मंगलवार, 2 मार्च 2010

स्कूल नहीं, चकलाघर पहुंच रही हैं बच्चियां

कभी रईसों के राजसी ठाठ देख चुकी यह बस्ती अब निम्न और निम्न मध्यम वर्गीय लोगों की थकान उतारने का जरिया रह गई है। गांव देहात से लाई गई धंधेवालियां जिन्हें एनजीओ की भाषा में सेक्स वर्कर कहा जाता है, इस भड़कीले शहर के युवाओं को रिझाने में नाकामयाब हैं। फूहड़ तरीके से लगाई गई गहरी लाल लिपस्टिक और ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए करारी आवाज में दी गई गालियां उनकी बोल्डनेस को नहीं बदतमीजी को ही दर्शाते हैं। कमाई के लिए आग्रह इतना ज्यादा कि कई बार तो सड़क चलते ग्राहकों का हाथ पकड़ कर भीतर खींचने से भी नहीं चूकतीं। जहां कभी इत्र फुलेल और गजरों की महक गूंजती थी आज वहां सिर्फ सीलन और वीर्य की मिली जुली अजीब सी गंध तारी है। कोठो के कोने गुटखों की पीकों से रंगे पड़े हैं और ऐसे माहौल में एड्स की भयावहता का डर कई गुना होकर नजर आता है।
19 फरवरी को मुंबई के एक बार में पुलिस ने जब छापा मारा तो वहां के तहखाने में सीलन और वीर्य की मिली जुली अजीब सी गंध के बीच एक दर्जन बालाएं पकड़ाई,जो यहां आने वालों की प्यास बुझाती थीं। ऐसी ही बालाओं के बीच में रहती है खुशबू। खुशबू के इस पेशे को दुनिया धंधा कहती है। और खुशबू उसका असली नाम भी नहीं। धंधे में वो दूसरे नाम से जानी जाती है। वो ऐसे मंजी हुई प्रोफेशनल की तरह बात करती है कि लगता नहीं वो महज बारह साल की है। खुशबू के हाथ में स्कूल बैग होना चाहिये मगर उसके हाथ में है फैशनेबल पर्स। शायद क्लाइंट अट्रैक्ट करने का नुस्खा हो जो खुशबू को उसकी आंटी ने सिखाया है। खुशबू को इस छोटी सी उम्र में स्कूल जाना चाहिये मगर उसके दिन और रात का टाइम-टेबल तो उसकी आंटी सेट करती हैं। सुबह डॉक्टर के पास, दोपहर खरीदारी और शाम को ग्राहकों के पास।

दिल्ली और मुंबई सेक्स वर्कर की पहली पसंदीदा जगह हैं। भारत में नेपाल से आने वाली सेक्स वर्कर की बड़ी तादाद है। सेक्स के काले धंधे में बच्चों की मांग बहुत ज्यादा है। एक सर्वे के मुताबिक 60 फीसदी सेक्स वर्कर लोअर कास्ट से और 40 फीसदी सेक्स वर्कर ऊंची जातियों से ताल्लुक रखती हैं। औसतन एक सेक्स वर्कर महीने में 2 हजार से 24 हजार रुपए कमाती हैं जबकि कॉल गर्ल 40 हजार से 60 हजार रुपए महीना कमाती है।

वैसे खुशबू की आंटी से भी आपका तआर्रुफ कराते चलें। दुनिया इन्हें दलाल के नाम से जानती है। ये ही है खुशबू की माई-बाप। जिसके इशारे पर खुशबू नाचती है। हमने पड़ताल की तो पता चला नौकरी के बहाने खुशबू को उसके मां-बाप से छीन लिया गया और डाल दिया गया आंटी की मांद में। खुशबू की मासूूमियत कब छिन गयी ये जब तक उसे पता चलता उसका नाम धंधे की व्यापारियों के जुबां पर चढ़ चुका था। खुशबू की इस दर्दनाक दास्तान की तस्दीक यूएनडीपी द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट करती है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वेश्यावृत्ति में शामिल लोगों में 15 फीसदी तादात 15 साल से कम उम्र के बच्चों की है। इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाईजेशन की रिपोर्ट भी इस बात को मानती है। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी कुछ दिन पहले ये टिप्पणी की थी कि भारत बाल वेश्यावृति का केन्द्र बनता जा रहा है।

भारत में सेक्स वर्कर की संख्या करीब 28 लाख है। इनमें करीब 43 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो उस उम्र में ही इस धंधे में धकेल दी गईं जब उनकी उम्र अठारह बरस भी नहीं थी। भारत में 15 से 35 साल तक की महिलाओं की गिनती की जाए तो उनमें से 2.4 फीसदी महिलाएं सेक्स वर्कर हैं। इनमें सबसे ज्यादा महिलाएं मध्य प्रदेश और बिहार से हैं। इसके बाद राजस्थान और यूपी का नंबर आता है। यहां इस बात को नजर अंदाज नहंी किया जा सकता है कि यह सेक्स वर्कर दलालों के माध्यम से देश के अन्य शहरों में भी अपनी सेवाएं देने जाती है। इसकी पुष्टि विगत वर्ष पुलिस गांधीनगर सामूहिक बलात्कार मामले में कर चुकी है। मतलब साफ है आज भी हमारे समाज की परिस्थितियां ऐसी हैं जो इन मासूमों को इस दलदल में उतरने के लिये मजबूर करती हैं। दो महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने ये अहम सवाल केंद्र सरकार से पूछा था कि वेश्यावृत्ति रोक नहीं सकते तो उसे कानूनी मंजूरी क्यों नहीं देते। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी पर दो अलग-अलग राय हैं। कुछ लोगों की राय में वैधानिक मान्यता इसका समाधान नहीं है। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने भी बाल वेश्यावृति रोकने के लिए एक स्पेशल जांच एजेंसी बनाने की बात कही। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा है कि बच्चों से देह व्यापार करवाने वालों को जमानत नहीं मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाल वेश्यावृति रैकेट के चलते हिन्दुस्तान सेक्स का हब बनता जा रहा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि सरकार बाल वेश्यावृति करवाने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 के तहत मामला क्यों नहीं दर्ज करती। वही एक तरफ भारत सरकार का आदिम जाति कल्याण विभाग है जो आदिवासियों को समाज में सम्मान दिलवाने की तथा कथित कोशिशों में करोड़ों रुपए खर्च करता है। दूसरी तरफ महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं के साथ यौन शोषण किया जाता है और उनकी ब्लू फिल्में बेची जाती है। महाराष्ट्र में आदिवासी महिलाओं को सेक्स स्कैन्डल में फंसाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। ठाणे पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। जिनके पास से आदिवासी महिलाओं का आपत्तिजनक वीडियो मिला है। पुलिस के हत्थे चढ़े इस शख्स पर आदिवासी महिलाओं की अश्लील वीडियो बनाने का आरोप है। जहिर शेख नाम का ये शख्स भोलीं भाली आदिवासी महिलाओं को पहले अपने प्यार में फंसाता था, फिर उनके साथ प्यार का नाटक कर मोबाइल क्लिप बनाता था। बाद में वो इस क्लिप को बाजार में बेच देता था। बताया तो यह भी जा रहा है कि ऐसी ही कुछ आदिवासी लड़कियों को देह व्यापार के धंधे में उतारा गया है।

जाहिर शेख अश्लील वीडियो के इस गोरखधंधे में अकेला नहीं था। उसका दोस्त गिरीश चांदलानी इस काले कारोबार बराबर का भागीदार था। गिरीश के सायबर कैफे में ही एमएमएस की एडिटिंग की जाती थी। यहां आने वाले ग्राहकों को इसे बेचा जाता था। खास बात ये कि ये हर बार आदिवासी महिलाओं को ही अपना शिकार बनाता था। इस घटना के आसपास के सभी आदिवासी इलाको में खलबली मच गई है। उधर पुलिस यह पता लगाने में जुट गई है कि कितनी आदिवासी युवतियां पिछले कुछ सालों से अपने घरों से गायब हैं।

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