गुरुवार, 9 जुलाई 2015

ई-कॉमर्स कम्पनी स्नैपडील का गोलमाल

vinod upadhyay
शिवराज सरकार से एमओयू महाराष्ट्र में एफआईआर
महाराष्ट्र के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने पनवेल थाने में दर्ज करुवाया है प्रकरण-पुलिसिया जांच शुरू
भोपाल। जानी-मानी ऑनलाइन कम्पनी स्नैपडील के सीईओ कुणाल बहल अभी 20 मई को भोपाल में आयोजित शिवराज सरकार के युवा उद्यमी पंचायत में ना सिर्फ शामिल हुए बल्कि उन्होंने शासन के साथ एमओयू भी साइन किया। स्नैपडील के मामले में चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया है कि महाराष्ट्र सरकार के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने कुणाल बहल सहित अन्य निदेशकों के खिलाफ गैर जमानती धाराओं में पनवेल थाने पर एफआईआर दर्ज करवाई है। यह एफआईआर स्नैपडील डॉट कॉम द्वारा आपत्तिजनक दवाइयां बेचने के मामले में दर्ज हुई है, जिसकी पुलिसिया जांच शुरू हो गई, जिसके चलते संभव है कि स्नैपडील के कर्ताधर्ताओं की गिरफ्तारी भी हो सकती है। स्नैपडील देश की दूसरी सबसे बड़ी ऑनलाइन सामान विक्रेता कंपनी है। इसके सीईओ कुणाल बहल व्हार्टन के स्नातक हैं। उन्होंने 2010 में इस कंपनी की स्थापना की थी।
यह पहला मौका नहीं है जब ऑनलाइन कम्पनी की इस तरह की गड़बड़ी सामने आई है। पूर्व में भी कुछ बड़ी कम्पनियों के खिलाफ इसी तरह के प्रकरण दर्ज हुए, जिसके बाद केन्द्र सरकार ने ऐसी ई-कॉमर्स वाली कम्पनियों पर निगाह भी रखना शुरू किया है। इसी कड़ी में स्नैपडील का भी नाम सामने आया है। अभी पिछले दिनों ही महाराष्ट्र सरकार के खाद्य एवं औषधि प्रशासन यानि एफडीए ने चिकित्सकों के पर्चे पर बेची जाने वाली दवाइयों को ऑनलाइन बिकते पाया और उसके उत्तर मुंबई कार्यालय पर छापा भी डाला गया। इसके पश्चात स्नैपडील के कुणाल बहल और कम्पनी के अन्य निदेशकों के खिलाफ एफडीए ने रायगढ़ जिले के पनवेल पुलिस थाने पर एफआईआर दर्ज करवा दी। यह एफआईआर औषधि एवं सौंदर्य सामग्री कानून 1940 और औषधि एवं चमत्कारी उपाय (आपत्तिजनक विज्ञापन) कानून 1954 के प्रावधानों के तहत दर्ज करवाई गई और जो धथाराओं इसमें लगाई गईं वे संज्ञेय है यानि उनमें जमानत नहीं मिल सकती। ये एफआईआर एफडीए के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और आयुक्त हर्षदीप काम्बले के निर्देश पर दर्ज करवाई गई। सूत्रों का कहना है कि स्नैपडील डॉट कॉम ने कम्पनी कानून के तहत जेस्पर इन्फोटेक प्रा.लि. बनाई जो भारत के दवा विक्रेताओं के साथ करार कर उनकी दवाएं ऑनलाइन बेचती है। ऐसी 45 दवा भी बिक्री के लिए रख दी गई जिनमें आपत्तिजनक दावे किए गए और जो औषधि एवं चमत्कारी उपाय कानून 1954 के खिलाफ है। इनमें सिलडेनॉफिल साइरेट जैसी टैबलेट भी शामिल है जो मनोचिकित्सकों, यौन रोगियों और त्वचा चिकित्सकों द्वारा सिर्फ अधिकृत पर्चे पर ही बेची जा सकती है, लेकिन स्नैपडील द्वारा उसे सहजता से ऑनलाइन उपलब्ध करवाया जाता रहा। हालांकि जांच के दौरान कम्पनी ने इन दवाइयों को ऑनलाइन बिक्री से तुरंत हटा भी लिया, लेकिन एफडीए ने बाद में यह भी पाया कि लिखित वायदा करने के बाद भी स्नैपडील 'आई पिलÓ और 'अनवांटेड 72Ó जैसी दवा बेचते भी पाया गया। इस संबंध में भी अलग से कार्रवाई की जा रही है। पनवेल थाने के अफसर मनीष कोलहटकर से अवश्य पूछा गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि स्नैपडील के कुणाल बहल और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिसकी जांच-पड़ताल की जा रही है और जांच में तथ्य सही पाए गए तो कुणाल बहल सहित अन्य की गिरफ्तारियां भी होंगी। चूंकि गैर जमानती धाराओं में प्रकरण दर्ज हुआ है लिहाजा अभी कुणाल बहल को अग्रिम जमानत भी नहीं मिल सकती। गौरतलब है कि एफडीए ने पिछले हफ्ते स्नैपडील के गोरगांव स्थित कार्यालय पर छापा मारा था। स्नैपडील पर विगोरा टैबलेट, एस्कोरिल कफ सीरप, अनवांटेड 72 और आइ-पिल जैसी दवाएं ऑनलाइन बेचने का आरोप था। जबकि ये दवाएं डॉक्टर की सलाह पर ही खरीदी जानी चाहिए। ऐसी दवाओं की ऑनलाइन बिक्री खरीदार के लिए भी नुकसानदेह हो सकती हैं। ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट-1940 के सेक्शन 18(सी) के अनुसार सिर्फ लाइसेंस प्राप्त खुदरा दवा विक्रेता ही चिकित्सक की लिखित सलाह पर ये दवाएं बेच सकते हैं। एफडीए कमिश्नर हर्षदीप कांबले के अनुसार इस तरह की दवाओं की ऑनलाइन बिक्री गैरकानूनी है। कांबले ने बताया कि दूसरी ई-कामर्स कंपनियों जैसे फ्लिपकार्ट और अमेजान के खिलाफ भी जांच जारी है। अगर ये कंपनियां भी ऐसे काम करती पाई गईं, तो इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बिना जांच पड़ताल मप्र ने कैसे कर लिया करार
अब यहां सवाल यह है कि जिस कम्पनी और उसके सीईओ के खिलाफ कुछ दिनों पूर्व ही महाराष्ट्र सरकार के एक जिम्मेदार महकमे खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करवाई हो उसी के सीईओ के साथ मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने एमओयू कैसे साइन कर लिया? क्या प्रदेश के अफसरों ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को भी अंधेरे में रखा, जिस तरह पूर्व में ये अफसर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में भी भूमाफियाओं और कई दागियों को उपकृत कर चुके हैं? भोपाल आए स्नैपडील के सीईओ कुणाल बहल को जबरदस्त पब्लिसिटी भी प्रदेश सरकार द्वारा दिलवाई गई और बकायदा मुख्यमंत्री की मौजूदगी में स्नैपडील और मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम के बीच एक एमओयू भी साइन किया गया, जिसमें कुणाल बहल के साथ निगम के प्रबंध संचालक बीएल कांताराव ने हस्ताक्षर किए। इस मौके पर मुख्यमंत्री के साथ वाणिज्य एवं उद्योगमंत्री यशोधराराजे सिंधिया और मुख्य सचिव एंटोनी जेसी डीसा भी मौजूद रहे। मध्यप्रदेश सरकार के जनसम्पर्क संचालनालय ने बकायदा इसका प्रेस नोट भी जारी किया और दावा किया कि प्रदेश के बुनकर और हस्त शिल्पियों द्वारा निर्मित उत्पादों का स्नैपडील के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से विक्रय किया जाएगा। प्रदेश शासन ने यह भी कहा कि स्नैपडील देश की तेजी से बढ़ती ई-कॉमर्स कम्पनी है, जिसका वार्षिक विक्रय 3 बिलियन डॉलर यानि 30 हजार करोड़ है।
भोपाल के युवा उद्यमी पंचायत में बांटा था ज्ञान
