शुक्रवार, 27 मई 2011

तिहाड़ बना रसूखदारों का आशियाना

दिल्ली का तिहाड़ जेल इन दिनों रसूखदारों का आशियाना बना हुआ है। कभी देश-प्रदेश की दिशा और दशा निर्धारित करने वाले इन लोगों की दुर्दशा देखकर दूसरे अचंभित हो रहे हैं। ऐसे लोगों की आमद से देश की इस सर्वाधिक चर्चित जेल में फिलहाल हाई-प्रोफाइल राजनेता और कॉरपोरेट दिग्गज मेहमान बने हुए हैं। वहां कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें पिछले दो दशकों के दौरान समय-समय पर अदालतों ने सजा-ए-मौत सुनाई। अपराध साबित होने के बाद भी वे फल-फूल रहे हैं। अपराध की दुनिया में जिनकी कभी तूती बोलती थी, उन्होंने तिहाड़ जेल को ही अपना आशियाना बना लिया है। अपने दिमागी कौशल से वे कानून व्यवस्था की खामियों का पूरा फायदा उठा रहे हैं। तिहाड़ जेल में भीड़ तेजी से बढ़ती जा रही है। जो लोग पिछले कुछ सालों से देश को किसी निजी जागीर की तरह इस्तेमाल कर रहे थे, उनके लिए दिल्ली की तिहाड़ जेल कांटों भरी सेज बन गई है।
रूसी उपन्यासकार फ्योदोर दोस्तोयेवस्की ने लिखा था, कोई भी समाज कितना सभ्य है, इसका आकलन उसकी जेलों में जाकर किया जा सकता है। तो क्या सचमुच ऐसा ही है, तिहाड़ की बात छोडि़ए, दिल्ली का केंद्रीय कारागार फिलहाल असाधारण रूप से व्यस्त स्थान बन गया है। अमीर और प्रसिद्ध लोगों का, राजकीय अतिथि के तौर पर सीखचों के पीछे रहकर समय बिताना, यहां की पुरानी परंपरा रही है। यहां रहने वाले विशेष लोगों में एक बात समान है। सभी पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगे हैं। इन लोगों ने हाल के दो बड़े मामलों यानी टू-जी स्पेक्ट्रम और कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम पर देश के खजाने को अरबों रुपये की चपत लगाई है। इन हाई-प्रोफाइल लोगों में जाने-माने राजनेता, कॉरपोरेट दिग्गज, राजनीतिक दलाल और क्षुद्र अधिकारी शामिल हैं। हालात और कानून ने इन्हें ठाट-बाट और शानो-शौकत भरी जीवनशैली छोड़ वंचितों की तरह मुश्किल जीवन जीने को मजबूर कर दिया। डीएमके सुप्रीमो करुणानिधि की बेटी और सांसद कनीमोझी को ही लें। उन पर टू-जी घोटाले में डीबी रियलिटी से 200 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप है। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने यह राशि क्लंैग्नार टीवी के खाते में स्थानांतरित कर दी, जिसमें उनकी मां दयालुअम्मा की 60 फीसदी हिस्सेदारी है, 20 फीसदी हिस्सेदारी सांसद कनीमोझी की और 20 फीसदी हिस्सेदारी क्लैंग्नार के निदेशक शरद कुमार की है। शरद भी फिलहाल तिहाड़ जेल में हैं।
कनिमोझी
कनिमोझी तिहाड़ के कारागार संख्या छह में बंद हैं। यहां उनका साथ निभा रही हैं देह व्यापार का धंधा करने वाली विवादस्पद सोनू पंजाबन, कथित पाकिस्तानी जासूस माधुरी गुप्ता और दिल्ली के निगम पार्षद की हत्या कीआरोपी शारदा। सचमुच! जेल समानता का बेहतरीन मंच है, और इस मामले में तिहाड़ का कोई जवाब नहीं। इसे कनीमोझी की किस्मत और संयोग ही मानिए कि अब तिहाड़ के कैंटीन में दक्षिण भारतीय व्यंजन यानी डोसा, इडली और सांभर भी उपलब्ध हैं। नई दिल्ली और चेन्नई के सत्ता के गलियारों से होते हुए अब वह 10 गुणा 12 के एक छोटे कमरे में आराम फरमा रही हैं। हालांकि तिहाड़ के तमाम दूसरे कैदियों के विपरीत उनका सेल काफी सुसज्जित है। उन्हें टीवी, लाइट, फैन, अखबार और पाश्चात्य शैली वाले टॉयलेट की सुविधा मुहैया है। कनीमोझी का सेल इसलिए भी खास है, क्योंकि वहां जेल कर्मियों के अलावा कोई नहीं पहुंच सकता। सुरक्षा के भी तगड़े इंतजाम हैं।
