सोमवार, 15 सितंबर 2014

मप्र का हर सातवां नौकरशाह सहकर्मी के मोहफांस में

vinod upadhyay
रंगीन मिजाजी अफसरों से मप्र कैडर की छवि हुई काली
भोपाल। दिल हज़ारों रोज ले जाता है तू,तू ही बता ऐ दिलरुबा करता है क्या.... बहादुर शाह जफर का ये रूमानी शेर मप्र के रंगीन मिजाज अफसरों पर फिट बैठता है...अभी हाल ही में धार के पूर्व कलेक्टर और एक महिला तहसीलदार के अंतरंग संबंधों का मामला सामने आने के बाद इन दिनों प्रदेश के प्रशासनिक हल्कों में उन अफसरों के किस्से खूब याद किए जा रहे हैं जो इश्किया के लिए मशहूर हुए...। वैसे तो एमपी कैडर में आशिक मिजाज आईएएस-आईपीएस अफसरों की फेहरिस्त काफी लंबी है। लेकिन जिलों में तैनाती के दौरान कई अफसरों की रंगीन मिजाजी ने महकमें में कुछ ज्यादा ही सुर्खियां बटोरीं। जिलों में पदस्थ कलेक्टर्स से लेकर प्रमुख सचिव स्तर के आला अफसर तक सब के सब प्रेम प्रसंगों में उलझे हैं। आला अफसरों को अय्याशी का रोग इस तरह लगा है कि वे अपनी स्टेनो तक को नहीं छोड़ रहे हैं। कुछ आईपीएस अफसर तो अपनी मातहत महिलाकर्मियों से भी मुंह काला कर रहे हैं, कुछ अपनी अधीनस्थों को बाहर ले जाकर भी अपनी कामपिपासा शांत कर रहे हैं। खास बात यह है कि महिला आईएएस भी ऐसे मामलों से अलग नहीं हैं।
कनिष्ठों पर फिसला दिल
भोपाल हो या इंदौर। ग्वालियर हो या जबलपुर। या फिर प्रदेश का कोई भी जिला। आशिक मिजाज नौकरशाहों का कनिष्ट महिला अफसरों या कर्मचारियों की सुंदरता पर दिल फिसलता रहा है। एक अनुमान के अनुसार, प्रदेश के 309 आईएएस और 291 आईपीएस में से हर सातवां नौकरशाह अपने सहकर्मी के मोहफांस में फंसा हुआ है या फंसाया है। ताजा मामला धार के पूर्व कलेक्टर आईएएस सीबी सिंह और बाबई में पदस्थ महिला तहसीलदार के अंतरंग संबंधों का सामने आया है। और इसका खुलासा किया है महिला तहसीलदार के बेरोजगार पति ने। आईएएस और महिला तहसीलदार की नजदीकी के कारण पति-पत्नी के बीच हमेशा झगड़ा होता रहा है और अब यह झगड़ा जबलपुर हाईकोर्ट के परिवार न्यायालय में पहुंच गया। हालांकि पति-पत्नी दोनों ही एक-दूसरे पर चरित्र हनन के आरोप लगा रहे हैं। पति ने तहसीलदार पत्नी पर आईएएस सीबी सिंह से अवैध संबंध होने का आरोप लगाया है। उधर, पत्नी ने भी पति पर अन्य महिलाओं से संबंध होने का वाद दायर कर रखा है। हालांकि पति की शिकायत के बाद सीबी सिंह और तहसीलदार पत्नी का सरकार ने पिछले दिनों जारी तबादला सूची में नाम अलग-अलग कर दिया है। पति के आरोपों के आवेदन पुलिस से लेकर प्रशासन के आला अफसरों तक पहुंचे। पति का आरोप है कि मेरी तहसीलदार पत्नी मुझे झूठे केस में फंसा रही है। यह साजिश उसने आईएएस अधिकारी के साथ मिलकर बनाई है। पति ने आवेदन में लिखा है कि उसकी 2002 में जबलपुर में शादी हुई थी। दो बच्चियां हैं। तब पत्नी नायब तहसीलदार हुआ करती थी। पति का आरोप है कि वह आईएएस अधिकारी सीबी सिंह के साथ गेस्ट हाउस में वक्त बिताती थी। दोनों के बीच चार साल से विवाहेत्तर संबंध हैं। यह संबंध विदिशा में पदस्थापना के दौरान बने। यहां से सीबी सिंह का धार तबादला हुआ था। पति ने बताया वह पत्नी का रीवा तबादला कराना चाहता था। इसके लिए वह और उसके पिता मुख्य सचिव आर परशुराम से मिले थे। परिजनों के कहने पर रीवा तो तबादला नहीं हुआ, लेकिन उसकी पत्नी का दूसरी जगह तबादला कर दिया गया। पति महिला आयोग भी गया था। वहां उसे महिला फरियादी न होने पर आवेदन लेने से इनकार कर दिया। पति ने बताया उसकी तरफ से दायर दो पेशी पर पत्नी ड्यूटी और बीमारी का बहाना बनाकर नहीं पहुंची, लेकिन उसकी तरफ से एक वाद लगाकर उसे फंसाने की साजिश की जा रही है।
आशिक मिजाज कलेक्टर साब!