मध्यप्रदेश सरकार ने अभी भोपाल में युवा उद्यमी पंचायत का आयोजन किया जिसमें सुक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को कई तरह की सौगातें देने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने की। इस अवसर पर स्नैपडील के सीईओ कुणाल बहल ने भी मीडिया के साथ-साथ युवा उद्यमियों को जबरदस्त ज्ञान बांटा, जिसमें उन्होंने बताया कि 5 बार असफल होने के बाद वे अपने छटवें बिजनेस मॉडल यानि ई-कॉमर्स में सफल हुए। वे प्रदेश के युवा उद्यमियों के उत्पादों को अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध करवाएंगे। इसी तरह के इंटरव्यू कुणाल बहल के मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित हुए मगर महाराष्ट्र सरकार द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर की सच्चाई किसी ने उजागर नहीं की।
मृगनयनी के प्रोडक्ट भी स्नैपडील पर
अधिकारियों का दावा है कि स्नैपडील और मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम के बीच हुए एमओयू के तहत प्रदेश के बुनकर और हस्तशिल्पियों द्वारा निर्मित उत्पादों का इस ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से विक्रय होगा। इस माध्यम से उत्पादों के विक्रय से प्रदेश के बुनकरों और हस्तशिल्पियों के उत्पादन में वृद्धि होगी। इससे प्रदेश के बुनकरों एवं हस्तशिल्पियों को स्व-रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे। बिना प्रचार-प्रसार और लागत बढ़ाये उत्पादों के विक्रय की सुविधा उपलब्ध होगी। जन-सामान्य को मृगनयनी जैसे प्रतिष्ठित ब्रांड का लाभ प्राप्त होगा। मृगनयनी और स्नैपडील दोनों के अनुभवों का लाभ बुनकरों और हस्तशिल्पियों को मिलेगा। ग्राहक को प्रतियोगी दरों पर उत्पाद उपलब्ध होगा। बिचौलियों के न होने से सीधे बुनकरों और हस्तशिल्पियों को फायदा होगा। इस पोर्टल के माध्यम से क्रेताओं को चौबीस घंटे और सातो दिन उत्पाद क्रय की सुविधा होगी। स्नैपडील कंपनी देश की तेजी से बढ़ रही है ई-कामर्स कंपनी है और जिसका वार्षिक विक्रय 3 बिलियन डालर है।
केन्द्र सरकार की निगाहें भी ऑनलाइन कम्पनियों पर
पिछले दिनों यह तथ्य सामने आया कि ऑनलाइन कम्पनियों द्वारा बड़ी मात्रा में टैक्स चोरी भी की जा रही है। साथ ही उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी भी हो रही है, लिहाजा इन पर केन्द्र सरकार शिकंजा सके। संसद में भी यह मामला उठा जिस पर वाणिज्य विभाग की मंत्री ने घोषणा भी कि सरकार इस तरह की ई-कॉमर्स कम्पनियों पर निगाह रख रही है। पूर्व में भी इन ऑनलाइन कम्पनियों द्वारा की जाने वाली ठगी की खबरें आती रही हैं। अब देखना यह है कि स्नैपडील के खिलाफ महाराष्ट्र एफडीए ने जो एफआईआर दर्ज करवाई है उसका परिणाम क्या निकलता है और स्नैपडील के साथ-साथ फ्लीपकार्ड और अमेजन के दफ्तरों की भी जांच-पड़ताल की गई।
राज्यों ने भी कसा शिकंजा
ऑनलाइन कारोबार की बढ़ती धाक के बीच टैक्स चोरी को लेकर राज्यों के टैक्स डिपार्टमेंट चौकन्ने हो गए हैं। दिल्ली के टैक्स डिपार्टमेंट ने करीब 8 हजार से अधिक ऐसे डीलर्स की पड़ताल शुरू की है जो ऑनलाइन कंपनियों के माध्यम से अपना माल बेचते हैं। डिपार्टमेंट देश की बड़ी ई कॉमर्स कंपनियों से उनके डीलर्स की जानकारी भी तलब की है। इससे पहले कर्नाटक का टैक्स डिपार्टमेंट भी अमेजन डॉट कॉम से जुड़े डीलर्स पर कार्रवाई कर चुका है। इसी महीने महाराष्ट्र सरकार भी एक अन्य ऑनलाइन कंपनी नापतौल डॉट कॉम के खाते सील कर चुकाह है। कर्नाटक, तमिलनाडु और अब महाराष्ट्र जैसे राज्यों द्वारा ईकॉमर्स कारोबार पर नकेल कसने की शुरूआत के बाद गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों ने भी ऑनलाइन कारोबार पर टैक्स लगाने के लिए टैक्स नियमों में बदलाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
