शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

कभी नहीं खुल सकेगा एंडरसन का राज

भोपाल गैस त्रासदी के आरोपी और यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन प्रमुख वारेन एंडरसन के भारत से भागने का रहस्य कभी नहीं खुल पाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने राज्यसभा में स्वीकार किया कि ७ दिसंबर १९८४ की रात को एंडरसन के देश से बच निकलने संबंधी कोई रिकार्ड गृह या विदेश मंत्रालय के पास मौजूद नहीं है। गृह मंत्री ने कहा कि त्रासदी के २६ साल बाद विदेश विभाग के पास भी इस बात की जानकारी नहीं है कि एंडरसन कब आया, किससे मिला और कब लौट गया। यही नहीं, केंद्र सरकार के पास तो उस दरमियान गृह विभाग से हुए फोन का ब्योरा भी नहीं है। यानी यह कभी पता नहीं चल पाएगा कि हजारों मौतों के लिए जिम्मेदार एंडरसन को बाइज्जत भारत से अमेरिका किसने भिजवाया। १९८४ में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह का कहना है कि एंडरसन की गिरफ्तारी के बाद उसकी रिहाई के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से फोन किए गए थे। सिंह ने पूरे मामले में पहली बार मुंह खोलते हुए बुधवार को संसद में कहा था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय (तब गृह मंत्री पीवी नरसिंह राव थे) से राज्य के गृह सचिव को फोन कर एंडरसन को छोडऩे के लिए कहा गया था।
उन्होंने यह भी माना कि पीडि़तों को राजनीतिक नेतृत्व, संसद और कार्यपालिका से पूरी तरह निराश होना पड़ा है। उन्होंने इसे 'सभी की सामूहिक विफलताÓ बताया। िचदंबरम ने एंडरसन के भारत से जाने के घटनाक्रम पर सवाल पूछने वाले विपक्ष को भी निशाने पर लिया। उन्होंने विपक्ष के नेता अरुण जेटली से उल्टा सवाल किया कि ७ दिसंबर, १९८४ की रात को क्या हुआ था, यह सवाल उन्होंने दस साल पहले क्यों नहीं पूछा, जब उनकी पार्टी की सरकार थी?
भोपाल में ३ दिसंबर, १९८४ की रात यूनियन कार्बाइड के प्लांट से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। इसके असर से सैकड़ों लोग नींद में ही मर गए। मरने वालों की तादाद हजारों में पहुंच गई है और लाखों लोग गैस का बुरा असर अभी भी झेल रहे हैं। पिछले दिनों, २५ साल बाद इस मामले में अदालत ने आरोपियों को महज दो साल की सजा सुनाई है।
भोपाल गैस त्रासदी को लेकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने चुप्पी जरूर तोड़ दी, लेकिन भोपाल गैस पीडि़त संगठन उनके बयान से कोई इत्तेफाक नहीं रखते। संगठन अर्जुन सिंह के उस बयान को झूठा बताते हैं, जिसमें उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का बचाव करते हुए सारा दोष तत्कालीन गृह मंत्री पीवी नरसिंहराव पर मढ़ दिया।
??यह कहानी आसानी से हजम होने वाली है नहीं। मध्य प्रदेश में अर्जुन सिंह इतनी बड़ी ताकत बन चुके थे कि उनके गृह सचिव या मुख्य सचिव की भी हिम्मत नहीं हो सकती थी कि अपने मुख्यमंत्री से पूछे बगैर देश के गृह मंत्री या उस मामले में कहे तो प्रधानमंत्री तक का आदेश मान लिया जाए। अर्जुन सिंह उसी शहर में और उसी इमारत में बैठे थे जहां नरसिंह राव फोन कर रहे थे।
आश्चर्य की बात है कि इस पूरे मामले में अर्जुन सिंह ने सिर्फ नरसिंह राव का नाम लिया। इस पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ कि अर्जुन सिंह नरसिंह राव को दोषी बता कर राजीव गांधी को बचाने की कोशिश करेंगे। आज न राव है और न राजीव गांधी और एक गवाह और पात्र के तौर पर अर्जुन सिंह जो कहेंगे वही सही माना जाएगा। लेकिन सही मानने के लिए अपने तर्क होते हैं।
पहली बार अर्जुन सिंह ने देश को बताया है कि हादसे के चार दिन बाद जब वे एंडरसन की गिरफ्तारी का आदेश दे चुके थे, राजीव गांधी भोपाल के पड़ोस में होशंगाबाद में हरदा शहर में चुनाव सभा के लिए आए थे। अर्जुन सिंह ने कहा कि वे गाड़ी से हरदा गए और राजीव गांधी को सारी परिस्थितियों की जानकारी दी। अर्जुन सिंह का बयान बताता है कि राजीव गांधी ने इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और बस सुन लिया।
अर्जुन सिंह का कहना है कि जब उन्हें पता चला था कि एंडरसन गैस हादसे के बाद भारत आ रहा है तो उन्हें आश्चर्य भी हुआ था क्योंकि वे जानते थे कि एंडरसन जैसे बड़े साहब किसी भी हाल में गैस राहत या गैस पीडि़तों का दर्द बांटने के लिए नहीं आने वाले हैं। यहां बड़े साहब शब्द भी अर्जुन सिंह का ही है। अर्जुन सिंह को तो एंडरसन की हिम्मत पर हैरत हुई थी। इसके बाद अर्जुन सिंह का कहना है कि उन्होंने एंडरसन की गिरफ्तारी के लिए लिखित आदेश दिए थे ताकि कोई और दबाव काम नहीं कर सके। अब यह दूसरा दबाव किसका हो सकता था, इसके बारे में अर्जुन सिंह ही बाद में कभी बताना चाहेंगे तो बताएंगे।

