गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

भूमाफिया के चंगुल में फंसा सहकारिता विभाग

भोपाल।जमीन की जंग को अब असली जंग लग चुकी है और जितने भी भूमिगत भूमाफिया थे वे फिर सीना ठोंककर गृह निर्माण संस्थाओं की जमीन के खेल में जुट गए हैं, जिस सहकारिता विभाग की मिलीभगत के चलते मुख्यमंत्री ने इंदौर सहित प्रदेशभर में संस्थाओं की जमीनों के महाघोटालों को पुलिस प्रशासन की सहायता से उजागर करवाया था, अब वही सहकारिता विभाग एक बार फिर भूमाफिया के चंगुल में फंस गया है। धड़ाधड़ एनओसी के साथ नगर तथा ग्राम निवेश से अभिन्यास मंजूर होने लगे। बिजलपुर मेें इंदौर क्लॉथ मार्केट गृह निर्माण की साढ़े 8 एकड़ जमीन तैय्यबी रियल एस्टेट के हवाले हो गई। संस्था के 185 भूखंडों की इस डाकेजनी में 100 करोड़ की हेराफेरी की गई। तीन साल पहले जोर-शोर से गृह निर्माण संस्थाओं के फर्जीवाड़े की जांच पड़ताल पुुलिस प्रशासन ने शुरू की थी और कई चर्चित भूमाफिया जेल भी गए, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का लगातार दबाव बना हुआ था। मगर जैसे ही यह दबाव समाप्त हुआ और प्रशासन के साथ-साथ पुलिस पर मिलीभगत के आरोप लगे, इस अभियान ने दम तोडऩा शुरू कर दिया। पिछले एक साल से तमाम भूमिगत हुए भूमाफिया फिर सक्रिय हो गए और तमाम गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों की अफरा-तफरी पहले की तरह शुरू हो गई और हजारों भूखंड पीडि़त अब फिर अपनी शिकायतों को लेकर चप्पलें घिस रहे हैं। इसका एक बड़ा उदाहरण इंदौर क्लॉथ मार्केट का है, जिसकी ग्राम बिजलपुर में साढ़े 8 एकड़ जमीन थी। खसरा नंबर 13/1, 13/6, 12/2, 13/5, 13/7 की ये जमीनें संस्था के सदस्यों की आवास समस्या हल करने के लिए मूल जमीन मालिक जगजीतसिंह व हरजिंदरसिंह से 1996 में खरीदी। बाद में यही जमीन नाकोड़ा और नवभारत गृह निर्माण को भी बेच दी गई। कुछ समय पूर्व नवभारत संस्था के कर्ताधर्ताओं ने यह जमीन तैय्यबी रियल एस्टेट प्रायवेट लिमिटेड के मोहम्मद पिता अब्दुल खम्बाती को बेच डाली, जबकि इंदौर क्लॉथ मार्केट संस्था के 185 सदस्यों को 1500 स्क्वेयर फीट के भूखंड इस साढ़े 8 एकड़ जमीन में से प्राप्त होना थे। 3 हजार रुपए स्क्वेयर फीट से अधिक वर्तमान में इस जमीन का मूल्य है और 185 भूखंडों पर सीधे-सीधे डाका डालते हुए 100 करोड़ रुपए की हेराफेरी कर दी गई। मजे की बात यह रही कि इंदौर क्लॉथ मार्केट गृह निर्माण संस्था के अध्यक्ष सीताराम पिता देवकिशन व्यास ने स्थायी लोक अदालत के माध्यम से मूल जमीन मालिक हरजिंदरसिंह, जगजीतसिंह से लेकर सत्यनारायण बजाज, पॉवर अटॉर्नी लेने वाले मदनलाल पिता छोगालाल जैन के अलावा नाकोड़ा गृह निर्माण और नवभारत गृह निर्माण के साथ तैय्यब अली रियल एस्टेट के मामले में समझौता करते हुए 31-8-2013 को अवॉर्ड पारित करवा लिया। इसकी भनक इंदौर क्लॉथ मार्के ट गृह निर्माण के मूल 185 सदस्यों को लगी ही नहीं और फर्जी बनाए गए सदस्यों के माध्यम से बुलाई गई साधारण सभा में लिए गए निर्णय और ठहराव-प्रस्ताव को प्रस्तुत कर स्थायी लोक अदालत जिला न्यायालय में राजीनामा कर लिया गया। इस राजीनामे में यह कहा गया कि सदस्यों द्वारा जमा की गई राशि 12 प्रतिशत ब्याज के साथ तैय्यबी रियल एस्टेट द्वारा लौटाई जाएगी और