गुरुवार, 1 अगस्त 2013

मध्यप्रदेश में भाजपा का बंटाढार तय

प्रदेश में मिलेगी भाजपा को 95 व कांग्रेस को 110 सीटें ! जन सर्वेक्षण में सामने आया आंकड़ा दलवार संभावित सीटें भाजपा-95, कांग्रेस-110, बसपा-10, सपा-7, गोंगपा-2, जदयू-1 व अन्य-5। कुल सीट संख्या- 230 भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की अघोषित बिगुल बज गया है.....कांग्रेस के दिग्गजों ने उत्साहपूर्वक मोर्चा संभाल लिया है.....लेकिन भाजपा में खलबली है.....। खलबली की वजह है वे सर्वे रिपोट्र्स जो निजी एजेंसियों और प्रदेश के खुफिया विभाग ने सरकार को दिया है। इन सर्वे रिपोट्र्स में भाजपा की हार और कांग्रेस की बढ़त का दावा किया गया है। भाजपा संगठन और सरकार में मची खलबली के बाद बिच्छू डॉट कॉम ने एक बार फिर प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर जन सर्वेक्षण कराया। इस जन सर्वेक्षण में जो आंकड़ा निकलकर आया है वह चौकाने वाला है। हमारे आंकलन के मुताबिक कोई भी राजनीतिक दल अभी की स्थिति में सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत जुटाने में सफल नहीं होगा। क्षेत्रवार विश्लेषण के अनुसार भाजपा को 95, कांग्रेस को 110, बसपा को 10, सपा को 7, गोंगपा को 2 तो जदयू को 1 और अन्य को 5 सीटें मिलती दिख रही हैं। चुनावी आंकलन: मध्यप्रदेश में किसी को बहुमत मिलने के आसार नहीं मध्यप्रदेश में चुनाव नवंबर में होने है। इसलिए राजनीति में रूचि रखने वाले पाठकों, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, ब्लॉगरों समेत विभिन्न पार्टियों के नेताओं व कार्यकर्ताओं में चुनाव पूर्व यह जिज्ञासा काफी तीव्र है कि जनता का फैसला क्या होगा? किसे मिलेगा सत्ता का ताज और कौन होगा बेताज? बिच्छू डॉट कॉम एडिटोरियल डेस्क, भोपाल द्वारा इस जिज्ञासा पर ठोस विश्लेषण के लिए वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषकों, लेखकों व पत्रकारों से विश्लेण मंगवाये गये। इसके तहत प्रदेश के लगभग 200 से अधिक पत्रकारों और सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं से बातचीत के आधार पर विस्तार से चुनावी आंकलन किया है। इस चुनावी आंकलन में कितना दम है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मध्यप्रदेश के प्रशासनिक अमले के एक सर्वे और इसी राज्य के खुफिया तंत्रों के आंकलन से प्राप्त नतीजे भी बिच्छू डॉट कॉम के चुनावी आंकलन के लगभग आसपास हैं। जनता को अब शिवराज पर तो भरोसा नहीं लोकतंत्र के यज्ञ में आहुति देने के लिए अभी 4 माह का वक्त है। लेकिन परिणाम को लेकर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में संशय की स्थिति बनी हुई है। ऊपरी तौर पर भले ही कुछ भी दावें किए जा रहे हों, लेकिन जमीनी हकीकत से सब वाकिफ हैं। भाजपा की बात हम करें, तो उनके सभी बड़े महारथी मैदानी इलाकों में जाने से कतरा रहे हैं। दरअसल, प्रदेश की जनता को शिवराज पर से अब भरोसा उठ गया है। उनसे न सिर्फ जनता नाराज है, बल्कि उसकी नजर में ये विश्वासघाती भी हैं। यही वजह है कि अंकों का गणित सत्तासीन भाजपा के गणितज्ञों को उलझन में डाले हुए है। इन सब के बावजुद यहां सभी शिवगण अब मोदी स्टाइल में शिवराज के भरोसे हैं। वहीं शिवराज भी 'मैं हूं नÓ का भरोसा दिलाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। भाजपा के लिए भले यह अच्छी बात हो सकती है कि इस बार जनता सबक सिखाने के लिए तैयार है। महानगरों में नहीं गलेगी दाल पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश के चारों महानगरों(भोपाल,इंदौर,जबलपुर और ग्वालियर जिला )में से भोपाल,इंदौर और जबलपुर में अच्छा प्रदर्शन किया था,जबकि ग्वालियर में उसकी भद्द पिटी थी। 