दिल्ली टैक्स डिपार्टमेंट के रडार पर डीलर्स
दिल्ली के वाणिज्यिक कर विभाग ने देश की तीन दिग्गज ऑनलाइन कंपनी फ्लिपकार्ट, स्नेपडील और अमेजन से जुड़े डीलर्स की पड़ताल शुरू की है। एक अंग्रेजी अखबार दिल्ली के टैक्स डिपार्टमेंट ने ऑनलाइन कंपनियों से उनके डीलर्स की सूची मांगी है। विभाग इस बात की पड़ताल कर रहा है कि ऑनलाइन कंपनियों के माध्यम से कारोबार करने वाले कितने डीलर्स टैक्स डिपार्टमेंट में रजिस्टर्ड हैं। टैक्स डिपार्टमेंट के अनुसार अभी तक की पड़ताल में यह पता चला है कि करीब 8 से 10 फीसदी डीलर्स ने वैट रजिस्ट्रेशन कराया ही नहीं है। वहीं एक ई-कॉमर्स कंपनी के अधिकारी ने बताया कि वे ऑनलाइन बिक्री के लिए सिर्फ एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराते हैं, ऐसे में उन पर किसी प्रकार की वैट देनदारी नहीं बनती। जहां तक डीलर्स का सवाल है हम जरूर उन्हें अपना ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करने से पहले वैट रजिस्ट्रेशन एवं टिन नंबर आदि मांगते हैं।
डीलर्स की मांग ईकॉमर्स के लिए बने टैक्स सिस्टम
कर्नाटक के बैंगलुरू स्थित एक ऑनलाइन मर्चेंट सिंप्किन्स अपैरल के प्रोपराइटर सिद्धार्थ शेखर बताते हैं कि कर्नाटक में टैक्स डिपार्टमेंट ऑनलाइन कंपनियों और उनसे जुड़े डीलर्स को लेकर बहुत सख्त है। इस साल जुलाई अगस्त से डिपार्टमेंट टैक्स देनदारी के लिए कुर्की के नोटिस दे रहा है। कई बार दूसरे राज्यों के टेक्स विभाग भी पड़ताल के लिए फोन करते हैं। वे बताते हैं कि हमारे पास ट्रेड रजिस्ट्रेशन है, लोकल अथॉरिटी को हम टैक्स अदा करते हैं। लेकिन फिर भी हम पर टैक्स डिपार्टमेंट कार्रवाई करता है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि राज्य और केंद्र दोनों में ही टैक्स को लेकर स्पष्टता नहीं है। मुंबई स्थित डीलर योगेंद्र वानखेड़े बताते हैं कि ऑनलाइन बिजनेस अभी देश में उभर रहा है। कारोबार की ग्रोथ के चलते टैक्स डिपार्टमेंट भी इसमें हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन जब तक टैक्स नीति स्पष्ट नहीं होगी तब तक कारोबारी और टैक्स विभाग दोनों ही कार्रवाई के लिए असमंजस में रहेंगे।
महाराष्ट्र में निशाने पर ईबिजनेस
महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ कर अधिकारी ने बताया कि ऑनलाइन कारोबार के बढ़ते दायरे को देखते हुए अब राज्य की सरकार सख्त कदम उठाने की तैयारी शुरू कर दी है। महाराष्ट्र के मुंबई और पुणे ैसे मेट्रो शहरों से इन कंपनियों को बड़े ऑर्डर मिलते हैं। ऑनलाइन कंपनियां मुंबई के कई थर्ड पार्टी डीलरों से प्रॉडक्ट लेकर ग्राहकों को बेचती हैं। टैक्स डिपार्टमेंट इस पर नजर रख रही है। हाल ही में महाराष्ट्र के टैक्स डिपार्टमेंट ने दिसंबर में ऑनलाइन कंपनी नापतौल पर कार्रवाई की है। राजस्व विभाग के सूत्रों के अनुसार कंपनी पर 2008 से लेकर 2014 के बीच करीब 32 करोड़ रुपये की देनदारी है। जिसके चलते कंपनी के बैंक खाते सीज कर दिए गए हैं। हालांकि कंपनी ने इसके लिए बॉम्बे हाइकोर्ट में अपील दर्ज की है।
उत्तर प्रदेश में ट्रेडर्स पर नजर
कंपनियों पर यूपी में भी टैक्स प्रशासन ने भी निगाह टेढ़ी करनी शुरू कर दी हैं। उत्तर प्रदेश के प्रमुख कारोबारी शहर नोयडा में टैक्स प्रशासन ने ऑनलाइन कंपनियों को माल सप्लाई करने वाले रिटेलर्स पर कार्रवाई की है। ये रिटेलर्स 50 से 70 करोड़ के उत्पाद ऑनलाइन कंपनियों को सप्लाई करते हैं। इसके अलावा कंपनी कानपुर, आगरा और मथुरा में मौजूद डिस्ट्रीब्यूटर्स पर भी नजर रखे है।
