख रूपए आंकी गई हैं, जबकि बावडिय़ा कलां में इनके पास 1500 वर्गफीट का प्लाट, जिसकी कीमत 40 लाख है। बागमुगालिया एक्सटेशन में एक प्लाट 40 कीमत का हैं। इसके अलावा गोवा स्थित गोलटिम 0.28& हेक्टेयर का जमीन हैं, जिसकी कीमत 20 लाख दर्शाई है। गोवा में ही संयुक्त परिवार के नाम मकान है, जिसकी कीमत नहीं दर्शाई गई, वहीं नार्थ गोवा में सव्रे नंबर 1&9 में 0.100 हेक्टेयर लैण्ड है, जिसकी कीमत 15 लाख रूपए बताई गई है। इसके अलावा नार्थ गोवा में ग्राम में सव्रे नंबर 8/9 75 वर्ग मीटर परिवार का निवास बताया है, इसकी कीमत मात्र एक लाख रूपए दर्शाई है, जबकि नार्थ गोवा में ही 0.&&2 हेक्टेयर भूमि खरीदी गई, जिसकी कीमत 10 लाख रूपए हैं। एसीएस प्रशन्ना कुमार दास के पास एक मकान भोपाल में &60 वर्ग मीटर की और कीमत &5 लाख तथा 0.50 हेक्टेयर एग्रीकल्चर लैण्ड जिसकी कीमत 7 लाख रूपए बताई गई, जबकि आधा हेक्टेयर जमीन की वर्तमान कीमत डेढ़ करोड़ से कम नहीं आंकी जा सकती।
यह अफसर भी पीछे नहीं
देवराज बिरदी के पास विवेक नगर जालंधर में शहरी क्षेत्र में 40 मार्ला लैण्ड, अहमद नगर भोपाल में आवासी प्लाट 45&7.75 वर्गफीट 100 रूपए वर्ग फीट में खरीदा गया है। यानी इसकी कीमत 50 लाख से कम नहीं है, जबकि ग्रीन मेडोज में 194.25 वर्ग मीटर का मकान है, जिसकी कीमत उन्होंने 48.59 लाख दिखाई है, केशरपुरजिला अलबर में इनके पास 8.11 हेक्टेयर जमीन कीमत 50 लाख, दादर अलबर में 6 हेक्टेयर कृषि भूमि कीमत की जगह 40 रूपए स्कायर यार्ड में बताई है। शिवाजी मार्ग दिग्गी हाउस जयपुर में 2.60 एवं 1.72 हेक्टेयर लैण्ड है, जिसकी कीमत &6.80 लाख तथा 64.40 लाख रूपए और तहसील अलबर में ही खाता क्रमांक 69 में 6.21 हेक्टेयर तथा खाता नंबर 465-66 में 1.5 हेक्टेयर कृषि भूमि जिसकी कीमत मात्र 50 रूपए प्रति हेक्टेयर एवं 10 लाख रूपए प्रति हेक्टेयर दिखाकर करोड़ों की संपत्ति अजिर्त की है। एक ही वर्ष 2007 में इन्होंने पांच कृषि भूमि खरीदी है जो कि दो करोड़ से अधिक की है। एसीएस अरुण शर्मा के पास बरखेड़ी खुर्द में 0.26 डिसमिल कृषि भूमि कीमत 50 लाख, इंदौर जिले के तालावाली में 0.055 हेक्टेयर भूमि कीमत2.40 लाख, अहमदपुर कलां में 2400 वर्गफीट का प्लाट कीमत & लाख बताई है, जबकि गुडगांव हरियाणा में पलोनीर पार्क में 62 लाख रूपए आवासीय मकान तथा गुडगांव में ही डी-&, 40& एक्सटेंशन पाश्र्वनाथ मकान जिसकी कीमत एक करोड़ 90 लाख रूपए बैंक ऑफ इंडिया से ऋण लेकर खरीदना बताया गया है। इसके अलावा आरके चतुव्रेदी, एसआर मोहंती, राधेश्याम जुलानिया, विश्वपति त्रिवेदी, एसके मिश्रा, मनोज श्रीवास्तव, इकबाल सिंह बैंस तथा अनुराग जैन करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं।

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