ए राजा
अनुमान लगाइए, पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा कैसे होंगे? उन पर गैरकानूनी तरीके से टू-जी स्पेक्ट्रम आवंटन कर भारत सरकार कोएक लाख सत्तर हजार करोड़ रुपये की चपत लगाने का आरोप है। फिलहाल तिहाड़ के कारागार संख्या तीन के 10 गुणा 15 फीट वाले सेल में बैठ कर वह तमाम चीजें सीख रहे हैं। खांटी तमिल, राजा को हिंदी सिखा रहे हैं, दिल्ली के कनॉट प्लेस में गलती से निर्दोष लोगों को मार गिराने के आरोप में बंद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एसीपी एसएस राठी। सत्ता के शिखर से तिहाड़ तक की गहरी और अंधकारमय यात्रा ने इस पूर्व मंत्री के रुतबे को काफी कम कर दिया है। राजा की दिनचर्या काफी व्यवस्थित है। वह सुबह पांच बजे उठते हैं और थोड़ा-बहुत व्यायाम करते हैं। रोज शेविंग बनवाना उनकी दिनचर्या में शामिल है। अंग्रेजी के तीन अखबार पढऩे के साथ उनके दिन की शुरुआत होती है। जेल अधिकारियों के मुताबिक, राजा सौम्य आचरण और अच्छे व्यवहार वाले व्यक्ति हैं।
अब जरा विडंबनाओं की विडंबना देखिए! राजा पर दूरसंचार बजट का आधा हिस्सा हथियाने का आरोप लगा है। वह चमड़े काफटा काला जूता पहने जेल परिसर में टहलते रहते हैं। यह सचमुच विडंबना है, राजा बन गया रंक। एक जेलकर्मी ने माना, जब से एयर कंडिशनर और कूलर के इस्तेमाल पर रोक लगी है, राजा अक्सर टहलते हुए जेल अधीक्षक के दफ्तर में जाकर एसी का आनंद लेते हैं। तिहाड़ में हफ्ते में दो बार ही बाहर का खाना मंगवाने की इजाजत है। शुक्र है कि तिहाड़ में दक्षिण भारतीय व्यंजन उपलब्ध हैं। कनीमोझी की तरह ही राजा भी इस मामले में किस्मतवाले हैं। राजा के पूर्व निजी सचिव आरएस चंदौलिया और पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरिया को सुरक्षा कारणों से एक ही हॉल में रखा गया है। यह उनके लिए अच्छा ही है, क्योंकि कारागार संख्या तीन में कई कुख्यात अपराधी भी रहते हैं।
सुरेश कलमाडी
कामनवेल्थ गेम्स में हेराफेरी के मुख्य आरोपी और राजनेता सुरेश कलमाडी तिहाड़ के कारागार संख्या चार में हैं। जबकि इस अपराध में उनके साथी रहे ललित भनोट और वीके वर्मा कारागार संख्या तीन की हवा खा रहे हैं। इसका सीधा मतलब है कि पायलट से राजनेता बने कलमाडी को उनसे बातचीत तक का मौका नहीं मिलता।जेलकर्मियों के मुताबिक, 'हो सकता है, वह इस वजह से नाराज हों कि उन लोगों से छोटी-मोटी बात भी नहीं हो पाती। हालांकि नाश्ते, दिन और रात के भोजन के मामले में वह समय के पाबंद हैं। सालों-साल शानो-शौकत से रहने के बाद, यहां तक कि तिहाड़ में एक बिस्तर, पंखा और टीवी के साथ तीन हफ्ते बिताने के बाद भी, जो कि उन्हें खासतौर पर मुहैया कराया गया है, कलमाडी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब प्रचंड गर्मी और मच्छरों के आतंक से उन्हें कैसे निजात मिलेगी? जेल अधिकारियों के मुताबिक, कलमाडी शाम को बैडमिंटन खेलना पसंद करते हैं। इसी बहाने उन्हें साथी कैदियों से मिलने का मौका मिल जाता है। शुगर का लेबल लगातार बढऩा इस राजनेता के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है। शुगर कंट्रोल करने के लिए उन्हें दिन में दो बार दवाइयां लेनी पड़ती हैं।
