गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

3 साल में 1953 करोड़ बंदरबाट

बुंदेलखंड में विकास के लिए केंद्र से फिर मांगे 1200 करोड़ भोपाल। बुंदेलखंड के विकास के लिए मिले 1953 करोड़ रूपए 3 साल में पानी की तरह बहा दिया गया,लेकिन आलम यह है कि आज भी वहां लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। विकास के लिए मिली इस रकम की पंचायत स्तर से लेकर ऊपर तक जमकर बंदरबाट की गई है। फर्जी वाउचर, बिलों के भुगतान में अफसरों ने सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। जेसीबी मशीन और ट्रैक्टर से काम कराने के नाम पर स्कूटर, स्कूटी, आटो रिक्शा इंडिका जैसे वाहनों के नाम पर लाखों का भुगतान कर दिया। जांच रिपोर्ट में जिन आईएफएस तथा एसीएफ अफसरों को इस भ्रष्टाचार के लिए दोषी पाया गया, उन्हें बचाते हुए वनमंत्री सरताज सिंह ने डिप्टी रेंजर और वनरक्षकों को निलंबित कर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर ली। इसके बावजूद राज्य सरकार केंद्र से फिर 1200 करोड़ की राशि बुंदेलखंड पैकेज के लिए मांग रही है। प्रदेश के बुंदेलखंड में कुछ वर्षो से सूखे के चलते केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 में तीन सालों के लिए मप्र को 1953 करोड़ की राशि स्वीकृत की थी। इस योजना पर टीकमगढ़, दमोह, पन्ना, छतरपुर, सागर तथा दतिया को शामिल करते हुए कृषि को बढ़ावा देने, सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण, पशुपालन, मछली पालन, पेयजल तथा मनरेगा के तहत हितग्राहियों को मोटर पंप कनेक्शन दिए जाने तथा डेयरी उद्योग, दुध का उत्पादन बढ़ाने पर काम किया जाना था। राज्य सरकार द्वारा इसके लिए भेजे गए कृषि के लिए 270 करोड़, सिंचाई परियोजनाओं के लिए 610 करोड़, ग्रामीण विकास के लिए 210 करोड़, पशुपालन के लिए 50.34 करोड़, वन विभाग को स्वाइल कंजरवेशन, वाटरशेड निर्माण आदि के लिए 107 करोड़ तथा पेयजल के लिए पीएचई विभाग के 100 करोड़ के प्रस्तावों के बदले केंद्र ने मप्र को 1425 करोड़ की राशि रिलीज की थी। इन कामों की आड़ में गाय, बकरी, सांड बांटने, सिंचाई विभाग द्वारा बांधों का निर्माण करने, ग्रामीण विकास द्वारा किसानों को मोटर पंप खरीदकर प्रदाय करने के गड़बड़झले सामने आए। किसानों को दी गई गाय, बकरी तथा सांडों की बीमारी के चलते मौत हो गई, तो फर्जी किसानों को मोटर पंप वितरित कर दिए गए। राशि खर्च का सरकार ने केंद्रीय योजना आयोग द्वारा कई बार पत्र लिखने पर भी उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजा, परंतु जब अतिरिक्त राशि लेने का मामला सामने आया, तो उपयोगिता प्रमाण पत्र भेज दिया। ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा वाटर शेड खर्च राशि अनियमितता संदिग्ध फर्जी अधिक व्यय भुगतान भुगतान क्रमांक-1 21.14 00 2.86 2.30 00 क्रमांक-2 111.33 12.25 4.62 1.88 3.52 क्रमांक-3 103.75 00 2.96 6.16 2.00 क्रमांक-4 33.56 46.25 1.09 5.07 0.88 क्रमांक-5 56.03 7.21 9.50 15.16 2.57 क्रमांक-6 108.42 30.73 00 45.25 2.00 क्रमांक-7 49.92 11.04 2.41 6.10 3.70 क्रमांक-8 49.94 11.86 00 10.65 0.92 क्रमांक-9 70.32 29.80 00 