इनसे मिलिए यह हैं मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक ज्ञानेश्वर पाटिल फिलहाल 18 अगस्त से 10 अक्टूबर तक मिड केरियर के प्रशिक्षण पर हैं। इनका और विवादों का चोली-दामन-सा साथ रहा है। वर्ष 2009 में ज्ञानेश्वर पाटिल जब पंचायत विभाग में थे, तब एक पंचायत सचिव के साथ समलैंगिक संबंध बनाते रंगे हाथों धरे गए थे। उसके बाद से वे लूप लाइन में थे। उसके बाद 2013 में श्योपुर की कलेक्टरी के दौरान जिला शिक्षा केंद्र के राजीव गांधी मिशन के तहत डाटा एंट्री का काम करने वाली महिला ने यौन शोषण का आरोप लगाया। आईएएस स्तर के एक अफसर जब कलेक्टर थे तब एक महिला डीएसपी उनकी नजर में चढ़ गई। साहब ने उसे जमकर भोगा, जिससे वह गर्भवती हो गई। तब साहब ने उसे चलता कर दिया। नौ साल तक यह मामला विभिन्न अदालतों में चला और अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
शबनम के साथ रात बिताने आतुर थे
ज्ञानेश्वर पाटिल श्योपुर जिले के पूर्व कलेक्टर डॉ. सुहेल अख्तर की पहली पत्नी के साथ रात बिताने के लिए ज्यादा ही आतुर थे। इस संबंध में शबनम ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को कुछ वीडियो क्लिप्स भेजे थे। जिला शिक्षा केंद्र में पदस्थ शबनम खान पर पाटिल इस कदर मोहित थे कि उनके साथ गेस्टहाउस में रात बिताने के लिए उन्होंने जिला परियोजना समन्वयक केसी गोयल और अपने कार्यालय के जमादार भोलाराम आदिवासी को शबनम के पीछे लगा दिया था। यही नहीं, पिछले दस साल से बेहतर सीआर पाने वाली शबनम की सीआर बिगाड़ी गई और उनका वेतन भी रोका गया। मजबूरी में शबनम ने कलेक्टर के दूत के रूप में काम करने वाले भोलाराम आदिवासी से बातचीत की और छुपे हुए कैमरे से वीडियो बना लिया। जनवरी 2013 में ही वरिष्ठ आईएएस आशीष उपाध्याय पर उन्हीं के मातहत अधिकारी ने महिला की मांग का आरोप लगाया था। उपाध्याय पर आरोप लगे थे कि पांच जनवरी 2012 को शिवपुरी भ्रमण पर आए उपाध्याय ने अपने मातहत मीणा से एक महिला को उपलब्ध कराने की मांग की थी। मांग की पूर्ति नहीं की तो उन्हें निलंबित कर दिया गया।
वो के चक्कर में कईयों का घर बर्बाद
मप्र कैडर के कई आईएएस, आईपीएस, आईएफएस के घर बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं। राज्य मंत्रालय से लेकर मैदानी इलाकों में पदस्थ ऐसे 14 आईएएस हैं,जो अपने अनैतिक संबंधों के कारण अपने घर में गेस्ट की तरह रहने को मजबुर हैं। जबकि आधा दर्जन तो ऐसे हैं जिनके घरों में रोजाना कलह होती है और पड़ोसी अफसर अगले दिन उनके किस्से को एक-दूसरे से शेयर करते हैं। इसका खुलासा 2010 और फिर 2012 में मंत्रालय में बंटे एक पर्चे में भी किया गया है। मध्यप्रदेश कैडर के कुछ आईएएस की रंगीन मिजाजी के कारण मामला तलाक तक पहुंच गया है। इनमें से एक अफसर दिल्ली में पदस्थ है। यही नहीं कई नौकरशाह तो कालगर्ल के भी शौकिन हैं। ये अफसर अक्सर मुंबई और दिल्ली की यात्रा करते रहते हैं। मंत्रालय में अपनी बेबाकी के लिए जाने जाने वाले एक आईएएस कहते हैं कि मैदानी क्षेत्रों में जब कोई अफसर पदस्थ रहता है तो उसके अपने महिला सहकर्मी या मातहत से भावात्मक संबंध बन जाते हैं। वह दावा करते हैं की अक्सर जब कोई प्रशिक्षु महिला अधिकारी किसी सीनियर के अंडर में आती है तो वह चाह या फिर मजबुरी में अफसर की ओर झूक जाती है।
सुर्खियों में अफसरों की 'आशिक मिजाजीÓ
प्रदेश पुलिस इन दिनों महकमे के कुछ अफसरों की 'आशिक मिजाजीÓ के कारण सुर्खियों में है। महकमे में कोई किसी महिला को ब्लैकमेल कर उसका दैहिक शोषण कर रहा है तो कोई पत्नी के रहते अपने अधीनस्थ से विवाहेतर रिश्ते बनाए हुए है। आशिक मिजाज अफसरों की वजह से पुलिस की किरकिरी भी खूब हो रही है। ताजा मामला ग्वालियर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक प्रमोद वर्मा का है, जिन पर उनकी पत्नी निधि वर्मा ने अधीनस्थ महिला अफसर से रिश्ते रखने का आरोप लगाया है। निधि ने यह शिकायत पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे से की है। वर्मा की पत्नी द्वारा की गई शिकायत में कहा गया कि उनके पति के एक महिला पुलिस अधिकारी से रिश्ते हैं। यही कारण है कि वह कई महीने से अपने पति के साथ नहीं रह रही हैं। दुबे ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच की जिमेदारी महिला सेल को सौंप दी थी। वहीं सरकार को लगा कि वर्मा पर लगे आरोप पर कार्रवाई नहीं की गई तो संदेश अच्छा नहीं जाएगा, लिहाजा सरकार ने वर्मा को ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक पद से हटा दिया है। एक अन्य मामला आईपीएस अफसर और अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक पद के अधिकारी अनिल मिश्रा का है। उन पर आरोप है कि उन्होंने एक आरोपी की पत्नी का लंबे अरसे तक शारीरिक शोषण किया है। महिला का आरोप है कि मिश्रा लगातार उसे कई स्थानों पर ले गए और उसके साथ दुष्कर्म किया। मिश्रा की कारगुजारी सामने आने के बाद सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया, मगर वह अब भी पुलिस की गिर त से बाहर हैं। इस पीडि़त महिला के परिजनों ने मिश्रा के साथ हुई बातचीत का जो ऑडियो टेप जारी किया है, उसमें मिश्रा न केवल महिला से अभद्र शब्दावली का इस्तेमाल कर रहे हैं, वहीं उसे जान से मारने की धमकी भी दे रहे हैं।
फाइलों में दब गया होशंगाबाद सेक्स स्कैंडल
हमेशा दूसरों का दाग देखने वाली पुलिस की वर्दी पर जब दाग लगता है तो पूरा महकमा उसे मिटाने में जुट जाता है। ऐसा की हश्र अक्टूबर 2011 में सामने आए होशंगाबाद पुलिस सेक्स स्कैंडल का हुआ। एक महिला नव आरक्षक ने तत्कालीन होशंगाबाद एडीशनल एसपी (वर्तमान में निलंबित अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक)अनिल मिश्रा पर छेड़छाड़ सहित कई संगीन आरोप लगाए। मामला चूंकि एएसपी स्तर के अधिकारी का था, इसलिए पुलिस के बड़े अफसरों ने इसे फाइलों में ही रफा-दफा कर दिया। इस मामले में बताया जाता है कि उक्त नव आरक्षक ने न केवल अनिल मिश्रा के खिलाफ फोन पर अनर्गल बातचीत और छेड़छाड़ जैसे गंभीर आरोप लगाए, बल्कि उसने पचमढ़ी के मेले सहित कई मामलों का जिक्र सबूत के तौर पर किया। अगर मामले की तहकीकात सही ढंग से हुई होती तो इस सेक्स स्कैंडल