बुधवार, 30 जून 2010

रंगीन मिजाज़ विजय शाह

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी राजनैतिक मंडली को पाक-साफ बनाने और सुचिता का पाठ पढ़ाने का चाहें कितना भी जतन कर ले लेकिन अपनी रंगीन मिजाजी और
तानाशाही के कारण वे कहीं न कहीं कुछ ऐसा कर जाते हैं कि कुलीनों के कुनबे के साथ प्रदेश सरकार की अस्मिता भी तार-तार हो जाती है। सत्ता के मद में भले ही भाजपा के मंत्री और कुछ आला नेता भले ही न चूर हों पर उनके साहबजादों पर यह सर चढ़ कर बोल रहा है। नतीजतन उनके पिताओं के नसीब में सार्वजनिक बदनामी आ रही है। कुछ ऐसे भी हैं जो पुत्रों के कारण कानून की जद में भी आ गये हैं। कमल पटेल की जेल यात्रा उनके पुत्र के कारण ही है तो कई मंत्री और बड़े नेताओं की फजीहत भी पुत्रों के कारनामों से हो रही है। ऐसे बदनाम नेताओं की फेहरिस्त मेेंं आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह का नाम सबसे पहले लिया जाता है। यह हकीकत है या फसाना या फिर साजिश यह तो विजय शाह को ही मालूम होगा। इतना जरूर है कि अपने कुछ कदावर मंत्रियों की तथाकथित करतूतों से मुख्यमंत्री भी आजिज आ चुके हैं।
1990 के दशक में जब दिग्विजय सिंह कि सरकार थी तब पुलिस के डंडे खा कर विजय शाह राजनीति में चर्चा का विषय बने थे, लेकिन उसके बाद उनकी चर्चा हमेशा ऐसे ही ऊटपटांग मामलों को लेकर हुई हैं। विजय शाह की रंगीन मिजाजियों के किस्सों की फेहरिस्त इतनी लंबी हैं कि उसकी चर्चा कि जाये तो पूरा ग्रन्थ बन जायेगा। ताजा मामले में मंत्री के एक कर्मचारी की पत्नी ने आरोप लगाया है कि उसके पति ने उसको मंत्री के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए प्रताडि़त किया। यही नहीं, महिला ने थाने जा कर अपने पति और ससुराल वालो के खिलाफ दहेज के लिए प्रताडि़त करने का आरोप भी लगाया है। महिला ने बताया कि वह अपने पति की दूसरी पत्नी है और जब से उसकी शादी हुई है पति विन्सू भालेराव, जो मंत्री की गैस एजेंसी में काम करता है, दहेज के लिए परेशान कर रहा था। जब उसकी मांग पूरी नहीं हुई, तो उसने महिला को मंत्री के साथ अनैतिक कृत्य करने के लिए दवाब बनाया। जब महिला ने इसका विरोध किया, तो जान से मारने की धमकी देने लगा। आखिर में महिला ने थाने पहुंच कर रिपोर्टे दर्ज कराई। चार माह पहले महिला ने नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या की कोशिश की थी और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। हालांकि, महिला ने यह भी स्वीकार किया था कि वह मंत्री से आज तक नहीं मिली है। महिला मंत्री से मिलकर अपने पति की शिकायत करना चाहती थी, लेकिन पति ने उसे नहीं मिलने दिया।
हालांकि इस मामले में विजयशाह का कहना है कि पूरा मामला पारिवारिक है। मुझे बेवजह इसमें बदनाम किया जा रहा है। इसके पीछे किसकी साजिश है यह खोज का विषय है। उधर इस मामले में पीडि़त महिला से मिलने गई मप्र कांग्रेस महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष अर्चना जायसवाल ने बताया कि पीडि़त महिला की शिकायत एकदम सही है। उन्होंने कहा कि उक्त महिला के प्रति मंत्री का झुकाव पहले से ही था और उन्हीं की पहल पर मंत्री के कर्मचारी विन्सू भालेराव से उक्त महिला की शादी डेढ़ वर्ष पहले हुई थी। यह महिला की भी और भालेराव की भी दूसरी शादी है। महिला का पहला पति गुजर चुका है, जबकि विन्सू भालेराव ने अपनी पहली पत्नी को छोड़ कर इस महिला से शादी की थी। महिला का पहले पति से एक लड़का भी है।
हकीकत चाहे कुछ भी हो लेकिन कुंवर विजय शाह की पिछले कार्यकाल की कारगुजारियां किसी से छिपी नहीं हैं और अगर उनके सापेक्ष में देखा जाए तो इस घटना से इनकार भी नहीं किया जा सकता। उन्होंने किस तरह से पिछले कार्यकाल में मंत्री पद का दुरुपयोग किया, इससे जुड़ी शिकायतों की फेहरिस्त भी काफी लंबी है। इस सबसे इतर उनका एक खास अवगुण किसी भी दिन शिवराज और समूची बीजेपी के लिए भारी सिरदर्द बन सकता है... खुद शिवराज से लेकर भाजपा के तमाम नेतागण जानते हैं।
अपनी उस आदत के लिए विजय शाह किस हद तक चले जाते हैं...उनके पिछले कार्यकाल में शिवराज देख चुके हैं। पर्दा नहीं डाला गया होता तो उस आदत को लेकर शाह पिछले कार्यकाल में ही न केवल एक्सपोज हो जाते, बल्कि उनका राजनैतिक कैरियर भी तबाह हो गया होता। यही नहीं शाह के विरुद्ध आदिमजाति कल्याण विभाग में कंप्यूटर और इनवर्टर खरीदी में घोटाले की जांच जारी हैं तथा वन विभाग में बंदूकों की खरीदी की भी ई. ओ.डब्ल्यू जांच जारी हैं।
शिवराज को जानने वाले कहते हैं कि वे भीं यह सब पसंद नहीं करते हैं, लेकिन वे बेचारे क्या करें उन्होंने दिल्ली के दबाव में इस मनचले व्यक्तित्व वाले शख्स को मंत्री बना दिया हैं, सो इसका खामियाजा भविष्य में पूरी भाजपा को भोगना पड़ेगा, क्योंकि खण्डवा में संत कि समाधि पर अधनंगी रूसी बालाओं को नचाकर उन्होंने भाजपा की सूचिता को तार-तार कर डाला था। संत की समाधी पर चल रहे जलसे में उमड़ी थी हजारों की भीड़। भीड़ के नायक थे मध्यप्रदेश के केबिनेट मंत्री कुंवर विजय शाह। इनके पोस्टर जगह-जगह लगे थे तभी एक रुसी बैले डांसर मंच पर आती हैं और एक-एक करके सारे झालर नुमा कपड़े उतार देती हैं। बचते हैं तो सिर्फ अंत:वस्त्र.... खंडवा के निमाड़ी ग्रामीणों की बोली में गोरी औरत नाची चड्डी बनियान में। मजे की बात यह हैं कि इस सब के आयोजक मध्यप्रदेश सरकार और उसके आदिमजाति कल्याण मंत्री विजय शाह थे। इन्हें विवादित विजय शाह कहा जाये तो ठीक होगा। क्योंकि इस तरह के घोषित अघोषित आयोजनों में इनका नाम आना लाजिमी सी बात हैं। यही वजह हैं कि विजय शाह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने आठ महीने के लिए उन्हें केबिनेट से बाहर तक कर दिया था। लेकिन शिवराज भी क्या करें हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे की तर्ज पर उन्हें मजबूरी में विजय शाह को मंत्री मंडल में शामिल करना पड़ा। दिल्ली का दबाव ऐसा था की शिवराज को न चाहते हुए भी विजय शाह को मंत्री बनाना पड़ा ।
इससे पहले भी आदिवासी वोट पाने के लिए विजय शाह ने चार साल पहले से दातार साहब की समाधि पर मालगांव उत्सव का आयोजन सरकारी पैसे से शुरू करवाया, पहले विजय शाह ने वहां संस्कृति के नाम पर बेडनियों का डांस करवाया था, तब उस मामले को दबा दिया गया। लेकिन जब इस बार विजय शाह ने विदेशी लड़कियों को संत की समाधि पर नचवाया तो बखेड़ा शुरू हो गया। संत की समाधि पर नंगा नाच हुआ यह सच हैं और इस पर विवाद भी स्वाभाविक हैं। सवाल साफ हैं कि क्या एक संत की समाधि पर अधनंगी लड़कियों का नाच जरूरी था क्या? क्या विजय शाह की इस करतूत से बीजेपी की रीति नीतियाँ मेल खाती हैं? बीजेपी क्या ऐसे ही आयोजनों के जरिये दूसरों से अलग होना चाहती हैं या उसे और उसके नेताओं को अपना जनाधार बनाए रखने के लिए अधनंगी विदेशी लड़कियों का सहारा लेना पड़ रहा हैं।
आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह जहां अपनी करतूतों के कारण हमेशा विवादों में फंसे रहते हैं वहीं उनके सुपुत्र भी उनसे कम नहीं है। इंदौर में एक उद्योगपति की बेटी के बेहोशी की हालत में एक फ्लैट के बाहर पड़े मिलने के बाद उनके बेटे पर आरोप लगे थे। आरोप था कि शराब के नशे में उनके बेटे ने इस छात्रा को कमरे से बाहर फेंक दिया था। तब यह बात भी सामने आई थी कि मंत्री पुत्र और छात्रा समेत उनके सभी साथी नशे में धूत्त थे और शराब ज्यादा हो जाने के कारण वे अपनी साथी को छोड़ भाग गये थे। हालांकि दोनों पक्षों ने पुलिस में इस बारे में कोई शिकायत नहीं की। इसी घटना के कुछ दिन बाद ही विजय शाह के पुत्र इंदौर के एक व्यस्त चौराहे पर तेज गाड़ी चलाते हुए एक्सीडेंट करने के मामले में झड़प के शिकार हुए। बताया जाता है कि मंत्री पुत्र के साथ गुस्साए लोगों ने हाथापाई भी की। इस मामले में भी राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस ने मंत्री पुत्र के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
अपने पिछले कार्यकाल में भी अपनी विवादित टिप्पणी के कारण विजयशाह सुर्खियों में छाए रहे। ब्राह्मणों के खिलाफ की गई टिप्पणी के विरोध में कुछ युवकों का हुजूम उनके आवास पर मुंह काला करने पहुंच गया था। हाथ में काला रंग लिए युवक मंत्री तक पहुंचते इससे पहले ही पुलिस ने तीन युवकों को दबोच लिया था। ये युवक वन मंत्री की ब्राह्मणों के खिलाफ की गई टिप्पणी से नाराज थे और उन पर काला रंग पोतना चाह रहे थे। यही नहीं अभी कुछ दिन पूर्व ही एक सरकारी योजना में घपले की शिकायत की जांच करने आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह की अगुआई में शिवपुरी पहुंचे दल पर हितग्राहियों ने हमला कर दिया। विजय शाह करैरा के विधायक रमेश खटीक की शिकायत पर शिवपुरी जिले में सफाई कामगारों को एसआरएमएस योजना के तहत उद्योग एवं व्यवसायों के लिए वितरित किए गए लाखों रुपए के ऋण प्रकरणों की जांच करने यहां आए थे। रेस्ट हाउस में विधायक खटीक से चर्चा करने के बाद जब शाह का काफिला जांच दल में शामिल अफसरों के साथ गांधी कॉलोनी स्थित अजाक्स के पूर्व जिलाध्यक्ष कमल किशोर कोड़े के परिवार के सदस्यों के घरों पर पहुंचे तो मामला गरमा गया। मौके की नजाकत को भांपते हुए शाह हितग्राहियों के घरों में स्टील एवं अन्य प्लांट को देखने खुद नहीं गए और समीप ही भाजपा कार्यकर्ता के घर जाकर बैठ गए। जांच के लिए विधायक खटीक, पूर्व विधायक ओमप्रकाश खटीक, शिवपुरी विधायक माखनलाल राठौर के साथ विभाग के अफसर हितग्राहियों के घर पहुंचे। यहीं बात बिगड़ गई और शिवदास कोड़े के घर में हितग्राहियों और उनके परिवार के सदस्यों ने जांच दल पर हमला कर दिया। लोगों ने भाजपा कार्यकर्ता एवं मप्र सफाई कामगार संगठन के सदस्य महेशचंद्र डागौर को पटक-पटक कर पीटा गया। लोगों के हाथ विधायक खटीक की गिरेबां तक पहुंच गए। मारपीट होती देख खटीक मौके से भागे। जांच दल में शामिल अफसर भी भागकर मंत्री शाह के पास पहुंचे और मामले की जानकारी दी। इसके बाद शाह भी बिना जांच किए गाड़ी में बैठकर निकल गए।
स्वर्णिम मध्यप्रदेश का सपना संजोए प्रदेश के विकास को गति देने में लगे मुख्यमंत्री की मंशा पर अगर इसी तरह उनके मंत्री पानी फेरते रहे तो प्रदेश की हालत क्या होगी यह तो भगवान ही बता सकता है।

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