इस संबंध में जमीन पर विकास कार्य करने, भूखंडों को विक्रय करने और अपनी इच्छानुसार उपभोग, उपयोग व्ययन के अधिकार भी तैय्यबी रियल एस्टेट को रहेंगे। इतना ही नहीं इसके पूर्व एक अनुबंध लेख भी तैय्यबी रियल एस्टेट और नाकोड़ा गृह निर्माण संस्था के अध्यक्ष निलेश पिता जसवंतलाल शाह और क्लॉथ मार्केट संस्था के संरक्षक अमित पिता ब्रजमोहन के बीच हुआ, जिसमें 7.44 एकड़ जमीन के सौदे के फलस्वरूप प्रतिफल राशि 13 करोड़ रुपए तय की गई और बतौर बयाने के 1 लाख रुपए लेना बताए गए और शेष 12 करोड़ 99 लाख की राशि भूखंडों के विक्रय पश्चात तैय्यबी रियल एस्टेट द्वारा प्रदान की जाएगी। इतना ही नहीं 50 लाख रुपए की राशि अमित पिता ब्रजमोहन को पूर्व में अदा करना बताई गई। इस लोक अदालत में मंजूर अवॉर्ड और अनुबंध के आधार पर तैय्यबी रियल एस्टेट ने सहकारिता विभाग से एनओसी भी प्राप्त कर ली। उपायुक्त सहकारिता जगदीश कनोजे द्वारा इस तरह की एनओसी कई संस्थाओं को दे दी गई, जबकि पूर्व के उपायुक्त ने ऐसी तमाम एनओसी पर न सिर्फ रोक लगाई थी, बल्कि पुलिस प्रशासन की जांच में यह तमाम एनओसी अवैध पाई गई, जिसके चलते सहकातिा विभाग के कई अफसरों और निरीक्षकों के खिलाफ विभागीय जांच शासन ने शुरू करवाई, मगर इंदौर क्लॉथ मार्केट गृह निर्माण की बिजलपुर स्थित साढ़े 8 एकड़ जमीन अब पूरी तरह तैय्यबी रियल एस्टेट के हवाले हो गई, जिस पर नगर तथा ग्राम निवेश से पिछले दिनों नक्शा मंजूर करवा लिया गया। अब संस्था के मूल 185 सदस्य संघर्ष समिति के माध्यम से अपने हितों की लड़ाई लड़ रहे हैं और कलेक्टर से लेकर अदालत और सहकारिता विभाग के संयुक्त पंजीयक न्यायिक के समक्ष भी याचिका प्रस्तुत की है। 185 भूखंडों की इस डाकेजनी में सीधे-सीधे 100 करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई और इसमें भी शहर के तमाम चर्चित भूमाफिया शामिल हैं। जमीन सीलिंग प्रभावित, संस्था के नाम से हटी तो सरकार की.... बिजलपुर में इंदौर क्लॉथ मार्केट ने 1995 में जो साढ़े 8 एकड़ जमीन खरीदी वह सीलिंग प्रभावित थी और उसे सीलिंग से मुक्ति के लिये ही नाकोड़ा गृह निर्माण ने नवभारत गृह निर्माण से समझौता किया था, क्योंकि नाकोड़ा गृह निर्माण संस्था नई होने के कारण उसे सीलिंग मुक्ति की पात्रता नहीं थी। संस्था के नाम किए जाने पर उसे सरकार ने धारा 20 से विमुक्ति आदेश यानी सीलिंग मुक्त किया। अब यदि जमीन किसी निजी व्यक्ति के नाम पर होती है तो वह फिर सीलिंग प्रभावित होकर सरकार की हो जाएगी। लेकिन इस जानकारी के अभाव में उक्त जमीन का नामंतरण निजी नाम से हो गया है। जांच अधिकारी अब इस मामले की जांच कर उक्त भूमि पर शासन का नाम चढ़ा सकते हैं। नगर तथा ग्राम निवेश से नक्शा भी मंजूर पहले इंदौर क्लॉथ मार्केट के कर्ताधर्ताओं ने तैय्यबी रियल एस्टेट को जमीन बेची और फिर नाकोड़ा तथा नवभारत के साथ अनुबंध भी कर लिया। इसके आधार पर स्थायी लोक अदालत से अभी पिछले दिनों 31-8-2013 को अवॉर्ड पारित करवा लिया गया और इसमें जो राजीनामा मंजूर हुआ उसके आधार पर सहकारिता उपायुक्त जगदीश कनोजे ने एनओसी तैय्यबी रियल एस्टेट के पक्ष में हांसिल कर ली गई और नगर तथा ग्राम निवेश से इसी एनओसी के आधार पर अभिन्यास पिछले ही दिनों मंजूर करवा लिया