गुरुवार, 26 सितंबर 2013

1 रूपए में दे दी अरबों की जमीन!

10 साल में रसूखदारों को सरकार ने बांटी बेशकीमती जमीनें भोपाल। मध्यप्रदेश को स्वर्णिम प्रदेश बनाने के नाम पर राज्य में पिछले 10 साल में जमीनों की जमकर बंदरबाट की गई है। सरकार ने अपनों के साथ-साथ उद्योगपतियों को प्रदेश की बेशकीमती जमीनों को कौडिय़ों के भाव बांट दिया है। यही नहीं प्रदेश के मंत्रियोंं, प्रभावशाली आईएएस अधिकारियों और सत्ता साकेत के रसूखदारों को उनकी निजी संस्था के लिए सरकार ने अरबों की जमीन एक रूपए में दे दी है। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की रसूखदारों और उद्योगपतियों के प्रति प्रेम इस बात से भी झलकता है कि प्रदेश में बनने वाले बांधों से विस्थापित हुए लोग दो गज जमीन के लिए जल समाधि लेने को मजबुर हैं और सरकार उनकी सुध लेने की बजाय सरकारी जमीन चहेतों को बांट रही है। प्रदेश में जमीनों की बंदरबांट में नियम-कायदे और मर्यादाएं कैसे तार-तार किए गए, इसका नमूना है-भोपाल का महावीर इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एण्ड रिसर्च। कैबिनेट मंत्री जयंत मलैया, वरिष्ठ आईएएस अफसर देवेंद्र सिंघई, अनुराग जैन, आईपीएस आरके दिवाकर, पवन जैन और रसूखदार डॉक्टर राजेश कुमार जैन समेत कुछ अन्य द्वारा श्री दिगंबर जैन सर्वोदय विद्या ज्ञानपीठ नाम से गठित निजी समिति को 100 करोड़ रूपए से अधिक कीमत की 25 एकड़ जमीन कई अफसरों के विरोध के बावजूद महज एक रूपए में दे दी गई। निजी मेडिकल कॉलेज गठित करने के नाम पर रचे गए ताने-बाने में समाज का चोला ओढ़ा गया। जमीन हासिल करने व चंदे के लिए आचार्य विद्यासागर जी जैसे पूज्य संत तक के नाम का इस्तेमाल किया गया। भोपाल में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि के नजदीक ग्राम बड़वई स्थित 373/1/1 खसरे की 25 एकड़ भूमि मिलने के बाद संत का नाम हटा दिया गया। सात साल में मेडिकल कॉलेज के नाम पर कुछ पिल्लर और एक अधूरा ढांचा ही खड़ा है, लेकिन सरकार इन रसूखदारों पर हाथ नहीं डाल रही। वार्ड तक नहीं बना तो क्यों नहीं छीन रहे भूमि वर्ष 2005 में भोपाल की श्री दिगंबर जैन सर्वोदय विद्या ज्ञानपीठ समिति को निजी मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए सरकार ने 25 एकड़ जमीन देने की घोषणा की। उस वक्त इस समिति के उपाध्यक्ष पद पर वरिष्ठ आईएएस सिंघई और तत्कालीन डीजी जेल दिवाकर काबिज थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सचिव पद पर तैनात आईएएस अनुराग जैन और आईजी पवन जैन इसके सदस्य थे। सरकार ने पहले चरण में इस समिति को तीन एकड़ जमीन वर्ष 2006 में इस शर्त के साथ दी कि वह दो साल में पहले 300 बिस्तर का अस्पताल बनाकर व एक साल में इसे संचालित कर दिखाए, तब बाकी भूमि पर कब्जा मिलेेगा। शर्त थी कि इस अवधि में अस्पताल नहीं खुला तो सरकार यह जमीन वापस ले लेगी। लेकिन एक साल तो दूर की बात है, तीन वर्ष तक कुछ नहीं हुआ तो भी सरकार ने जमीन वापस नहीं ली। उलटे वर्ष 2009 में संस्था को फिर इसी शर्त के साथ छूट दी गई कि तीन साल में वह अस्पताल बना ले। यह अवधि भी बीत गई है। कुछ अफसरों के विरोध के बावजूद हर बार रियायत का नया प्रस्ताव सीधे कैबिनेट से मंजूर करा लिया जाता है। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डीएस राय व विधि विशेषज्ञों के मुताबिक कोई अफसर या मंत्री अपनी निजी संस्था के मसले पर अपने दस्तखत से प्रस्ताव आगे कैसे बढ़ा सकता है। यह हितों के टकराव (कान्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट) का मामला भी है। इस समिति को जमीन देने के लिए कैबिनेट प्रस्ताव देवेंद्र सिंघई के दस्तखत से तैयार हुआ। सिंघई तब प्रमुख सचिव (राजस्व) थे और समिति के उपाध्यक्ष भी। वर्ष 2010 में कैबिनेट मंत्री जयंत मलैया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा कि इस निजी मेडिकल कॉलेज को जमीन बंधक रखकर कर्ज लेने की छूट दी जाए, इसके लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पास कराया जाए। उस वक्त मलैया इस निजी समिति के अध्यक्ष हो गए थे। सरकार ने यह छूट भी उन्हें दे दी। समिति के सचिव डॉ. राजेश कुमार जैन कहते हैं कि आवंटन नियमों के अनुसार ही हुआ है, टीएनसीपी और अन्य विभागों की मंजूरी में देरी के कारण अस्पताल निर्माण नहीं हो सका। समिति उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंघई कहते हैं कि संस्था में उपाध्यक्ष पद पर हूं, लेकिन अब ग्वालियर में पदस्थ हूं इसलिए जानकारी नहीं है। आर्थिक अनियमितताओं की जानकारी मुझे नहीं हैं, सचिव से बात करें। समिति के पूर्व सदस्य, पुुलिस महानिदेशक प्लानिंग, भोपाल पवन जैन कहते हैं कि मैं कुछ समय समिति सदस्य रहा, लेकिन वर्तमान में जुड़ा नहीं हूं। बाकी बातें सचिव ही बता सकते हैं। उद्योगपतियों को 71 हजार एकड़ जमीन बांटी यही नहीं प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार ने प्रदेश में उद्योगों को स्थापित करने के नाम पर 40 उद्योगपतियों को 71 हजार एकड़ से ज्यादा सरकारी जमीन बांटकर उपकृत कर चुकी है। यह जमीन औद्योगीकरण के साथ-साथ गैर वन पड़त भूमि के विकास के बहाने भी दी गई है। अद्योसंरचना विकास और औद्योगिकीकरण के नाम पर हुए इस जमीन आवंटन से सरकार के खजाने में चंद रुपयों से ज्यादा कुछ जमा नहीं हो पाया है। लंबी अवधि की लीज पर सिर्फ एक रुपए के न्यूनतम लीजरेंट पर जमीनों का आवंटन भी हुआ है। यह जमीनें पिछले सालों के दौरान बांटी गर्इं हैं। पिछले तीन चार सालों में सबसे ज्यादा जमीनें आवंटित हुई हैं। प्रदेश में उद्योग लगाने के नाम पर बीते साल नवंबर तक देश भर के और कुछ विदेशों के 3096 निवेशकों ने सरकार के सामने जमीन आवंटित के आवेदन प्रस्तुत किए थे। इनमें निजी निवेश के लिए भूमि आवंटन के लिए 