में पीएचक्यू से लेकर जिलों में पदस्थ कईअधिकारियों की कारगुजारी सामने आ सकती थी। यहां बताना उचित होगा कि इस मामले की जांच में एसपी ने एएसपी को निर्दोष बताया था जबकि डीएम की जांच में यह साबित पाई गई थी। दूसरी जांच इंदौर ऑफिसर मैस की है। मिश्रा को एक भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी ने पिछले वर्ष ऑफिसर मैस में महिला के साथ पकड़ा था। उसे एआईजी ने अपना रिश्तेदार बताया था। एक गोपनीय रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय भी आई थी जिस पर जांच लंबित हैं। पुलिस विभाग की एक तेजतर्रार महिला आईपीएस अधिकारी का दावा है कि मिश्रा की जहां-जहां पदस्थापना हुई है उन्होंने वहां-वहां अपनी तथा अपने वरिष्ठ अधिकारियों की रातें रंगीन करने की व्यवस्था कर लेता था। मिश्रा पर छतरपुर पदस्थापना के दौरान भी इसी तरह के संगीन अपराध भी दर्ज हो चुका है। इससे पहले आईपीएस अफसर मयंक जैन भी अपनी पत्नी से हुए विवादों के कारण चर्चा में रहे। मामला थाने तक भी पहुंचा, मगर बाद में दोनों में आपसी समझौता हो गया। नगर निरीक्षक पद के अधिकारी आशीष पवार को भी प्रेम संबंधों के मामले में थाने की जि मेदारी छोडऩी पड़ी थी। एक अन्य पुलिस अधिकारी अखिलेश मिश्रा की शिकायत तो जनसुनवाई में उनके आचरण को लेकर की गई थी जिसके चलते अफसरों ने उन्हें थानेदार की कुर्सी से रुखसत कर दिया था। यौन शोषण के आरोप में फंसने वाले पुलिस महकमे के अफसर बड़े आराम से फरारी काटते हैं। हाल ही का एक मामला है भोपाल का। यहां एक महिला प्रोफेसर एक निरीक्षक स्तर के अधिकारी की वासना का लंबे समय तक शिकार बनती रही है और उसने आत्महत्या तक कर ली पर इस मामले में आरोपी बनाए गए अफसर उपमन्यु सक्सेना को अब तक पकड़ा नहीं गया है। एडीजी के पद से सेवानिवृत्त हुए आरके चतुर्वेदी की पत्नी ने भी उनकी शिकायत की थी। उनका समझौता कराने के लिए पुलिस के सामने सरेंडर करने वाले कुख्यात डाकू मलखान सिंह भोपाल आया था। उनके खिलाफ वारंट भी जारी है। एडीजी स्तर के एक अधिकारी की पत्नी ने उन्हें घर से निकाल दिया था। बताते हैं कि वे कई दिनों तक पुलिस ऑफीसर्स मेस में रहे हैं। अफसरों के हस्तक्षेप के बाद पति-पत्नी में समझौता हो गया था। दो और आईपीएस अफसर पत्नी से विवादों को लेकर चर्चा में रहे हैं। दोनों वर्तमान में एडीजी स्तर के अधिकारी हैं। अब उनका भी समझौता हो गया है। आईजी स्तर के अधिकारी भी अपनी पत्नी से अलग रह रहे हैं। उनकी पत्नी मप्र से बाहर रहती हैं। भोपाल में उनकी जीवनसाथी उनके साथ खेलने वाली एक महिला है।
साधना बेहार ने दे दी थी जान
पुलिस अफसरों के प्रेम संबंध का एक मामला काफी समय पहले सामने आया था जिसमें प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव शरदचंद बेहार की भतीजी और पुलिस उप निरीक्षक साधना बेहार के संबंध उस समय निरीक्षक हीरालाल रौंतिया से हो गए थे और उसने अपनी जान तक दे दी थी। हीरलाल रौंतिया का उस मामले में कुछ नहीं हुआ।
बुरी नीयत से घूरता था डिप्टी कमांडेंट