2008 में भाजपा ने इंदौर जिले की 9 में 6 सीट जीती थी लेकिन इस बार यहां उसे मात्र 3 सीट ही मिलने के आसार हैं। इसी प्रकार भोपाल में भाजपा 7में से 4 सीटों पर कमजोर है वहीं जबलपुर में भी 6 सीटें भाजपा से छिनने के संकेत है। जबकि ग्वालियर जिले में 6 में से इस बार भाजपा को मात्र एक सीट मिलने की संभावना है। इसके पीछे मुख्य वजह बताई जा रही है कि महानगरों में सरकार के वादों की पोल खुल गई है। प्रदेश के नव मतदाताओं ने जब सरकार के 9 साल के कार्यकाल का आंकलन किया तो पाया की आम आदमी को सरकार ने वादों के अलावा विशेष कुछ नहीं दिया है। महाकौशल और विंध्य में हालत पतली भाजपा महाकौशल और विंध्य में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए कोई करिश्मा नहीं कर सकी। महाकौशल में तो पार्टी की हालत पहले से ही पतली है और अब और पतली हो गई है। वर्तमान में यहां 38 सीटों में से मात्र 23 पर ही भाजपा का कब्जा है, जबकि 15 सीटों पर कांग्रेस बरकरार है। लेकिन क्षेत्र में विकास नहीं होने के कारण जनता आक्रोशित है। बिच्छू डॉट कॉम के ताजा सर्वे में यहां इस बार भाजपा को करीब 13 सीटों को नुकसान होता दिख रहा है। यानी महाकौशल में इस बार भाजपा को मात्र 10 सीट से ही संतोष करना पड़ेगा। महाकौशल क्षेत्र में आने वाले जिले जबलपुर,कटनी,डिंडौरी,मंडला,बालाघाट नरसिंहपुर और छिंदवाड़ा में भाजपा को जनता पूरी तरह नकारने को तैयार बैठी है। उधर, पिछले चनाव में विंध्य में 30 सीटों में से 25 कब्जे में लेकर इतरा रही भाजपा को जोरदार झटका लगा है। विंध्य में कभी कांग्रेस की तूती बोलती थी। यहां से भाजपा को दहाई के अंक तक की सीटें नसीब नहीं होती थी, लेकिन आज जब जनता ने भाजपा को मौका दिया है, तब भाजपा विंध्य को दरकिनार कर गई। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। विंध्य में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए संगठन स्तर पर भाजपा की कोई रणनीति भी नहीं दिख रही है। बिच्छू डॉट कॉम के ताजा सर्वे में इस बार यहां भाजपा को 11-12 सीटों तक ही सिमटना पड़ सकता है। बुंदेलखंड में की 26 सीटों में से 14 सीटें भाजपा हैंं, उनमें इस बार 8-10 सीटें ही भाजपा की झोली में आ सकती हैं। भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि दो विपरीत दिशाओं के आदिवासी जिले मंडला और झाबुआ में भाजपा की पकड़ बेहद मजबूत है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में भाजपा 34 में से 17 सीटों पर फिलहाल काबिज है, पर यह संख्या इस बार घटकर 10-12 होने के आसार हैं। मालवा क्षेत्र में भाजपा अभी भी मजबूत स्थिति में दिख रही है, लेकिन नर्मदा के दोनों किनारों की जनता भाजपा से दूर होती नजर आ रही है। शिवराज-तोमर को सता रहा भीतरघात का डर सर्वे रिपोर्ट के अनुसार एक तिहाई विधायकों से जनता खुश नहीं है। इसको देखते हुए भाजपा कर स्थिति सांप-छुछंदर जैसी हो गई है। क्योंकि अगर टिकट नहीं बदला तो भी खतरा है और बदलता तो भीतरघात का डर। कांग्रेस विधायक चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी और बसपा विधायक परसराम मुदगल को भाजपा में लाकर नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह चौहान ने अपने असंतुष्ट विधायकों के लिए राह दिखा दी है। जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान 107 सीटों पर रहेगी विशेष नजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान कमजोर सीटों पर अधिक वक्त देंगे। पार्टी ने करीब 107 ऐसी सीटों का चयन किया है जहां मुख्यमंत्री को अधिक समय देना है। संगठन की ओर से कोशिश की जा रही है कि कमजोर क्षेत्रों में जन आशीर्वाद यात्रा को ज्यादा समय मिल सके। इसके लिए कमजोर क्षेत्रों की सूची तैयार की जा रही है। भाजपा के पास जन आशीर्वाद यात्रा के जरिए कमजोरी दूर करने का आखिरी मौका है। पार्टी की कोशिश है कि कम से कम समय में मुख्यमंत्री की लोकप्रियता का लाभ लिया जाए। शहरी क्षेत्र में मुख्यमंत्री ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच जाने का प्रयास करेंगे। इसके लिए भीड़भाड़ वाले क्षेत्र देखे जा रहे हैं। 