1594 आवेदन आए जिसमें से चुनिंदा 40 उद्योगतियों को 71 हजार 385.98 एकड़ (28889 हेक्टेयर) गैर वन पड़ भूमि आवंटित की है। दो हेक्टेयर की सीमा में कृषि परिवर्तनीय भूमि के आवंटन के लिए सरकार को 1502 आवेदन मिले, जिसमें से 22 आवंटितियों को 1667.95 एकड़ (675 हेक्टेयर) जमीन दी गई। प्रदेश में 4 लाख 74 हजार 78 हेक्टेयर गैर वन पड़त भूमि चिन्हित की गई है जिमसें से 92 हजार 465 भूमि परिवर्तनीय रूप में वर्गीकृत की गई है। राजस्व विभाग के अनुसार मध्यप्रदेश को स्वर्णिम बनाने की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की परिकल्पना में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने के लिए भूमि उपलब्ध कराना प्रमुख है। इस दृष्टि से विभाग ने प्रदेश में स्थापित होने वाले लगभग सभी वृहद, मध्यम एवं लघु उद्योगों को भूमि उपलब्ध कराई है। विभाग का कहना है कि इस काम को विभाग ने उच्च प्राथमिकता और विशेष तत्परता से किया है। अद्योसंरचना निर्माण में लोक प्रयोजन के लिए भूमि उपलब्ध कराना उसका लक्ष्य रहा है। भू-अर्जन समिति की बैठकों के माध्यम से विभाग द्वारा जमीन आवंटन करके औद्योगीकरण को गति प्रदान की गई है।जमीन बांटने के मामले में राज्य सरकार हिंडाल्को और रिलायंस समूह के अलावा जयप्रकाश एसोसिएट्स पर जमकर मेहरबान है। इन तीनों औद्योगिक समूहों को ही सरकार साढ़े तीन हजार एकड़ से ज्यादा जमीन बांट चुकी है। राज्य सरकार ने हिंडाल्को कंपनी के विभिन्न प्रोजेक्ट के नाम पर कुल 1847.64 एकड़, रिलायंस इण्डस्ट्रीज को 1344.615 एकड़ और जयप्रकाश एसोसिएट्स को 333.34 एकड़ जमीन आवंटित कर चुकी है। हिंडाल्को ने प्रदेश में छह परियोजनाओं के नाम पर इतनी जमीन ली है तो रिलायंस इण्डस्ट्रीज के सासन पॉवर प्रोजेक्ट के लिए आठ बार अलग-अलग जमीन आवंटित की गई हैं। इसके अलावा रिलायंस कंपनी ने प्रदेश में अपना निजी हवाई अड्डा बनाने के लिए भी सरकार से जमीन ली है। जयप्रकाश एसोसिएट्स (जेपी ग्रुप) भी ने पॉवर, सीमेंट, मिनरल्स सहित अन्य आठ प्रोजेक्ट के नाम पर जमीन हथियाई है। अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्री रहते ही प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के लिए राजधानी में 1.18 एकड़ जमीन केवल एक रुपए के लीज रेंट पर दी गई थी। इसके बाद भाजपा ने अपने कार्यालय के लिए जमीन मांगी तो तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के समय पार्टी से एक लाख रुपए जमा करने को कहा गया। वोरा के बाद सीएम बने अर्जुन ने यह कहते हुए भाजपा को भी एक रुपए किराए पर 1.50 एकड़ जमीन अलाट की कि कांग्रेस को मिल सकती है तो भाजपा को क्यों नहीं। उनके कहने पर भाजपा ने पचास साल के लिए एकमुश्त 50 रुपए किराया जमा कर जमीन हासिल की। बाद में पटवा ने भाजपा कार्यालय की भूमि का स्थान बदला। किसे कितनी भूमि अधोसंरचना निर्माण के लिए कंपनी आवंटित भूमि (हेक्टेयर) हिंडाल्को कंपनी 23.77 सासन पॉवर लिमिटेड 28.43 महेश्वर हाईड्रल पॉवर कार्पो. 