अर्जुन सिंह के भाषण में इस बात पर भी हैरत जाहिर की गई है कि जब एसपी स्वराज पुरी एंडरसन को गिरफ्तार कर के (एक जगह कहा गया हे कि पकड़ के) यूनियन कार्बाइड गेस्ट हाउस ले जा रहे थे तो एंडरसन ने यह पूछने की हिम्मत भी की थी कि आपके प्रदेश के मुख्यमंत्री मेरा स्वागत क्यों नहीं करने आए? अर्जुन सिंह का कहना है कि अगर वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहते तो एंडरसन को कब की सजा दिलवा चुके होते।
मगर राजीव गांधी को इतने बड़े औद्योगिक हादसे के मुख्य अभियुक्त के भारत आने और फटाफट जमानत हो जाने के बारे में कुछ भी नहीं पता था यह जरा कल्पना की बात लगती है। नरसिंह राव को एंडरसन से अचानक ऐसा क्या प्रेम हो गया था कि उनका ऑफिस लगातार भोपाल फोन कर के एंडरसन को ठीक से रखने और जल्दी से जमानत करवाने के आदेश दे रहा था? क्या नरसिंह राव जैसे आजीवन बगैर रीढ़ के नेता माने गए मंत्री की ये हिम्मत थी कि देश के प्रधानमंत्री को बताए बगैर वे इतने बड़े और मोस्ट वांटेड अभियुक्त के प्रति नरमी बरतने का निर्देश दे दे?
फिर सरकारी जहाज का सवाल आता है। किसी भी राज्य सरकार के पास राजकीय जहाज या हैलीकॉप्टर के उपयोग की एक निश्चित नियमावली है। इस नियमावली के अनुसार हर राज्य सरकार में एक एविएशन विभाग होता है, जिसका एक डायरेक्टर होता है और सरकारी विमान के उडऩे का आदेश मुख्यमंत्री सचिवालय या आवास से जारी किया जाता है। आम तौर पर जहाज मंत्रियों और मुख्यमंत्री के लिए होता है और अगर इसमें कोई और यात्रा कर रहा है तो उस यात्रा को आधिकारिक बनाने के लिए सचिव स्तर का एक अधिकारी या कम से कम कोई राज्य मंत्री बिठाया जाता है। मगर एंडरस तो अकेले भोपाल से दिल्ली आया था और उसके साथ कोई भी सरकारी पदाधिकारी नहीं था। इसका सीधा मतलब यह है कि यह उड़ान अवैध थी और इसके पायलटों को उस समय नहीं तो बाद में कभी सजा मिलनी चाहिए थी।

ऐसा नहीं हुआ मगर अर्जुन सिंह कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि आखिर सरकारी जहाज एंडरसन को ले कर दिल्ली कैसे पहुंचा? हैरत की बात यह है कि दो दिन बाद वे राजनैतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर बुलाए गए थे और इस मौके पर सीधे राजीव गांधी या नरसिंह राव से सवाल कर सकते थे। नरसिंह राव और अर्जुन सिंह के बीच कभी नहीं पटी और राजीव गांधी की हत्या के बाद अर्जुन सिंह की पहल पर ही नरसिंह राव पार्टी के अध्यक्ष बनाए गए थे और बाद में अर्जुन सिंह का प्रधानमंत्री बनने का सपना नरसिंह राव ने तोड़ दिया। इसलिए पहले अर्जुन सिंह कह चुके है कि शायद नरसिंह राव को राजीव गांधी की हत्या की साजिश का पता था और अब राजीव गांधी को बेकसूर साबित करने के सिलसिले में एक बार फिर नरसिंह राव का नाम आ गया है। मुर्दे बोल नहीं सकते और जो जीते जी मुर्दा होने का अभिनय कर रहा हो उसे जीवित कौन कर सकता है।
गैस पीडि़त संगठनों के मुताबिक इतनी बड़ी त्रासदी की बात केवल गृह मंत्री तक ही सीमित रहे, यह हो नहीं सकता। जिस तरह यूनियन कार्बाइड के अध्यक्ष वॉरेन एंडरसन को स्टेट प्लेन से बाहर भेजा गया था, इससे साफ जाहिर होता है कि अर्जुन सिंह को सब पता था और उन पर किसी और दबाव था।
भोपाल गैस पीडि़त महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार के मुताबिक अर्जुन सिंह झूठ बोल रहे हैं। सच्चई यह है कि प्रधानमंत्री ने खुद अजरुन सिंह से संपर्क किया था। श्री सिंह ने तो स्टेट प्लेन उपलब्ध करवाकर एंडरसन को राजकीय सम्मान दिया था। गैस त्रासदी इतनी बड़ी त्रासदी थी जो केवल गृह विभाग तक सीमित हो ही नहीं सकती थी।
गैस पीडि़त निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव का कहना है कि अजरुन सिंह ने गांधी परिवार के प्रति निष्ठा दर्शाई है। उन्होंने झूठा बयान देकर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को क्लीन चिट दे दी, जबकि सच्चई अलग है। घटना के लिए अर्जुन सिंह पर प्रधानमंत्री का ही दबाव था।

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