5 अगस्त को भोपाल के राजा भोज विमान तल पर तैनात सीआईएसएफ की आरक्षक रितु कुमारी ने डिप्टी कमांडेंट विजय कुमार धनकड़ की ओछी हरकतों से तंग आकर खुद को गोली मार ली। अभी रितु का इलाज एम्स दिल्ली में चल रहा है। रितु ने अपने बयान में कहा है कि धनकड़ पीटी परेड में रोज मुझे बुरी नीयत से घूरता था। उसकी नजर में खोट ज्वाइनिंग के बाद से ही आ गई थी। पहले उसने मेरा मानसिक शोषण शुरू किया। इसके बाद वह मनमानी पर उतर आया लेकिन उसे मैंने ऐसा कोई अवसर नहीं दिया, तो उसने शारीरिक सजा के तौर एक्ट्रा डूयटी लगाना शुरू कर दिया। ताकि परेशान होकर मैं उसकी बात मान लूं। उसकी मंशा शारीरिक शोषण करने की थी, जिसके लिए मैंने कभी मौका नहीं दिया। इस कारण वह सबके सामने मेरी बेईज्जती करने लगा था। यही नहीं वह मेरी ड्यूटी अपने कमरे के सामने लगाता था, जहां से अक्सर मुझे घूरता रहता था। इस कारण मैंने खुद के पेट में गोली मार दी। मैं लहूलुहान होकर गिर पड़ी। इसके बाद मुझे होश नहीं रहा। गांधीनगर पुलिस ने जरूर महिला आयोग की फटकार के बाद डीसी विजय धनकड़ के खिलाफ छेड़छाड़ समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर लिया, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं की जा रही है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि जांच पूरी होने के बाद गिरफ्तारी की जाएगी।
पुलिस ट्रेनिंग में महिला कांस्टेबलों का यौन उत्पीडऩ
महिलाओं के विरूद्ध बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए देश भर में तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं। पुलिसिंग को चाक-चौबंद किया जा रहा है, वहीं सिवनी में पुलिस के अधिकारी ही महिला नव आरक्षकों के साथ अश्लील हरकतें करने से बाज नहीं आ रहे हैं। जून माह में सिवनी में कुछ प्रशिक्षु आरक्षकों के द्वारा एक पुलिस अधिकारी पर यौन शोषण के आरोप लगाए गए थे। उस वक्त इन आरोपों को 'किसी का षडयंत्र ' बताकर खारिज कर दिया गया था। इसके बाद यह मामला शांत नहीं हुआ और अब इसकी आंच राज्य महिला आयोग तक पहुंच चुकी है। दरअसल, हाल ही में प्रशिक्षण के लिए सिवनी पुलिस में तैनात की गईं कुछ महिला कांस्टेबॅल्स ने राज्य महिला आयोग को शिकायत कर अधिकारियों के द्वारा यौन शोषण किए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने अपने आरोप में कहा है कि इसका विरोध किए जाने पर प्रशिक्षण के उपरांत उनकी तैनाती में व्यवधान डालने एवं कैरियर को चौपट करने जैसी धमकियां भी दी जा रहीं हैं। हालांकि मामला सामने आने के बाद डीजीपी नंदन दुबे ने संज्ञान में लिया है। उन्होंने इस गंभीर मामले की जांच का जि मा आईजी (महिला सेल) प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव को दिया है। उधर मामले के तूल पकडऩे के बाद सिवनी के पुलिस अधीक्षक बीपी चंद्रवंशी ने भी इस संबंध में कुछ शिकायती पत्र आने की बात स्वीकार की है। उन्होंने बताया कि जो पत्र उन्हें मिले हैं उन पर किसी का नाम नहीं है, इस वजह से मामले की जांच नहीं कराई गई।
जो सहती है वह मौज करती है