0.462 न्यू जोन इंडिया लिमि. 476.788 एसजेके पॉवरजोन 30.960 सासन पॉवर लिमिटेड 44.48 मप्र पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी 0.539 महेश्वर हायड्रल पॉवर कार्पो. 4.67 जय प्रकाश एसोसिएट्स 34.231 हिण्डाल्को कंपनी 25.96 ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमि. 7.681 पॉवर ग्रिड कार्पो. 25.50 आर्यन कोल एमपी लिमिटेड 12.800 महेश्वर हायड्रल पॉवर कार्पो. 136.954 औद्योगिकीकरण के लिए सासन पॉवर लिमिटेड 128 हिंडाल्को 547 महेश्वर हाईड्रल पॉवर परि. 12.2 ईरा इन्फ्रा लिमिटेड उमरिया 126 सासन पॉवर सिंगरौली 198 झाबुआ पॉवर सिवनी 19.4 जेपी मिनरल्स, सिंगरौली 36.7 महान कोल 5.4 जेपी सीमेंट 1.96 मोजरबेयर अनूपपुर 70.2 झाबुआ पॉवर 69.2 सांघी इंडस्ट्रीज 230 एस्सार पॉवर 186 आर्यन कोल 10.92 महेश्वर हायड्रल पॉवर 12.204 जेपी पॉवर वेंचर्स 0.720 महान कोल लिमिटेड 2.68 सासन पॉवर लिमिटेड 9.749 हिंडाल्को कंपनी 74.96 छिंदवाड़ा प्लस 242.019 एसईसीएल 14.450 सांघी एनर्जी 133.981 आर्यन कोल लिमिटेड 45.13 न्यू जोन इंडिया लिमिटेड 39.776 जयप्रकाश पॉवर वेंचर्स 25.500 जयप्रकाश पॉवर वेंचर्स 28.303 रिलायंस हवाई अड्डा हेतु 63.951 हिंडाल्को कंपनी 62.86 सासन पॉवर लिमिटेड 3.65 मप्र सैनिक कोल माइंस लिमि. 31.48 सासन पॉवर लिमिटेड 11.290 जय प्रकाश पॉवर वेंचर्स 4.047 एस्सार पावर लिमिटेड 1.09 रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमिटेड 3.529 सासन पॉवर लिमिटेड 53.070 हिंडाल्को लिमिटेड 13.17 एसकेएम लिमिटेड 101.076 एक रुपए में बंटी करोड़ों की जमीनें इन्हें मिला बंटरबांट का लाभ मिशनरी आफ चेरिटी भिलाई, कांग्रेस कमेटी भोपाल, मिशनरी ऑफ चेरिटी रायपुर, जन विकास न्यास ग्वालियर, मिशनरी ऑफ चेरिटी इंदौर, ओम श्री श्री माता आनंदमयी आश्रम इंदौर, भृगु समाज भोपाल, महावीर चेरिटेबल मेडिकल एण्ड आर्गनाइजेशन दमोह, अंजुमन इस्लामिया मुस्लिम ट्रस्ट अंबिकापुर, झरनेश्वर महादेव मंदिर बाणगंगा भोपाल, अंध बालिका विद्यालय देवास, एसओएस चिल्ड्रन विलेज भोपाल, महावीर ट्रस्ट इंदौर, ताजुल मसाजिद भोपाल, श्री रामकृष्ण सदिच्छा भजन मंडल भोपाल, श्री रामकृष्ण आश्रम जबलपुर, आनंदमयी तपोभूमि आश्रम खंडवा, श्री रामकृष्ण आश्रम भोपाल, रामकृष्ण आश्रम ग्वालियर, भारतीय जनता पार्टी, बाल निकेतन संघ इंदौर, सत्यानंद योग आश्रम बैतूल, उज्जैन चेरिटेबल ट्रस्ट हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, गहोई समाज भोपाल, मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन भोपाल, परमानंद पब्लिक ट्रस्ट अंबिकापुर, वर्किंग वूमेन एसोसिएशन भोपाल, पीतांबरा पीठ दतिया, झरनेश्वर मंदिर बाणगंगा भोपाल,संत आशाराम 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