08.27 2.75 कुल खर्च 604.41 149.14 23.44 100.84 26.43 (कुल फर्जीवाड़ा 2 करोड़ 99 लाख 85 हजार) नगद भी हुआ भुगतान जांच रिपोर्ट में खुलासा किया है कि यदि कोई कार्य 70 हजार का था, तो भुगतान एक लाख का फर्जी व्हाउचर के माध्यम से किया गया। वाटरशेड परकोलेशन पिट के 4 कक्षों के निर्माण में 3 लाख 18 हजार का भुगतान फर्जी पाया गया, कई व्हाउचरों में राशि प्राप्त करने वालों के हस्ताक्षर ही नहीं थे। यानी फॉरेस्ट अफसरों ने स्वयं ही यह राशि निकाल ली। 20 हजार से अधिक का भुगतान बिना चेक नहीं किया जाता, लेकिन जांच में 20 हजार से अधिक का भुगतान नकद बांट दिया गया। कक्ष क्रमांक-443 में तालाब निर्माण पर एक लाख 2 हजार 944 का फर्जी भुगतान मिला। वाटरशेड के कक्ष पी 445 में तालाब निर्माण के कार्य पर 7 लाख 36 हजार का फर्जी भुगतान कर दिया गया। कक्ष- 429 में केवल 2 परकोलेशन टेंक स्वीकृत थे। स्थल के अनुसार 2 टेंक पाए गए, लेकिन इनके व्हाउचर नहीं मिले। व्हाउचर के परीक्षण में पता चला कि फर्जी परकोलेशन टेंक क्रमांक 10, 12 एवं 13 का निर्माण दर्शाकर 2 लाख 15 हजार का फर्जी भुगतान प्राप्त कर लिया गया। इस गड़बड़ी में दोषी डीएफओ, एसीएफ तथा रेंजर का बचाते हुए डिप्टी रेंजर तथा वनरक्षकों को निलंबित किया गया। बुंदेलखंड पैकेज के नाम पर केंद्र सरकार से मिली 1425 करोड़ की राशि में भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ दिए गए हैं। अकेले पन्ना जिले में निर्मित कराए गए 9 वाटरशेड के निर्माण पर 6 करोड़ का व्यय दर्शाया गया, लेकिन इसमें से तीन करोड़ का भ्रष्टाचार कर डाला। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि जीएडी द्वारा सीटीई से कराई गई जांच रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। भ्रष्टाचार के तरीके भी नायाब ट्रैक्टर, जेसीबी के नाम कार, स्कूटी और स्कूटर तथा आटो जैसे वाहनों के नंबर पर किया भुगतान क्र दोषी फॉरेस्ट अफसरों पर कार्यवाही करने की अपेक्षा वन मंत्री उन्हें बचाने में लगे पन्ना जिले में सबसे अधिक घोटाला बुंदेलखंड पैकेज के तहत सबसे बड़ा घोटाला पन्ना जिले में फॉरेस्ट विभाग द्वारा कराए गए वाटरशेड निर्माण में सामने आया है। वैसे सिंचाई विभाग द्वारा निर्मित कराए गए एक दजर्न बांध भी पहली बारिश में बह गए, लेकिन पन्ना में हुए घोटाले की जांच के लिए राज्यसभा सदस्य सत्यव्रत चतुव्रेदी ने केंद्रीय योजना आयोग के सीईओ डॉ. जेएस सामरा को पत्र लिखा था। इस पत्र के पश्चात जीएडी ने इस घोटाले की जांच के लिए मुख्य तकनीकी परीक्षक सतर्कता (सीटीई) की अध्यक्षता में एक जांच दल गठित किया। इस जांच दल को एक पखवाड़े में जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपनी थी, लेकिन अधिकारियों द्वारा सहयोग न करने से सीटीई ने अपनी रिपोर्ट जीएडी को देरी से सौंपी। जांच में पाया गया कि 6 वाटरशेड निर्माण के लिए ट्रैक्टर तथा जेसीबी मशीन के नाम पर स्कूटर, स्कूटी, ऑटो रिक्शा तथा इंडिका वाहनों का भुगतान किया गया। यानी वाउचर भुगतान में जिन वाहनों के नंबरों का उपयोग किया गया, वह आरटीओ के यहां इन वाहनों के नाम पर दर्ज थे।

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