बुधवार, 22 दिसंबर 2010

विरासत के लिए सिंधिया घराने में जंग

ग्वालियर के जयविलास पैलेस स्थित रानी महल में प्रवेश करते ही माधवराव सिंधिया की बड़ी-सी तस्वीर देख आपको हैरत नहीं होगी, लेकिन जब आपको कोई बताए कि ये तस्वीर इस महल में रहने वाली माधवराव की छोटी बहन यशोधरा ने लगवाई है तो आपको आश्चर्य हो सकता है। इसे देख लोगों को लगने लगा था कि शायद स्व. विजयाराजे सिंधिया और उनके बेटे माधवराव सिंधिया के निधन के बाद दोनों ओर घुली कड़वाहट साफ हो चुकी है। लेकिन आप गलत सोच रहे हैं। आजादी के बाद भी ग्वालियर को खुद की जागीर समझने वाला सिंधिया घराना, इसी ग्वालियर और यहां की बदौलत देशभर में बनाई अपनी जागीरों को लेकर फिर आमने-सामने आ गया है। पहले बड़े सिंधिया यानी माधवराव सिंधिया और विजयाराजे सिंधिया में दशकों तक विभिन्न कारणों से अबोला रहा। इन अबोले और रंजिश की एक बड़ी वजह सिंधिया खानदान की पैतृक संपत्ति भी थी। अब इतिहास खुद को दोहराता दिख रहा है। अब एक ओर हैं माधवराव के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरी ओर हैं उनकी बुआ यानी माधवराव की बहन और नेपाल के शमशेर जंग बहादुर राणा की पत्नी उषा राजे सिंधिया, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में विधायक वसुंधरा राजे सिंधिया और ग्वालियर से सांसद यशोधरा राजे भंसाली (सिंधिया)। दांव पर लगी है ग्वालियर सहित देशभर में फैली करीब 20 हजार करोड़ की संपत्ति।
ताजा झगड़ा तब शुरू हुआ, जब सिंधिया ने अपने कब्जे वाली कुछ संपत्ति को बेचने के लिए सौदा करना शुरू किया। इसकी भनक लगते ही उनकी तीनों बुआ एक हो गईं और ग्वालियर में अतिरिक्त सत्र एवं जिला न्यायाधीश (एडीजे) की अदालत में एक अर्जी दायर कर सौदे पर रोक लगवाने की मांग की। इस पर उन्होंने स्टे भी ले लिया। सिंधिया घराने के पास ग्वालियर में छोटे-बड़े महल, हवेली हैं। इनकी कीमत आज की तारीख में सात हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। इसी तरह मुंबई, दिल्ली और पुणे में भी इस घराने के पास हजारों करोड़ की संपत्ति है। एक नामी टेक्सटाइल्स कंपनी में भी भारी भरकम निवेश है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ज्येष्ठाधिकार के तहत खुद को सिंधिया परिवार का एकमात्र वारिस होने का दावा पेश कर चुके हैं। लेकिन 2001 में विजयाराजे की मौत के बाद उनके विश्वस्त और तत्कालीन निज सचिव संभाजी राव आंग्रे ने एक वसीयत पेश की है। इसमें उन्होंने अपने बेटे माधवराव सिंधिया और पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया को बेदखल कर दिया था। इसके अलावा इस वसीयत में उन्होंने अपनी दो तिहाई संपत्ति अपनी बेटियों को देने और एक तिहाई संपत्ति 1975 में बनाए एक ट्रस्ट को दान में देने की घोषणा कर दी थी। विजयाराजे के ही वकीलों ने 2001 में मुबई में एक और वसीयत पेश की। इसमें भी उन्होंने अपने बेटे-पोते को संपत्ति से वंचित कर दिया था। उन्होंने अपने नियंत्रण वाली सारी संपत्ति अपनी बेटियों को दे दी थी। हालांकि ये दोनों वसीयत कानूनी झमेले में फंसी हैं। अब दोबारा संपत्ति के लिए शुरू इस जंग पर दोनों पक्ष मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं।
पुराना नाता है विवादों से
- सिंधिया परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद नई बात नहीं है। 1971 में प्रिवीपर्स की समाप्ति के बाद सिंधिया परिवार ने संपत्ति का मौखिक बंटवारा कर लिया था। 1989 में उन्होंने इस दावे को अदालत में चुनौती दी। ये मामला पुणे की अदालत में विचाराधीन है।
- ग्वालियर की जिस हिरण वन कोठी में सरदार आंग्रे रहते थे, वहां माधवराव सिंधिया के निर्देश पर स्थानीय गुंडों ने तोडफ़ोड़ की। इस दौरान आंगे्र और राजमाता लंदन में थे। इस मामले में सिंधिया और उनके समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे सही ठहराया। मामला अभी अदालत में विचाराधीन है।
- ग्वालियर किला परिवार में स्थित सिंधिया स्कूल को लेकर भी विवाद जारी है।

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