उनके साथ और भी दिक्कतें हैं। जब वह तिहाड़ में आए तो तमाम कैदी उन्हें देखने को लेकर बहुत उत्साहित थे। पर अपराधियों का एक ऐसा समूह भी था, जो उन्हें राष्ट्रद्रोही मानता है। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए उनकी सुरक्षा चाक-चौबंद करनी पड़ी। तिहाड़ जेल के महानिदेशक नीरज कुमार ने टीएसआई से कहा, वीवीआईपी कैदियों के साथ कोई अलग तरह का व्यवहार नहीं होता। उनके साथ भी हम आम कैदियों की तरह व्यवहार करते हैं। वे भी सुबह की हाजिरी के लिए कतार में खड़े होते हैं। उनके साथ भी वही होता है जो दूसरे कैदियों के साथ होता है। उन्हें एक कप चाय और ब्रेड कीदो स्लाइसें मिलती हैं। बाकी सब चीजें दूसरे कैदियों की ही तरह हैं। जब वे अदालत से लौटते हैं, तो दूसरे कैदियों की तरह इन वीवीआईपी की भी तलाशी ली जाती है। नीरज कुमार की मानें तो समस्याएं तो आती ही हैं। उन्होंने कहा, ये लोग ऐश-ओ-आराम और शान- ओ-शौकत की जिंदगी जीने के आदी होते हैं। सेल में उनके सामने स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें तो आती ही हैं। हमें इन सब चीजों से भी निपटना पड़ता है। इसमें दो राय नहीं कि राजनेता अभी भी ताकतवर हैं, पर कॉरपोरेट दिग्गजों की मौजूदगी ने जेल परिसर का नजारा ही बदल दिया है।
शाहिद बलवा और विनोद गोयनका
इन दोनों की तुलना फोब्र्स पत्रिका द्वारा जारी अमीर लोगों की सूची में शामिल भारतीयों से की जा सकती है- दोनों फिलहाल जेल की हवा खा रहे हैं। 2010 में फोब्र्स ने बलवा की व्यक्तिगत संपत्ति एक बिलियन से ज्यादा, जबकि गोयनका की संपत्ति 1।18 बिलियन आंकी थी। गोयनका को अमीर भारतीयों की सूची में 49वां और बलवा को 50वेंं स्थान पर रखा गया था। सीबीआई ने 8 फरवरी, 2011 को बलवा को मुंबई में गिरफ्तार किया था। बलवा और गोयनका के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। उनकी कंपनी डीबी रियलिटी ने पहले तो स्वान टेलीकाम नामक कंपनी बनाई फिर उसे टू-जी आवंटन के हिस्से के तौर पर 13 सर्किलों के एवज में 1,537 करोड़ का भुगतान कर दिया। इसके तुरंत बाद, स्वान टेलीकॉम ने दुनिया की जानी-मानी टेलीकॉम कंपनी एटीलिस्टैट को 4, 500 करोड़ रुपये में 45 फीसदी शेयर बेच दिए। भारतीय जांच एजेंसियां आज भी इस लेन-देन की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं। अब जरा बलवा और गोयनका के अतीत की बात करते हैं। लगभग 15 साल पहले, दोनों ने एक साथ कारोबार शुरू किया। उन्होंने संयुक्त रूप से मुंबई में होटल रॉयल मेरीडियन का निर्माण कराया, जिसे अब हिल्टन के तौर पर जाना जाता है। तब से लेकर टू-जी तक उन लोगों ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
दुर्भाग्य से तिहाड़ ने दोनों मित्रों को अलग कर दिया। बलवा कारागार संख्या एक में है तो गोयनका कारागार संख्या तीन में। दोनों की मुलाकात सिर्फ अदालत में होती है, लेकिन वर्षों के ऐश-ओ-आराम ने उनसे अपनी कीमत वसूल ली। तिहाड़ के सख्त बेड से बलवा की पीठ में दर्द उभर आया है। उसने थोड़ा नरम बिस्तर और तकिया मुहैया कराने के लिए तिहाड़ प्रशासन को पत्र लिखा है।