गया। संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश संजय मिश्र ने बिजलपुर की इस संस्था की जमीन पर मंजूर किए गए। अभिन्यास की पुष्टि करते हुए बताया कि चूंकि लोक अदालत का राजीनामा और उसके आधार पर सहकारिता विभाग की एनओसी मिली जिस पर अभिन्यास मंजूर करना पड़ा। कलेक्टर ने बनाई जांच कमेटी संघर्ष समिति की ओर से इंदौर कलेक्टर आकाश त्रिपाठी को भी मयप्रमाण शिकायत सौंपी गई, जिसमें भूमाफियाओं के हाथों सदस्यों की जमीनों के विक्रय के प्रमाण भी दिए गए। नतीजतन कलेक्टर ने एक कमेटी बनाकर इसकी जांच शुरू करवाई, जिसमें अपर कलेक्टर रवीन्द ्रसिंह और सहकारिता विभाग के संयुक्त पंजीयक न्यायिक अनिल कुमार वर्मा शामिल हैं। संस्था पर व्यास परिवार का कब्जा इंदौर क्लॉथ मार्केट संस्था पर शुरु से ही व्यास परिवार का कब्जा रहा है। संघर्ष समिति के विशाल शर्मा का आरोप है कि पूर्व अध्यक्ष सीताराम व्यास ने अपने सगे साले अश्विन कुमार हीरालाल को अध्यक्ष बनाया और अपनी बेटी श्रीमती करुणा पति रामकुमार शर्मा को उपाध्यक्ष। अपने सगे भाई गोपाल देवकिशन व्यास को संचालक, अपने साले देवकीनंदन रामचंद्र तिवारी को भी संचालक और एक अन्य सगे भतीजे अमित राधेश्याम व्यास को भी संचालक और बहन पुष्पा को भी इसी तरह निर्वाचित करवाया और वर्तमान अध्यक्ष अश्विन कुमार बरमोटा भी पूर्व अध्यक्ष व्यास के ही साले हंै। सदस्यों के हित डेढ़ करोड़ में बेचे इंदौर क्लॉथ मार्केट के कर्ताधर्ताओं ने 185 मूल सदस्यों को अंधेरे में रखकर फर्जी सदस्यों की बोगस आमसभा 21-7-2013 को आयोजित की और उसमें यह प्रस्ताव भी पारित कर दिया कि संस्था यह स्वीकार करती है कि सदस्यों की अमानत राशि 87 लाख 2 हजार 950 रुपए तथा 1-4-1998 से 31-12-2009 तक 4 प्रतिशत ब्याज और फिर 1-1-2010 से 31-3-2012 तक 12 प्रतिशत की ब्याज राशि 64 लाख 40 हजार 184 रुपए होती है। इस तरह कुल 1 करोड़ 51 लाख 43 हजार 134 रुपए तैय्यबी रियल एस्टेट द्वारा दिए जाएंगे, ताकि यह राशि सदस्यों को लौटाई जा सके। यानी 185 सदस्यों के 100 करोड़ रुपए कीमत के भूखंडों के हितों को बोगस आमसभा के जरिए मात्र डेढ़ करोड़ रुपए में बेच डाला। नाकोड़ा और नवभारत भी इस फर्जीवाड़े में शामिल बिजलपुर में साढ़े 8 एक ड़ जमीन इंदौर क्लॉथ मार्केट संस्था द्वारा खरीदी गई और 8 हिस्सों में इसकी रजिस्ट्री करवाई गई, लेकिन 8 महीने बाद ही संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष ओमप्रकाश व्यास ने यह जमीन नाकोड़ा गृह निर्माण को बेच डाली। वहीं नाकोड़ा के चेक तक बाउंस हो गए। बावजूद इसके संचालकों ने कोई कार्रवाई नहीं की और मदनलाल जैन ने आम मुख्त्यार बनकर यही जमीन नवभारत गृह निर्माण संस्था को बेच डाली और फिर त्रिपक्षीय अनुबंध 8 दिसम्बर 1999 को इंदौर क्लॉथ मार्केट, नाकोड़ा और नवभारत के बीच किया गया, जिसमें नवभारत को क्लॉथ मार्केट के सदस्यों को भूखंड उपलब्ध कराना तय किया गया। इस पूरे घोटाले में इंदौर क्लॉथ मार्केट के नाकोड़ा और नवभारत का फर्जीवाड़ा भी शामिल रहा। संघर्ष समिति की याचिका पर अब जारी हुए नोटिस इंदौर क्लॉथ मार्केट संस्था के मूल 185 सदस्यों ने संघर्ष समिति गठित की और सहकारिता उप पंजीयक न्यायिक के समक्ष याचिका भी दायर की।

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