61 विधायक रेड जोन में एक तरफ कांग्रेस इसी माह अपने 100 उम्मीदवारों की घोषणा करने की तैयारी कर रही है, वहीं भाजपा अगस्त के अंत तक उन 61 विधायकों के भविष्य पर फैसला करेगी, जो रेड जोन में हैं। इन 61 विधायकों की सूची भाजपा के प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार के पास पहुंचा दी गई है। इसमें भोपाल के भी 3 विधायक हैं। भाजपा के जो विधायक रेड जोन में आ चुके हैं, उन्हें अगस्त में एक मौका आखिरी बार अपनी बात कहने के लिए दिया जाएगा। जिस विधायक को बुलाया जाएगा, उसके बारे में पूरा चिट्ठा कमेटी अपने पास रखेगी। ऐसा भी सुनने में आ रहा है कि इसमें अनिल माधव दवे, अरविंद मेनन जैसे तेजतर्रार नेता रहेंगे। पिछले दिनों भोपाल आए प्रदेश प्रभारी इस तरह की स्क्रीनिंग को हरी झंडी दे गए हंै। जो विधायक इस कमेटी के सामने फेल होगा, उसे तत्काल टिकट काटने का फार्म पकड़ा दिया जाएगा। भाजपा संसदीय बोर्ड जो सुपर पॉवर है, एक उप समिति मप्र के लिए बनाएगा। इसमें सुषमा स्वराज, शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी जैसे नेताओं को शामिल किया जाएगा। ये नेता विधायकों के परफार्मेंस की पड़ताल करेंगे, उसके बाद तय होगा कि किसे टिकट देना है, किसे नहीं। 9 मंत्री भी रेड जोन में भाजपा की रेड जोन सूची में 9 मंत्री भी शामिल हैं। फिलहाल केन्द्रीय नेतृत्व ने अभी किसी भी विधायक की टिकट रोकने को हरी झंडी नहीं दिखाई है। प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार जरूर रेड जोन लिस्ट को अपने साथ ले गए हैं। वे नई दिल्ली से कोई निर्देश भेजेंगे। वहीं रेड जोन में सर्वे के लिए पर्यवेक्षक भी इस माह अपने-अपने जिले में सक्रिय हो जाएंगे। उन्हें यह रिपोर्ट 31 जुलाई तक देनी है। 20 लाख दिखाओ और टिकट ले जाओ दस साल तक प्रदेश में राज करने के बाद भी भाजपा का खजाना खाली है। पार्टी ने कुछ अपवाद छोड़कर हर विधानसभा में 20 लाख का चंदा इक_ा करने का प्रोग्राम बनाया है। बहुत जल्द इस बारे में विधिवत नीति जारी कर दी जाएगी। सूत्रों का इस संबंध में कहना है कि इस योजना को घुमा फिरा कर पार्टी वालों के सामने रखा जाएगा। पार्टी कार्यकर्ता को भावनात्मक रूप से उत्तेजित करने के लिए आव्हान किया जाएगा कि भाजपा लक्ष्मी पुत्रों की पार्टी नहीं है। यह जनता की पार्टी है और जनता से ही चंदा लेकर चुनाव लड़ा जाए। कमजोर आर्थिक स्थिति वाले व पिछड़ी विधानसभा सीट को छोड़ कर सभी विधानसभा में 20-20 लाख का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए विधानसभा वार प्रभारी बनाए जायेंगे। जो मंडल स्तर पर अपने खजांची नियुक्त करेंगे। अब जिसे भी अपनी दावेदारी मजबूत करनी होगी वह पकड़-पकड़ कर चन्दा इक_ा करवाएगा। वर्तमान विधायक के भी सामने नाक का सवाल आ जाएगा और उन्हें भी इतने कम समय में ज्यादा से ज्यादा रसीद फाडऩी पड़ेगी। चूंकि पार्टी यहां सिर से लेकर पांव तक हावी है इसलिए 20 लाख इक_ा होना मुश्किल नहीं रहेगा। किन्तु इसके लिए पार्टी नेता आपस में ही उलझेंगे। बिल्डर, ठेकेदार, सप्लायर , शराब लॉबी, प्रापर्टी दलाल सहित अन्य वैध-अवैध काम करने वाले यहां भाजपा के सबसे बड़े डोनर हैं। यहां के कुछ नेताओं के बारे में कहा जाता है कि वे मुर्दे की जेब से भी पैसा निकलवा लेते हैं। मोदी भक्त देंगे दगा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता में हैट्रिक लगवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गुजरात के पूर्णकालिक विजयव्रतियों की मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की हैट्रिक में रूचि नहीं है। प्रदेश में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए गुजरात से 70, उत्तरप्रदेश से 30, महाराष्ट से 40 और बिहार से 15 पूर्णकालिक विजयव्रतियों को बुलाया था। ताकि उन्हें सीमावर्ती जिलों में पार्टी के प्रचार के लिए भेजा जा सके। लेकिन सिर्फ 55 पूर्णकालिक विजयव्रती ही आए। जो उनमें से 41उन विधानसभा क्षेत्रों में नहीं गए जहां उन्हें भेजा गया था।

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