बिहार ने शुरू की सीलिंग की कार्रवाई
ऑनलाइन बिजनेस पर लगाम कसने के लिए जहां गुजरात तैयारी कर रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और बिहार जैसे राज्यों ने कार्रवाई भी शुरू कर दी हैं। बिहार में टैक्स प्रशासन ने पिछले 3 महीने में कई ऑनलाइन कंपनियों से जुड़े ट्रेडर्स और गोदाम की भी जांच की है। पिछले दिनों राज्य सरकार ने एक ईकॉमर्स कंपनी का गोदाम भी सील किया है। राज्य शासन के अधिकारी ने बताया कि ये कंपनियां राज्य सरकार को कर चुकाए बगैर ही कूरियर के जरिये अपने सामान को उपभोक्ताओं तक पहुंचा रही थीं। कर नहीं चुकाने की वजह से उनके सामान बाकी विक्रेताओं के मुकाबले सस्ते होते हैं।
कर्नाटक और तमिलनाडु भी कर चुके हैं कार्रवाई
ईकॉमर्स कारोबार को टैक्स दायरे में लाने के लिए कर्नाटक और तमिलनाडु की सरकारों ने सबसे पहले कार्रवाई शुरू की है। कर्नाटक के कर विभाग के राडार पर इन ऑनलाइन कंपनियों को माल सप्लाई करने वाले रिटेलर्स हैं। विभाग ने रिटेलर्स को नोटिस भेजे थे। इसके साथ ही नोटिस का जवाब नहीं देने वाले रिटेलर्स पर दिसंबर की शुरूआत में नोटिस का जवाब नहीं देने वाले ऑनलाइन कंपनी अमेजन के रिटेलर्स पर जब्ती की कार्रवाई शुरू कर दी है। कर्नाटक सरकार थर्ड पार्टी वेयर हाउसेस को भी वैट के दायरे में लाने की कोशिश कर रही है। उल्लेखनीय है कि देश की दो प्रमुख कंपनियों फ्लिप-कार्ट और अमेजन के हेडक्वार्टर कर्नाटक में हैं, वहीं आईटी का प्रमुख केंद्र होने के चलते ईकॉमर्स कंपनियों को बड़ा बिजनेस कर्नाटक से हासिल होता है। नियमों में बदलाव के साथ ही राज्य सरकार ने नए ट्रेडर्स लाइसेंस देने से मना कर दिया है। वहीं विभाग ने ऑनलाइन कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की शुरूआत कर दी है।
पंजाब और राजस्थान ने बढ़ाया दबाव
ऑनलाइन बिजनेस ने रिटेलर्स के बिजनेस और मार्जिन्स पर जबर्दस्त चोट दी है। ऐसे में पंजाब और राजस्थान के रिटेलर्स और होल सेलर्स ने ऑनलाइन कारोबार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया है। नवंबर में पंजाब और राजस्थान दोनों राज्यों के कंप्यूटर्स और मोबाइल डीलर्स ने कारोबार बंद कर सरकार से कानून सख्त बनाने के लिए बनाया।
ई-कॉमर्स के लिए गुजरात बनाएगा फ्रेमवर्क
गुजरात सरकार ने ईकॉमर्स कंपनियों के बिजनेस मॉडल और उनके कारोबार से जुड़े टैक्स ढांचे का विशेष अध्ययन शुरू किया है। गुजरात के वित्त मंत्री सौरभ पटेल के अनुसार फिलहाल हम इस बात की पड़ताल कर रहे हैं कि गुजरात में ईकॉमर्स कंपनियों को किस प्रकार टैक्स दायरे में शामिल किया जाए। साथ ही इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि राज्य की मौजूदा टैक्स प्रणाली ईकॉमर्स कारोबार को लेकर कोई कमजोरी तो नहीं हैं। इस कोशिश के साथ राज्य सरकार टैक्स ढांचे में सुधार के साथ सस्ती दरों पर प्रॉडक्ट उपलब्ध करा रही ई-कॉमर्स वेबसाइट से स्थानीय कारोबारियों को सुरक्षा देने कोशिश कर रही है। साथ ही इस स्टडी से ऑनलाइन कारोबार को लेकर टैक्स ढांचे में मौजूद कमियों को भी दूर किया जाएगा।

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