सोमवार, 15 सितंबर 2014

अब नेताओं की खादी होगी बेदाग

-मप्र के 7 सांसदों और 73 विधायकों को क्लीनचीट देने की तैयारी
-केंद्र ने मांगी दागी सांसदों और विधायकों के केसों की जानकारी
-केंद्रीय गृह मंत्री और केंद्रीय गृह सचिव ने भेजा मप्र सरकार को पत्र
- गंभीर अपराध सिद्ध हुए तो छिन सकती है सांसदी या विधायकी
-मंत्री बाबूलाल गौर, सरताज सिंह, गौरीशंकर शेजवार, राजेंद्र शुक्ल, लाल सिंह आर्य भी दागियों में शामिल vinod upadhyay
भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के सख्त लहजे के बाद अब केंद्र सरकार ने दागी सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे केसों का जल्द से जल्द निपटारा करना चाहती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों से सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे केसों की डिटेल मांगी है। देश भर में जहां 185 सांसदों पर विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज है, वहीं इसमें मप्र के 7 सांसद भी शामिल हैं। इनके अलावा प्रदेश के 5 मंत्रियों सहित 73 विधायकों के खिलाफ भी विभिन्न तरह के केस दर्ज हैं। केंद्र सरकार की मंशा है की अब मप्र सहित देश के सभी दागी सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे केसों का जल्दी ही निपटारा किया जाएगा। मोदी सरकार सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई एक साल के भीतर पूरा करने की कोशिश में जुट गई है। ताकि जल्द ही सभी नेताओं की खादी सफेद नजर आएगी। दरअसल,राज्य सरकार की दलील है की मप्र के किसी भी वर्तमान विधायक पर ऐसे केस दर्ज नहीं हैं जिनके कारण उन्हें सजा मिल सकती है।
केंद्रीय गृह मंत्री और केंद्रीय गृह सचिव ने भेजा पत्र
देश की राजनीति को बेदाग बनाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया है। उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और मुख्य सचिवों को अलग-अलग पत्र लिखे हैं और उन्हें उच्चतम न्यायालय के निर्देशों की अनुपालना के लिए उन्हें कदम उठाने की सलाह दी है। इनमें वे मामले शामिल हैं जिनमें दो साल की सजा का प्रावधान है और जिससे संसद या राज्य विधानसभाओं से उन्हें अयोग्य करार दिए जा सकता है। मप्र सरकार को भेजे पत्र में केंद्रीय गृह मंत्री सांसदों विधायकों के केस की डिटेल मांगने के साथ ही ऐसे मामलों की सुनवाई में तेजी लाने को कहा है जिनमें दोष साबित होने पर अयोग्य करार देने का प्रावधान है। पत्र में कहा गया है कि वे अदालतों में ऐसे मामलों की नियमित आधार पर सुनवाई करवाएं, विशेष सरकारी वकील नियुक्त करें और उनकी नियमित निगरानी सुनिश्चित करें। गृह मंत्री और गृह सचिव ने अपने निर्देश में यह भी कहा है कि अगर वकीलों की कमी के चलते मामले की सुनवाई अटकती है, तो राज्य सरकार को विशेष सरकारी वकील की नियुक्ति करनी चाहिए। इसके अलावा राज्य के गृह सचिवों को नियमित अंतराल पर मामले की समीक्षा करने को भी कहा गया है। पिछले हफ्ते इसी तरह का पत्र कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद द्वारा भी प्रदेश सरकार को भेजा गया था।
मप्र के 32 फीसदी विधायक दागदार