उसके लिए यह किस्मत की बात है कि भाई आसिफ को भी वहीं स्थित एक वार्ड में रखा गया है। उस पर गैरकानूनी तरीके से क्लैंग्नार टीवी के खाते में 214 करोड़ रुपये ट्रांसफर कराने का आरोप है। हफ्ते में दो बार दोनों भाइयों को घर का खाना मिल जाता है। इस तरह से वे चार बार घर का बना खा लेते हैं और सिर्फ तीन दिन ही उन्हें तिहाड़ की रोटियां चखनी पड़ती हैं। दोनों हिंदी फिल्में देख कर अपना समय गुजार रहे हैं। इससे बेहतर कोई और चीज उनके करने के लिए है भी नहीं।
संजय चंद्रा
तिहाड़ में बंद हाई प्रोफाइल कॉरपोरेट दिग्गजों में यूनिटेक का पूर्व मुखिया संजय चंद्रा भी हैं। देश की दूसरी सबसे बड़ी रियलिटी कंपनी यूनिटेक के बॉस रहे संजय के जीवन का यह सबसे कठिन दौर है। उनकी मुख्य समस्या शौचालय को लेकर है। हर वार्ड में ज्यादातर भारतीय शैली के ही शौचालय हैं और पाश्चात्य शैली केकुछ इक्के-दुक्के शौचालय हैं भी तो इतने गंदे की अंदर जाना भी मुश्किल मालूम पड़ता है। इसलिए उन्हें भारतीय शैली के शौचालय से काम चलाना पड़ता है। संजय जैसे व्यक्ति के लिए यह काफी मुश्किल भरा समय है। उसने बोस्टन विश्वविद्यालय से एमबीए करने के बाद रियलिटी के कारोबार में हाथ डाला। प्रबंध निदेशक के तौर पर और अपने भाई अजय चंद्रा के साथ मिलकर संजय ने कंपनी को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। यूनिटेक की किस्मत उसी दिन बदल गई जब उसने यूनिटेक वायरलेस के तौर पर टेलीकॉम सेक्टर में कदम रखा। टू-जी के साथ ही उनकी किस्मत पर ग्रहण लग गया। अब वह उस घड़ी को कोसते हैं, जब उन्होंने टेलीकॉम सेक्टर में कदम रखने का फैसला किया था।
ललित भनोट -वीके वर्मा
हाई प्रोफाइल कैदियों की सूची अभी खत्म नहीं हुई है। कामनवेल्थ गेम्स की संचालनसमिति के सचिव ललित भनोट और उसके महानिदेशक वीके वर्मा को कैसे भुलाया जा सकता है। दोनों को खेल प्रशासन का लंबा अनुभव है। उन पर एक स्विस कंपनी को गैरकानूनी ढंग से 107 करोड़ रुपये का ठेका देने का आरोप है। फिलहाल वे कारागार संख्या तीन में बंद हैं। जेल अधिकारियों के अनुसार, दोनों अपने आप तक ही सीमित रहते हैं, बाहरी लोगों के साथ किसी भी तरह की बातचीत से परहेज करते हैं। ललित को नॉवेल पढऩा खूब पसंद है, इसलिए उनका ज्यादातर वक्त लाइब्रेरी में ही व्यतीत होता है।
कारागार संख्या तीन में वैसे भी सबसे ज्यादा भीड़ है। यहां कुल 2011 कैदी हैं। जेल प्रशासन के मुताबिक, सुबह छह बजे रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बाद सभी कैदी आस्था चैनल पर प्रसारित होने वाले बाबा रामदेव के योग का कार्यक्रम देखते हैं और स्वयं भी योगाभ्यास करते हैं। तिहाड़ के कैदियों को सुबह आठ बजे नाश्ते में एक कप चाय और ब्रेड के दो स्लाइस दिए जाते हैं। खाने में चपाती, मसूर की दाल, चावल और सब्जी मिलती है। उन्हें दोपहर का भोजन ठीक 12 बजे और रात का भोजन ठीक सात बजे उपलब्ध करा दिया जाता है। प्रचंड गर्मी की वजह से कै दियों को शाम पांच बजे एक गिलास नींबू पानी भी दिए जाने का प्रावधान है। कारागार संख्या तीन में बंद वर्मा और भनोट को जब शाम को भूख लगती है, तब वह जेल की कैंटीन से समोसा और भुजिया मंगा लेते हैं। इसके लिए उन्हें विशेष कूपन जारी किए गए हैं। इसकी अधिकतम सीमा 3000 रुपये है। हालांकि यह हर एक के लिए आसान है, क्योंकि भारत का कानून बेहद कमजोर और दंतहीन है। जिन लोगों ने तिहाड़ में थोड़ा वक्त भी गुजारा है, उनके लिए जिंदगी के मायने बदल गए और जानना चाहते हैं तो कनिमोझी, राजा और कलमाडी से पूछिए।
