गुरुवार, 26 सितंबर 2013

रातापानी अभयारण्य से बेदखल होंगे नौ गांवों के लोग!

बाघों को संरक्षण देने वन विभाग ने उठाए कदम भोपाल। लगातार हो रही बाघों की मौत के बाद सरकार चेती है। आगे बाघों का शिकार न हो इसके लिए अभयारण्यों में मौजुद गांवों को बाहर किया जा रहा है। रायसेन जिले के रातापानी अभयारण्य में बसे गांवों को खाली कराने के लिए केंद्र सरकार ने नई योजना बनाई है। योजना के मुताबिक अभयारण्य क्षेत्र मेे बसे 32 गांवों में से नौ गांवों के निवासियों को प्रति यूनिट 10 लाख रूपए दिए जाएंगे। एक व्यक्ति को एक यूनिट मानकर राशि का वितरण किया जाएगा। इसमें पति, पत्नी को एक यूनिट माना जाएगा। तथा बालिग व्यक्ति को ही यूनिट माना जाएगा। योजना के तहत कलेक्टर के मार्गदर्शन में सारी कार्रवाई की जाएगी। रातापानी अभयारण्य के अधिकारियों ने 32 में से नौ गांव जो अभयारण्य में अंदर की ओर बसे हैं, उन्हे ही खाली कराने का प्रस्ताव केद्र सरकार को भेजा था। योजना में राशि देने के अलावा एक और प्रस्ताव दिया जा रहा है, जिसमें ग्रामीणों को दस लाख रूपए की जगह उसी कीमत में मकान और जमीन भी देने की योजना है। ग्रामीण जिस प्रस्ताव पर राजी होंगे, उसे अपनाया जाएगा। इसमें भी खास बात यह है कि गांव खाली तभी कराए जाएंगे, जब एक गांव के सभी लोग राजी हों। इसमे किसी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं की जाएगी। टाइगर प्रोजेक्ट घोषित कराने की प्रक्रिया शुरू वर्ष 1972 में रातापानी अभयारण्य बनाया गया था। इससे पहले से ये गांव वहां बसे हैं। यहां ग्रामीणों के कच्चे-पक्के मकानों के साथ खेतिहर जमीन भी हैं, जिन पर खेती कर वह गुजर-बसर करते हैं। वन विभाग ने अभयारण्य को टाइगर प्रोजेक्ट घोषित कराने की प्रक्रिया भी शुरू की है। प्रदेश सरकार का यह प्रस्ताव केद्र सरकार के पास लंबित है। इसी सिलसिले में गांवों को खाली कराने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। केद्र सरकार के प्रस्ताव को वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ग्रामीणों के बीच ले जा रहे हैं। इस तरह तय होगी राशि केंद्र सरकार ने योजना में प्रति यूनिट दस लाख रूपए देना तय किया है। इसमे हर बालिग महिला या पुरूष को एक यूनिट माना जाएगा। पति-पत्नी को अलग-अलग यूनिट न मानकर एक यूनिट माना जाएगा। इस तरह परिवार की यूनिट तय कर उसे प्रति यूनिट दस लाख रूपए दिए जाएंगे। यदि परिवार रूपए नहीं लेकर मकान और जमीन चाहेगा तो उसकी यूनिट के मान से बनी राशि की कीमत में ही उसे मकान और जमीन दी जाएगी। ग्राम सभा सेे लेंगे प्रस्ताव वन अधिकारी अभी ग्रामीणों को योजना की जानकारी दे रहे हैं। उन्हे नफा-नुकसान सहित केद्र की इस योजना को समझाया जा रहा है। यदि ग्रामीण राजी होते हैं तो फिर उन्हें पंचायत की ग्राम सभा में इसका सहमति प्रस्ताव तैयार करना होगा, जो कलेक्टर को सौंपा जाएगा। इसके बाद ग्रामीणों को राशि का वितरण या दूयरी योजना के अनुसार जमीन और मकान के इंतजाम किए जाएंगे। ये गांव शामिल प्रस्ताव में वन विभाग ने रातापानी अभयारण्य में बसे कुल 32 गांवों में से नौ गांव झिरी, बहेड़ा, जावरा, मलखार, मथार, दांतखोह, नीलगढ़, धुंधवानी, कड़ी चौका को खाली कराने की योजना बनाई है। ये गांव अभयारण्य मे बहुत अंदर बसे हैं। हजारों ग्रामीण होंगे प्रभावित अभयारण्य में बसे गांवों को खाली कराने की चर्चा सालों से चल रही है। अभी तक नीति और गांवों की संख्या स्पष्ट नहीं हुई थी, जिससे ग्रामीणों में हमेशा यह डर रहता था कि न जाने कब वन विभाग उन्हें गांव छोडऩे का आदेश थमा दें। प्रस्ताव के बाद राशि केद्र शासन की नई नीति के तहत तय नौ गांवों को खाली कराने की तैयारी है। पहले ग्रामीणों को योजना समझाई जा रही है। उनके तैयार होने के बाद ग्राम सभा के प्रस्ताव के बाद राशि का वितरण किया जाएगा। राघवेंद्र सिंह, अधीक्षक रातापानी अभ्यारण्य बाक्स सेटेलाइट से होगी बाघों की निगरानी विभाग ने भोपाल जिले में सेटेलाइट से बाघों की निगरानी की योजना बनाई है। प्रस्ताव को बाद्य संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के मंजूरी की देरी भर है। ऐसा होता है तो मप्र देश का दूसरा राज्य होगा, जो इसका उपयोग करेगा। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के जिम कार्बेट नेशनल पार्क में सेटेलाइट से वन्य प्राणियों की निगरानी की जा रही है। प्रथम चरण में भोपाल जिले के वन क्षेत्र में सेटेलाइट स्थापित किए जाएंगे। सफलता मिलने पर प्रदेश के अन्य वन क्षेत्रों में इसे लागू किया जाएगा। भोपाल जिले में 24 घंटे निगरानी के लिए वन विभाग सेटेलाइट इलेक्ट्रॉनिक आईÓ की मदद लेगा। राजधानी से सटे जंगल कलियासोत से लेकर रातापानी अभयारण्य तक पांच अलग-अलग स्थानों को चिन्हित किया है। इन स्थानों पर टॉवर लगाए जाएंगे। सेटेलाइट से निगरानी के लिए भोपाल फॉरेस्ट सर्किल ने प्रस्ताव बना एनटीसीए को भेजा है। विभाग ने इसे जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई है। पांच कैमरों से नजर राजधानी में इस पूरे प्रोजेक्ट पर 3.50 करोड़ रुपए खर्च होंगे। भोपाल वन वृत्त के सीसीएफ एसएस राजपूत ने बताया, इलेक्ट्रॉनिक आई एक प्रकार का सर्विलांस वाइल्ड लाइफ ट्रैकिंग सिस्टम है। इसमें एक कैमरा होता है, जो सेटेलाइट व इंटरनेट से जुड़कर सीधे बाघ पर नजर रखेगा। राजपूत ने बताया असंरक्षित वन क्षेत्र के लिए पहली बार इस तरह का प्रस्ताव बनाया गया है। रातापानी अभ्यारण में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां बल कम है, इस लिहजा से सिस्टम लगाने की योजना है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें