गुरुवार, 11 मार्च 2010

आईएएस अफसरों की विश्वसनीयता संकट में

जब हमारा देश आजाद हुआ, उस समय देश का प्रशासन आईसीएस (इंडियन सिविल सर्विसेस) के हाथ में था। नया संविधान 1952 में लागू हुआ, तब इन अफसरों का पदनाम बदलकर आईएएस हो गया यानी इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस, भारतीय प्रशासनिक सेवा। इन अफसरों के हाथ में देश के प्रशासन की बागडोर सौंपी गई और उन्हें दिए गए खजाने की राशि खर्च करने के अधिकार। आईएएस अफसर की सेवाएं मुख्य रूप से भारत सरकार के अधीन है, फिर इनका कैडर बनाया गया, जिनमें हर राज्यों का कोटा फिक्स किया गया। यह अधिकारी जिस प्रदेश में हैं, उन्हें प्रदेश के कैडर में शामिल किया गया। इनका स्थानांतरण राज्यों से हटकर केन्द्र में भी होता है। हर राज्य में कलेक्टर, मुख्य सचिव तक के अधिकारी आईएएस ही होते हैं। इनके अधिकार और कर्तव्य की बकायदा एक संहिता होती है। इनका काम है विधानसभा द्वारा पारित प्रस्तावों का क्रियान्वयन करना तथा प्रदेश में लागू अलग-अलग विभाग के नियम और कानूनों का पालन करना। उदाहरण के लिए जिस जिले का जो कलेक्टर है, उसके असीमित अधिकार हैं। पूरे जिले की सरकारी जमीन, जंगल, नदी, पहाड़ के अलावा राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं की राशि भी कलेक्टर की अनुमति से ही खर्च होती है। कलेक्टर के पास कानून व्यवस्था कायम करने का भी दायित्व है, वह एक तरह से संविधान की धाराओं का पालन कराने के लिए कटिबद्ध है और करने पर वह दंड भी दे सकता है। राज्यों में इसी प्रकार के दायित्व संभागायुक्त, विभागीय आयुक्त, उपसचिव, प्रमुख सचिव और मुख्य सचिव के पास हंै। केन्द्र में बैठे एक आईएएस अफसर के पास कई हजार करोड़ का बजट रहता है तो राज्यों में भी इन अफसरों के पास सौ करोड़ से लेकर एक हजार करोड़ तक बजट है। पिछले कु छ वर्षों से देश के आईएएस अफसर मंत्रियों की तरह भ्रष्टïाचार, घोटाले और सेक्स स्कैंडल में पकड़े गए हैं। 1970 के पूर्व तक 10 प्रतिशत आईएएस भ्रष्टï थे, जो कि 2010 तक आते-आते 90 प्रतिशत आईएस भ्रष्टï हो गए हैं। यह लोग राजनेताओं से मिलकर ही यह घोटाला कर रहे हैं। अभी तक यह माना जाता रहा है कि नेता तो भ्रष्टï होते ही हैं, लेकिन अब यह माना जाने लगा है कि आईएएस उनसे ज्यादा भ्रष्टï होते हैं, हाल ही म.प्र. और छत्तीसगढ़ में जो आईएएस अफसर पकड़े गए हैं, उनके पास 50 से 500 करोड़ रुपए तक की सम्पत्ति मिली है। यह तो वे लोग हैं, जो पकड़े गए हैं। हाल ही में भोपाल में एक पर्चा निकला है, जिसमें 23 आईएएस अफसरों के बारे में जानकारी दी गई है, जिसमें लिखा है कि किस अफसर के पास कितनी सम्पत्ति है तथा उनकी जमीन, मकान, प्लाट आदि कहां हैं? इसी तरह के पर्चे उत्तरप्रदेश के लखनऊ में भी निकाले गए थे, जब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव के पास अरबों की सम्पत्ति मिली थी। यहां यह सवाल उठता है कि हमारे ये आईएएस अफसर कितने गिर चुके हैं, इनका चरित्र, चाल और चेहरे कितने काले हैं। दरअसल, इन अफसरों को बेइमान किसने बनाया? क्या इन्हें भ्रष्टाचार करने की ट्रैनिंग दी गई है या यह परिस्थितिवश भ्रष्टï हुए हैं? हकीकत यह है कि जब से प्रदेशों में गैर कांग्रेसी सरकारें आई हैं, चाहे वे मुलायम, लालू, मायावती, करुणानिधि, प्रकाशसिंह बादल की हो, सभी जगह यही आलम है। क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने बाहुबल से इन अफसरों से दबाव डालकर काम करवाया। यह करते हुए धीरे-धीरे आईएएस भी भ्रष्टï होते गए। अब स्थिति यह है कि आईएएस अपनी नियुक्ति के लिए बकायदा करोड़ों रुपए देते हैं और उसके बाद वे अरबों कमा रहे हैं। आखिर यह कब तक चलेगा? आईएएस अफसरों की विश्वसनीयता, ईमानदारी और कार्यप्रणाली संकट में है और संकट में है देश की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था, इसलिए हम देखते हैं कि एक नेता जो कभी गुंडा था, वह करोड़ों में खेल रहा है, क्योंकि उसे न तो कलेक्टर का भय है और न ही एसपी का। समाज की कमजोरी यह है कि वह गुंडेनुमा नेता का विरोध इसलिए नहीं कर पाता है, क्योंकि प्रशासन उसकी जेब में है, इसलिए अंधेर नगरी और चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। ऐसा कोई सरकारी दफ्तर नहीं है, जहां बिना पैसा दिए काम होता हो। क्या यह हमारे विधायक, सांसद या अन्य जनप्रतिनिधि नहीं जानते। सभी जानते हैं, लेकिन वे स्वयं भी इसी में लिप्त हैं। यही कारण है कि देश की गरीबी 63 वर्ष में दूर नहीं हो पा रही है, क्योंकि जो पैसा गरीबी दूर करने में लगाना था, वह तो नेताओं और अफसरों की जेब में जा रहा है, हर शहर और गांव में यदि किसी का बंगला बना है तो वह नेता का होगा या अफसर का। दरअसल, आईएएस अफसरों का भ्रष्ट होना एक कलंक है। यह देश के स्वास्थ्य के लिए खतरा है और यह भविष्य में देश की एकता और अखंडता को भी खतरे में डालने वाला है। आईएएस अफसर के पास कई लुप्त सूचनाएं होती हैं, जिन्हें बेचकर वह अमीर हो सकता है, लेकिन इससे देश गुलाम बन सकता है। देश में अरबों रुपए के नकली नोट क्यों चल रहे हैं, क्योंकि कहीं न कहीं आईएएस और आईपीएस उनसे मिले हुए हैं। अरबों के नकली स्टाम्प वर्षों तक चलते रहे और एक भी अफसर सस्पैंड नहीं हुआ, इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है? कहीं न कहीं आईएएस अफसरों पर लगाम लगानी होगी। इसके लिए केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह एक कमेटी बनाकर इन अफसरों की जांच कर नए सिरे से इनके अधिकार और कर्तव्यों की व्याख्या करे वरना यह देश फिर किसी दिन गुलाम बन जाएगा।

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