मनु शर्मा
29 अप्रैल, 1999 को मॉडल जेसिका लाल की टेमरेंड कोर्ट कैफे रेस्तरां में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वहां फैशन डिजाइनर बीना रमानी ने अपने कनाडाई पति जार्ज मेलहार्ट के लिए पार्टी आयोजित की थी। जेसिका लाल की हत्या के आरोप में मनु शर्मा को दोषी करार दिया गया। मनु शर्मा हरियाणा के प्रभावशाली कांग्रेसी नेता विनोद शर्मा का पुत्र है और एक बड़े आर्थिक साम्राज्य का स्वामी है। हत्या की घटना के समय उसके पास लगभग 20,000 करोड़ रुपये की संपत्ति थी। 21 फरवरी, 2006 को जब हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई, तो हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के फैसले को बदल कर शर्मा और उस हत्याकांड में शामिल दूसरे लोगों को उम्रकैद की सजा दी। हाईकोर्ट ने शर्मा और अन्य आरोपियों को बरी किए जाने के लोअर कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया था। अंदर की बात यह है कि मनु तिहाड़ के सीईओÓ की तरह काम करता है। पूरी तिहाड़ जेल को वह किसी कंपनी की तरह चला रहा है। कैदी भी तरह-तरह की गतिविधियों में जुड़े हुए हैं- रोटी बेलने, सेंकने से लेकर फर्नीचर बनाने तक। किसी अधिकारी की तरह मनु इन कैदियों को किसी निश्चित काम की जिम्मेदारी देता है। उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि पहली बार तिहाड़ जेल को 30 हजार स्कूल डेस्क बनाने का ठेका मिला। मनु शर्मा का तिहाड़ जेल के अंदर रसूख का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि एक बार वह पैरोल पर जेल के बाहर आया तो मां की बीमारी के बहाने, लेकिन उसे देखा गया दोस्तों के साथ डिस्कोथेक में मौज-मस्ती करते हुए।
संतोष सिंह
23 जनवरी, 1996 को अपनी सहपाठी और दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून की छात्रा प्रियदर्शिनी मट्टू की बलात्कार के बाद निर्ममतापूर्ण तरीके से हत्या करने के आरोप में संतोष सिंह तिहाड़ केकारागार संख्या दो में उम्रकैद की सजा काट रहा है। अक्टूबर, 2006 में दिल्ली हाईकोर्ट ने संतोष सिंह को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। संतोष ने हाईकार्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 6 अक्टूबर, 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए संतोष कुमार की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया। संतोष सिंह फिलहाल साथी कैदियों को मुफ्त कानूनी सलाह देता है। सामान्य तौर पर जिस कैदी को फांसी की सजा सुनाई गई होती है, उसे किसी काम की जिम्मेदारी नहीं दी जाती, लेकिन संतोष सिंह के मामले में यह अपवाद है। वह प्रतिदिन सुबह आठ से 11 बजे तक और अपराह्नï तीन से शाम छह बजे तक कैदियों का कानूनी मार्गदर्शन करता है। उससे सलाह लेने वाले कैदियों की संख्या कम नहीं है।