बताया जाता है कि पुलिस में भर्ती के साथ ही महिलाओं का शोषण करने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस बात का खुलासा कई स्तरों पर हुआ है। सिवनी की पीडि़त महिला नव आरक्षकों ने भी यह कहा है कि जो महिला नव आरक्षक इन अधिकारियों की मनमानी को सहती रहती हैं, वे मौज करती हैं और दूसरी ओर ऐसे अधिकारियों का विरोध करने पर प्रशिक्षण में मौजूद अधिकारियों द्वारा दो टूक शब्दों में यह कह दिया जाता है कि यह पुलिस की नौकरी है, पुलिस की नौकरी करना है तो 'कंप्रोमाईज ' तो करना ही होगा, पुलिस में सब चलता है। सिवनी में प्रशिक्षण हेतु तैनात महिला नव आरक्षकों ने कहा कि इन शैतानी फितरत के अधिकारियों का साथ कुछ महिला कर्मचारियों द्वारा भी दिया जाता है। महिला कर्मचारी इन नव आरक्षकों को सच्ची-झूठी कहानियां बताकर उन्हें बरगलाने का कुत्सित प्रयास भी करती हैं। यहां यह उल्लेखनीय होगा कि प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों के बढ़ते हौसलों को देखकर महिला नव आरक्षकों ने इसकी शिकायत राज्य महिला आयोग से करने का मन बनाया था।
थानों में सुरक्षित नहीं महिला कांस्टेबल!
देश में सर्वाधिक बलात्कार की घटनाओं के कारण बदनाम मप्र के थानों में भी महिला कांस्टेबल या अन्य कर्मी सुरक्षित नहीं हैं। जिस तरह से पुलिस थानों में अपने महिला कांस्टेबलों ने सीनियर पुलिसकर्मियों के खिलाफ मानसिक और शारीरिक शोषण का आरोप लगाया है उससे ये सवाल उठना लाजमी है। पिछले एक साल में प्रदेश के 1001 थानों में से अधिकांश में महिला कांस्टेबलों ने अपने साथ काम करने वाले पुरुषकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाए हैं लेकिन सभी मामलों में पुलिस महकमे ने दोषियों को दंडित करने के बजाए विभागिय कार्रवाई कर मामले को दबाने का प्रयास किया है। राजधानी भोपाल के एक पुलिस थाने में तैनात एक महिला कांस्टेबल ने अपने सीनियर पुलिसकर्मियों के हरकतों के खिलाफ शिकायत की तो उसे प्रताडि़त किया जाने लगा। उस महिला कांस्टेबल का कहना है कि उसने पिछले सालभर में न जाने कितनी बार अपने अधिकारियों से पुलिस में तैनात कुछ अफसरों की शिकायत की लेकिन कुछ नहीं हुआ, उल्टे उसी का तबादला कर दिया गया। उसने लिखित में शिकायत दी है कि थाने में उसके साथ अभद्र व्यवहार किया गया।
इंदौर में महिला पुलिसकर्मी से जबर्दस्ती
इसी तरह इंदौर के पुलिस रेडियो ट्रेनिंग स्कूल (पीआरटीएस) में भी एक महिला पुलिसकर्मी से उसके सीनियर ने जबर्दस्ती करने की कोशिश की और विरोध करने पर ड्यूटी नहीं लगाने की धमकी दी। हालांकि महिला शिकायत पर 16 अप्रैल 2014 महिला पुलिसकर्मी को परेशान करने वाले निरीक्षक पर मल्हारगंज पुलिस ने केस दर्ज किया है। बताया जाता है की अक्टूबर 2013 से पीआरटीएस में पदस्थ निरीक्षक शिवकुमार गुप्ता द्वारा महिला पुलिसकर्मी का यौन उत्पीडऩ किया जा रहा था। शिकायतकर्ता महिला पुलिसकर्मी पीआरटीएस में प्रशिक्षणार्थियों को ट्रेनिंग देती हैं। उनका आरोप था कि यहीं पदस्थ प्रशासन प्रभारी निरीक्षक रेडियो गुप्ता उनके साथ अभद्रता करते हुए यौन उत्पीडऩ करता है। सुबह और रात को काम करने के लिए अकेले बुलाता है। साथ ही कई बार अलग-अलग तरह से अपने