नेशनल इलेक्शन वॉच की मध्यप्रदेश इकाई और लोकतंत्र सुधार संघ (एडीआर) के अनुसार,चौदहवीं विधानसभा 'दागियोंÓ से भरपूर है। मतदाताओं ने जो नुमाइंदे चुनकर विधानसभा में भेजे हैं उनमें 73(32 प्रतिशत )के खिलाफ विभिन्न धाराओं में आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। इनमें 45 तो ऐसे हैं जिनके विरुद्ध डकैती, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ जैसे गंभीर प्रकरण चल रहे हैं। जबकि, 2008 की विधानसभा में 26 प्रतिशत विधायकों के खिलाफ ही आपराधिक मामले थे। मध्यप्रदेश इलेक्शन वॉच संस्था ने विधायकों के आपराधिक रिकार्ड का खुलासा करते हुए दावा किया है कि भाजपा के निर्वाचित 165 में से 48 विधायकों (29 प्रतिशत), कांग्रेस के 58 में से 22 विधायकों (38 प्रतिशत), बसपा के चार में से एक (25 प्रतिशत) एवं दो निर्दलीय विधायकों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की है। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 73 विधायकों में से 45 पर अपहरण, डकैती, महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2013 के एक फैसले से ऐसे सांसद और विधायकों की सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा था जिन्हें भ्रष्टाचार सहित ऐसे आपराधिक मामले में अदालत द्वारा दोषी ठहरा दिया गया हो जिसके लिए दो साल या इससे अधिक सजा का प्रावधान हो। लेकिन अब केंद्र सरकार की पहल से दागी नेताओं को राहत पहुंची है। उधर, सूत्रों का कहना है कि अभी केंद्र सरकार द्वारा यह स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है की दागदारों की श्रेणी में कौन-कौन से केस वाले नेताओं को शामिल किया जाएगा। उधर,कुछ नेताओं का कहना है कि पूर्व सांसदों और विधायकों के संबंध में भी विचार होना चाहिए। उधर, भाजपा के नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार राजनीति को स्वच्छ करने के अपने वादे पर कायम है और इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस साल मार्च में दिए गए आदेश को लागू करने की कोशिश शुरू की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया था कि दो साल से अधिक सजा वाले मामलों में सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ केस की सुनवाई एक साल में पूरी होगी और ऐसा नहीं होने पर जिला जज को हाईकोर्ट को रिपोर्ट भेजनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को लागू कराना जरूरी है। इसके लिए कानून मंत्री ने सभी राज्यों के कानून मंत्री और गृहमंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है।
मामलों की रिपोर्ट हो रही तैयार
प्रदेश के विधायकों पर विभिन्न अदालतों में दर्ज केस की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। मप्र के विधि विभाग के अधिकारियों ने विधायकों से संबंधित जिला अदालतों और कलेक्टोरेट से जानकारी मांगी है। विधायकों ने चुनाव के दौरान अपने आवेदन के साथ अपने आपराधिक मामलों की जो जानकारी दी है उसकी भी पड़ताल की जा रही है। इस संदर्भ में विधि विभाग विधिवेताओं से भी सलाह लेगा। माना जा रहा है प्रदेश में जिन कुछ विधायकों के खिलाफ गंभीर मामले अदालतों में चल रहे हैं उन्हें भी माफी के दायरे में लाया जाएगा।
अपराध कैसे-कैसे? - आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 73 विधायकों में से 45 पर अपहरण, डकैती, महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। - भाजपा के तीन विधायकों भंवर सिंह शेखावत, रमेश मेंदोला, ओम प्रकाश धुर्वे और कांग्रेस के एक विधायक राजेंद्र कुमार सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज है। -दो विधायकों ने महिलाओं के विरुद्घ अपराध की घोषणा शपथ-पत्र में की है और ये दोनों ही सत्तारुढ दल के विधायक हैं। माहिदपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के बहादुर सिंह के ऊपर भारतीय दंड संहिता की धारा 509 के तहत किसी महिला के विरुद्घ अश्लील हरकत करने का मामला दर्ज है। मुरैना से भाजपा के रुश्तम सिंह के विरुद्घ भारतीय दंड संहिता की धारा 498 (पति अथवा रिश्तेदार द्वारा क्रुरता) के तहत मामला दर्ज है।