आर के शर्मा
पूर्व आईपीएस अधिकारी आरके शर्मा, पत्रकार शिवानी भटनागर की हत्या के मामले में तिहाड़ के कारागार संख्या एक में उम्रकैद की सजा काट रहा है। हत्या के बाद से ही, शर्मा ने संन्यासी का रूप धारण कर लिया है। उसका काफी समय अखबार और किताबे पढऩे में निकलता है। अधिकारियों के मुताबिक, अपने साथी कैदियों से शर्मा एक सुरक्षित दूरी बना कर रहता है। जब वह तिहाड़ में पहली बार आया, तो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा। उसके बाद जब वह सेल में गया, तो चंदन-तिलकधारी संन्यासी के रूप में सामने आया।
अफजल गुरु
2001 में भारत की संसद पर आतंकी हमले के दोषी अफजल गुरु को 2004 में ही सजा-ए-मौत सुनाई गई थी। 16 गुणा 12 फीट के कमरे वाले कारागार संख्या तीन में रहने वाले गुरु ने राष्ट्रपति से क्षमादान की अपील की है। उसकी अपील राष्टï्रपति के पास विचाराधीन है। उसका ज्यादातर समय राजनीतिक व धार्मिक पुस्तकें पढऩे में बीतता है। उसके पास एक ट्रांजिस्टर सेट है। समाचारों के लिए अफजल रोजाना अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू के अखबार पढ़ता है। पत्नी तबस्सुम के अलावा उससे मिलने आने वाला कोई और नहीं है।
विकास यादव
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता डीपी यादव का पुत्र विकास अपनी बहन भारती यादव के प्रेमी नीतीश कटारा की 17 फरवरी, 2002 को हत्या किए जाने के आरोप में तिहाड़ के कारागार संख्या दो में उम्रकैद की सजा काट रहा है। एक शादी समारोह में उसने नीतीश को विश्वास में लेकर क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी थी। विकास का अंक ज्योतिष और ज्योतिष में पूरा विश्वास है। विकास को पहले कारागार संख्या चार में रखा गया था, लेकिन ज्योतिषियों की सलाह पर उसने जेल कारागार संख्या दो में अपना स्थानांतरण करवा लिया। अधिकारियों के मुताबिक, विकास ने अपने स्तर पर गाजियाबाद की डासना जेल में स्थानांतरण की बहुत कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। विकास को अत्यधिक महत्वाकांक्षी माना जाता है।
सुशील शर्मा
अपनी पत्नी नैना साहनी की नृशंस हत्या के मामले में युवा कांग्रेसी नेता सुशील शर्मा तिहाड़ के कारागार संख्या दो में उम्रकैद की सजा काट रहा है। 2003 में लोअर कोर्ट ने सुशील को हत्या का दोषी करार दिया था। सुशील ने पत्नी की हत्या करने के बाद उसके शव को टुकड़े-टुकड़े कर अशोक होटल के बगिया रेस्तरां के तंदूर में झोंक दिया था। लोअर कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा। इसके बाद सुशील ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई पर रोक लगा रखी है। 1995 में जब यह हत्याकांड हुआ था, तब से लेकर अब तक, इस मामले की सुनवाई के लिए लगभग 350 तारीखें पड़ चुकी हैं। तमाम दूसरे दुर्दांत अपराधियों की तरह सुशील शर्मा ने भी धर्म का रास्ता अख्तियार कर लिया। जेल अधिकारियों के मुताबिक वह हमेशा 'परेशान' रहता है। वह अपने परिवार के किसी सदस्य या माता-पिता से मिलने की इच्छा भी नहीं जताता और न ही वे लोग इससे मिलने आते हैं।

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