क्षेत्राधिकार के बाहर के काम में दखल देते हुए परेशान करता है। इसकी शिकायत उक्त पुलिसकर्मी ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों से की,लेकिन जब उसकी नहीं सुनी गई तो उसने 14 दिसंबर, 2013 को महिला पुलिसकर्मी ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), मध्यप्रदेश राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग, मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग, मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग को भी इसकी शिकायत की थी। इस पर डीजीपी ने जांच के आदेश दिए थे। आईजी ने जांच महिला आईपीएस अधिकारी सिमाला प्रसाद से करवाई थी, लेकिन महिला पुलिसकर्मी ने जांच से असंतोष जताते हुए एडीजी (टेलीकॉम) अन्वेष मंगलम को शिकायत की थी। इसमें महिला ने ये भी कहा था कि शिकायत के बाद आरोपी गुप्ता को उन्हीं के कार्यालय के पास स्थित एसपी रेडियो के ऑफिस में अटैच किया गया है। वह अकसर आकर धमकाता और दबाव बनाता था। एडीजी के आदेश पर उसे खरगोन अटैच किया गया था और दोबारा जांच करवाई थी। इसके बाद केस दर्ज किया गया। तब से लेकर अभी तक मामला जांच में है। ऐसा की एक और मामला इसी साल जनवरी में सामने आया। इंदौर के पूर्व क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक ओपी त्रिपाठी के निजी सहायक अशोक तिवारी पर एक प्रशिक्षु महिला उप निरीक्षक ने फोन पर परेशान करने का आरोप लगाते हुए शिकायत की है। महिला उपनिरीक्षक द्वारा की गई शिकायत की भारतीय पुलिस सेवा की महिला अधिकारी से करा जा रही हैं।
324 ने राष्ट्रीय महिला आयोग से लगाई गुहार
पुलिस, विभागीय अधिकारी और राज्य महिला आयोग में भी सुनवाई नहीं होने से निराश 324 महिलाओं ने राष्ट्रीय महिला आयोग से मदद की गुहार लगाई है। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में इस बार लगभग दो गुना हो गया है। साल 2013 में प्रदेश से 122 महिलाओं के आवेदन राष्ट्रीय महिला आयोग को मिले थे। इनके समाधान के लिए प्रमुख सचिव को एक साल में 2 पत्र और तीन बार रिमाइंडर भेजा जा चुका है। ज्यादातर शिकायतों में महिलाओं ने पुलिस प्रताडऩा का जिक्र किया है। 149 शिकायतें छेड़छाड़ या धमकाने के मामलों की हैं, जिनमें पुलिस ने पीडि़ताओं की शिकायत नहीं सुनी और आरोपियों का पक्ष लिया। 97 शिकायतें दुराचार और गैंग रेप की हैं। अधिकतर मामले ग्रामीण इलाकों के हैं, जहां महिला पुलिस नहीं होने की वजह से पीडि़ता के बयान तक दर्ज नहीं हो सके हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोग में तालमेल की कमी के कारण अधिकांश मामलों की कार्रवाई में देर हो रही है। राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष ममता शर्मा का कहना है कि राज्य स्तर पर जिन मामलों का निपटारा हो सकता है, उनके संबंध में राज्य महिला आयोग को निर्देशित किया जा सकता है लेकिन पिछले आदेशों का पालन नहीं होने के बाद से सीधे संबंधित विभाग को पत्र लिखने पड़ते हैं। ऐसे में कार्रवाई का फीडबैक नहीं मिल पाता।

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