आरोप सिद्ध हुआ तो 13 साल के लिए चुनाव से दूर होंगे दागी नेता
सुप्रीम कोर्ट से दागी सांसदों को कैबिनेट मंत्री न बनाए जाने की सलाह मिलने के बाद मोदी सरकार अब जनप्रतिनिधित्व कानून में बड़ा संशोधन करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत जिन नेताओं पर गंभीर आरोप लगे हैं, उन्हें 13 साल तक चुनावी राजनीति से दूर किया जा सकेगा। जनप्रतिनिधित्व कानून में प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, यदि जनप्रतिनिधि के खिलाफ किसी भी आपराधिक मामले में चार्जशीट पेश हो चुकी हो और उसमें कम से कम 7 साल की कैद का प्रावधान हो, तो वह खुद-ब-खुद अपात्र घोषित हो जाएगा। अगर केस का ट्रायल पेंडिंग हो या सजा के बाद अपील की गई हो, तो भी नेता को अपात्र ही माना जाएगा। फिलहाल ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। कानून मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, संशोधन बिल का ड्राफ्ट तैयार है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुमति मिलने के बाद इसे आगामी शीत सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि कानून मंत्रालय ने प्रस्तावित संशोधन विधेयक में स्पष्ट किया है कि यदि उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव की अधिसूचना जारी होने से 180 दिन पहले चार्जशीट पेश की गई हो, तो ही उसे अयोग्य घोषित किया जा सकेगा। साथ ही सरकार ने लॉ कमीशन द्वारा दागियों को राजनीति से दूर करने और जनप्रतिनिधित्व कानून में सुझाई गई अनुशंसाओं को भी संशोधन विधेयक में शामिल किया है। संशोधन बिल के ड्राफ्ट में कमीशन के सुझावों को भी शामिल किया गया है।
इसके अलावा- - प्रस्तावित संशोधन विधेयक में पहली बार गलत शपथपत्र देने को भी शामिल किया गया है। प्रस्ताव के मुताबिक, ऐसा करने पर उम्मीदवार को उस सीट से भी चुनाव लडऩे पर पाबंदी होगी। साथ ही उसे अगले 6 साल तक किसी भी चुनाव लडऩे से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। - गलत शपथपत्र देने की स्थिति में कानून मंत्रालय कम से कम 6 माह और ज्यादा से ज्यादा 3 साल की सजा का प्रावधान भी प्रस्तावित कर रहा है।
मप्र के पार्टीवार विधायकों की स्थिति
दल कुल विधायक दागी विधायक (संख्या)
भाजपा 165 48
कांग्रेस 58 22
बसपा 04 01
निर्दलीय 03 02
मप्र के दागी विधायक और उनपर दर्ज कसों की संख्या
क्र. नाम विस.क्षेत्र पाटी केस संख्या 1 तरूण भनोत जबलपुर पश्चिम कांग्रेस केस-8 2 गिरीश कुमार नरसिंहगढ़ कांग्रेस केस-5 3 जयभान सिंह पवैया ग्वालियर भाजपा केस-1 4 राजेंद्र कुमार सिंह सतना कांग्रेस केस-2 5 केपी सिंह अमरपाटन कांग्रेस केस-1 6 दिलीप शेखावत नागदा खाचरौद भाजपा केस-9 7 मुरलीधर पाटीदार सुसनेर भाजपा केस-5 8 बलवीर सिंह दिमनी बसपा केस-3 9 रुस्तम सिंह मुरैना भाजपा केस-2 10 जालम सिंह नरसिंहपुर भाजपा केस-2 11 भंवरसिंह शेखावत .धार भाजपा केस-1 12 अरुण भीमावत शाजापुर भाजपा केस-1 13 गोपाल सिंह चौहान चंदेरी कांग्रेस केस-6 14 संजय पाठक विजयराघवगढ़ भाजपा केस-2 15 रमाकांत तिवारी श्योपुर भाजपा केस-1 16 अंचल सोनकर पूर्वी जबलपुर भाजपा केस-1 17 चंद्रशेखर देशमुख मुलताई भाजपा केस-1 18 सत्यपाल सिंह सुमावली भाजपा केस-4 19 सुख सिंह बाना मऊगंज (रीवा) कांग्रेस केस-3 20 राजेश सोनकर सांवेर भाजपा केस-3 21 सोहनलाल वाल्मिकी परासिया कांग्रेस केस-2 22 सुरेंद्र नाथ सिंह भोपाल मध्य भाजपा केस-2 23 मोती कश्यप बड़वारा भाजपा केस-2 24 सतीश मालवीय घट्टिया कांग्रेस केस-1 25 निशंक जैन बासौदा कांग्रेस केस-1 26 जितेंद्र पटवारी राऊ कांग्रेस केस-6 27 नरेंद्र सिंह कुशवाह भिंड भाजपा केस-5 28 कालू सिंह धरमपुरी भाजपा केस-4 29 मनोज पटेल देपालपुर भाजपा केस-3 30 दिनेश राय मुनमुन सिवनी निर्दलीय केस-3 31 विश्वास सारंग नरेला भाजपा केस-2 32 यादवेंद्र सिंह नागोद कांग्रेस केस-2 33 सुरेंद्र गुप्ता इंदौर-1 भाजपा केस-2 34 इंदर सिंह परमार कालापीपल भाजपा केस-2 35 वेलसिंह भूरिया सरदारपुर भाजपा केस-1 36 विक्रम सिंह राजनगर कांग्रेस केस-1 37 बहादुर सिंह महीदपुर भाजपा केस-1 38 कल सिंह भभर चंदला निर्दलीय केस-1 39 लालसिंह आर्य गोहद भाजपा केस-1 40 गौरशंकर बिसेन बालाघाट भाजपा केस-1 41 राजेश यादव .गरोठ भाजपा केस-1 42 रमेश मंदोला इंदौर-2 .भाजपा केस-1 43 महेंद्र सिंह बामौरी कांग्रेस केस-1 44 संजय शर्मा तेंदुखेड़ा भाजपा केस-1 45 अमर सिंह यादव राजगढ़ भाजपा केस-1 46 अजय सिंह चुरहट कांग्रेस केस-2 47 हर्ष सिंह रामपुर बघेलान भाजपा केस-2 48 रामेश्वर शर्मा भोपाल (हुजूर) भाजपा केस-2 49 ऊषा ठाकुर इंदौर-3 भाजपा केस-2 50 गोविंद सिंह लहार कांग्रेस केस-1 51 रामदयाल चंदला भाजपा केस-1 52 शंकरलाल तिवारी सतना भाजपा केस-1 53 शकुंतला खटीक करेरा कांग्रेस केस-1 54 लखन पटेल पथरिया भाजपा केस-1 55 ओम प्रकाश धुर्वे शाहपुरा भाजपा केस-1 56 सज्जन सिंह उइके घोड़ाडोंगरी भाजपा केस-1 57 बाबूलाल गौर गोविंदपुरा भाजपा केस-1 58 कमल मसकुले बालाघाट भाजपा केस-1 59 आरिफ अकील भोपाल उत्तर कांग्रेस केस-1 60 राजेंद्र शुक्ला रीवा भाजपा केस-1 61 राम सिंह यादव कोलारस कांग्रेस केस-1 62 मनोज कुमार अग्रवाल कोतमा कांग्रेस केस-1 63 संदीप जायसवाल मुड़वारा भाजपा केस-1 64 कैलाश विजयवर्गीय मऊ भाजपा केस-1 65 निलेश अवस्थी पाटन कांग्रेस केस-1 66 तुकोजीराव पवार देवास भाजपा केस-1 67 कृष्ण कुमार श्रीवास्तव टीकमगढ़ भाजपा केस-1 68 हरवंश राठौर बंडा भाजपा केस-1 69 रामनिवास विजयपुर कांग्रेस केस-1 70 बाला बच्चन राजपुर कांग्रेस केस-1 71 रंजना बघेल मनावर भाजपा केस-1 72 सरताज सिंह सिवनी मालवा भाजपा केस-1 73 जसवंत सिंह हांडा शुजालपुर भाजपा केस-1
मध्यप्रदेश के दागी सांसद और उन पर दर्ज केसों की संख्या 1 गणेश सिंह सतना भाजपा केस-2 2 फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला भाजपा केस-2 3 लक्ष्मी नारायण यादव सागर भाजपा केस-1 4 ज्योति धुर्वे बैतूल भाजपा केस-2 5 राव उदय प्रताप होशंगाबाद भाजपा केस-1 6 राकेश सिंह जबलपुर भाजपा केस-1 7 नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर भाजपा केस-1
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इधर, तैयार हो रहा मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड
एक तरफ केंद्र सरकार दागी नेताओं को क्लीनचिट देने की तैयारी कर रही है उधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड तैयार करवा रहे हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय के अफसर 10 बिंदुओं के आधार पर एक-एक मंत्री का आकलन कर रहे हैं। बताया जाता है की केंद्र से मिले दिशा-निर्देश के बाद यह कदम उठाया गया है। भाजपा संगठन और संघ की मंशा है की प्रदेश मंत्रिमंडल से ऐसे मंत्रियों को बाहर किया जाए जिनकी परफार्मेंस पुअर है। मंत्रिमंडल के फेरबदल में मंत्रियों के विभाग का फैसला उनकी रेटिंग के अनुसार किया जाएगा। इस आधार पर कुछ मंत्रियों को बड़े विभागों की जिम्मेदारी दी जाएगी तो कुछ के विभाग बदले जा सकते हैं, वहीं खराब परफॉरमेंस वालों को मंत्रिमंडल से बाहर कर उनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड बनाने के लिए इंटेलीजेंस से मंत्रियों की रिपोर्ट मंगवाई है। इसमें यह भी देखा जा रहा है कि कितने मंत्रियों ने पिछले 8 महीने में विभाग के काम-काज पर कितना ध्यान दिया है। बताया जाता है कि रिपोर्ट तैयार होने के बाद मुख्यमंत्री सबके कामकाज के लिए मंथन करेंगे और एक-एक मंत्री को उनका हिसाब-किताब देंगे। इस संबंध में मुख्यमंत्री सचिवालय ने तैयारी शुरू कर दी है। इस बार के मंथन में मंत्रियों के साथ ही चुनिंदा अफसरों को भी शामिल किया जाएगा।
निधि के उपयोग पर भी नकेल
विधायक व सांसद निधि के तहत जारी की जाने वाली निधि के उपयोग को लेकर केंद्र सरकार ने अतिरिक्त सतर्कता बरतना शुरू कर दिया है। केंद्र ने विधायकों पर शिकंजा कस दिया है। जारी निर्देश में दोटूक शब्दों में कहा गया है कि विधायक निधि के तहत विकास कार्य के लिए एक बार प्रस्ताव भेजने के बाद उसमें संशोधन नहीं होगा। लिहाजा विधायकों को अब सोच समझकर प्रस्ताव बनाने और जिला योजना एवं सांख्यिकी विभाग के हवाले करने की सलाह दी गई है। निधि के उपयोग को लेकर केंद्र सरकार ने पहले सांसदों के लिए लक्ष्मण रेखा खींची इसके तुरंत बाद अब विधायकों के लिए हदें तय कर दी है। सांसदों को हर हाल में 15 मार्च तक विकास कार्य के संबंध में प्रस्ताव भेजने कहा गया है। केंद्र सरकार ने विधायक निधि के उपयोग को लेकर जरुरी गाइड लाइन जारी किया है। अपने निर्वाचन क्षेत्र के ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में विधायक निधि के तहत कराए जाने वाले कार्य के लिए जिला योजना एवं सांख्यिकी विभाग को भेजे जाने वाले प्रस्तावों में दोबारा उसे परिवर्तन करने की गुंजाइश को केंद्र सरकार ने पूरी तरह खत्म कर दिया है। लिहाजा विधायकों को कार्यों की सूची गंभीरता के साथ बनानी होगी। विकास कार्यों के संबंध में जैसे ही प्रस्ताव जिला योजना एवं सांख्यिकी विभाग के पास पहुंचेगी। विधायकों के प्रस्तावों को लॉक कर दिया जाएगा। मसलन उन्हीं कार्यों को अंतिम स्वीकृति दी जाएगी जो विधायकों द्वारा भेजे गए हैं। एक बार प्रस्ताव भेजने के बाद इसमें दोबारा रद्दोबदल नहीं किया जा सकेगा। दोबारा निर्वाचित होने के बाद भी नहीं मिलेगी आजादी केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई विधायक दूसरी बार अपने निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीत जाते हैं इसके बाद भी पहले कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा भेजे गए प्रस्तावों को बदलने की आजादी नहीं मिलेगी। पुराने प्रस्तावों को किसी भी हालत में नहीं बदला जाएगा।
विवाद के कारण कड़ा फैसला
पूर्व में इस तरह की शिकायतें लगातार मिलती रही है कि विधायक के चुनाव हारने और नए निर्वाचित होने वाले विधायक द्वारा पूर्व के प्रस्तावों पर कैंची चला दी जाती है। दबाव डालकर उन प्रस्तावों को खारिज करा लिया जाता था जो पूर्व विधायक द्वारा प्रस्तावित किया गया था। राजनीतिक लाभ-हानि को ध्यान में रखकर बनाए जाने वाले दबाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने अब विधायकों के लिए हदें तय कर दी है।

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