कहते हैं जया जेटली ने ही इस खबर को प्रसारित करने में अहम भूमिका निभाई है कि जार्ज फर्नांडीज गायब हो गये हैं. हकीकत में जार्ज फर्नांडीज अपनी पत्नी के साथ पंचशील पार्क वाले घर में हैं और नियमित तौर पर मैक्स अस्पताल जाकर इलाज करवा रहे हैं. लेकिन खबर यह प्रचारित की जा रही है कि जार्ज फर्नांडीज गायब हो गये हैं. असल में जया जेटली हार नहीं मानना चाहती और किसी भी तरह से वे जार्ज साहब पर अपना दावा नहीं छोड़ना चाहती. इसके लिए उन्होंने जार्ज के परिवार के ही एक सदस्य रिचर्ड फर्नांडीज को अपनी तरफ कर लिया है जो कि जीवनभर जार्ज से दूर ही रहे हैं. रिचर्ड जार्ज के सबसे छोटे भाई हैं पूरे जीवन में जार्ज के पास सिर्फ तीन दफा आये हैं. लेकिन ऐसे वक्त में जब जार्ज फर्नांडीज की संपत्ति को लेकर कलह चरम पर है तो वे भी लैला फर्नांडीज (जार्ज की पत्नी) के खिलाफ खुलकर मैदान में आ गये हैं. दूसरी ओर जार्ज के बेटे, पत्नी है जिनका पिछले बीस बाईस साल से जार्ज से कोई खास वास्ता नहीं रहा है, वे जार्ज फर्नांडीज को जया और उनकी मंडली के पास नहीं देना चाहते. लैला समर्थक जार्ज के कुछ शुभचिंतक उन्हें इस काम में मदद कर रहे हैं. लड़ाई चरम पर है और कोई भी पक्ष हार मानने के लिए तैयार नहीं है.
जार्ज फर्नांडीज संपत्ति के ऐसे झगड़े में घसीट लिये गये हैं जिसमें सिर्फ और सिर्फ व्यक्ति और व्यक्तित्व के रूप में जार्ज फर्नांडीज का नुकसान होगा. फिलहाल तो वे पंचशील वाले अपने पुराने घर में रह रहे हैं और नियमित इलाज चल रहा है. लेकिन जिस तरह से उन्हें गायब घोषित किया गया वह राजनीति का एक शर्मनाक अध्याय साबित हुआ है.
बात 1998-99 की है. उन दिनों सूबेदार सिंह मुंबई में फुटपाथ वालों के लिए एक राजनीतिक दल बनाकर मुंबई महानगरपालिका में उनका प्रतिनिधित्व देना चाहते थे. हालांकि हृदयाघात से उनका निधन हो गया लेकिन अक्सर वे ट्रेड यूनियन के दिनों के जार्ज फर्नांडीज को याद करते हुए रो दिया करते थे. वे कहते थे- "मेरा जार्ज कहीं खो गया है." सूबेदार सिंह जिन दिनों जार्ज फर्नांडीज को याद करके रो दिया करते थे उन दिनों जार्ज फर्नांडीज दिल्ली में रक्षा मंत्री और राजग के संयोजक हुआ करते थे.
उस समय सूबेदार सिंह जिस जार्ज फर्नांडीज को खोने की बात किया करते थे वह उनके साथ वाले वैचारिक जार्ज थे. जमीनी नेता और ट्रेड यूनियन के तेजतर्रार नेतृत्व. लेकिन सूबेदार सिंह के जाने के लगभग एक दशक बाद जार्ज फर्नांडीज सचमुच खो गये हैं. जार्ज फर्नांडीज इतने खो गये हैं कि मुश्किल से याद रहता है कि वे कौन हैं. उन्हें भूलनेवाला गंभीर रोग अल्जाइमर्स है जिसका इलाज चल रहा है. कुछ दिनों वे बाबा रामदेव के आश्रम में इलाज करवाया. बाबा रामदेव ने दावा किया था कि वे बिल्कुल ठीक हो जाएंगे लेकिन बात नहीं बनी. इसलिए 29 जनवरी को उनकी पत्नी लैला कबीर उन्हें वापस लेकर दिल्ली लौट आयी हैं. यहां मैक्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. लेकिन जार्ज साहब सिर्फ अपनी बीमारी को लेकर खबर में नहीं है. उनके आस पास बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जो जार्ज फर्नांडीज एक त्रासदी के रूप में तब्दील करता चला जा रहा है.
शुरुआत होती है जया जेटली द्वारा उनकी संपत्तियों पर कब्जा जमाने के िलए किये गये प्रयासों से. कहने के लिए तो सिर्फ यह कहा जा रहा है कि जार्ज फर्नांडीज के 25 करोड़ की संपत्तियों और नकदी को लेकर सारा झगड़ा है. जया जेटली किसी भी कीमत पर इस धन पर अपना दावा नहीं छोड़ना चाहती. एक बार तो जार्ज के समर्थकों और उनकी पत्नी तथा बेटे ने जार्ज को अपनी पकड़ में ले भी लिया था लेकिन जया जेटली कहां हार माननेवाली? वे जार्ज फर्नांडीज के स्वास्थ्य को ही आधार बनाकर उनके साथ थीं. इसलिए उन्होंने जार्ज साहब के स्वास्थ्य की चिंता में एक नया दांव चला. देश के 16 प्रमुख लोगों की एक कमेटी बनायी है जो जार्ज साहब के स्वास्थ्य की चिंता करेगा. इस कमेटी में ज्यादातर बड़े उद्योगपति हैं जिसमें राहुल बजाज, रवि रुईया, उदय कोटक और कमल मोरारका शामिल हैं. यह भी कैसी विडंबना है कि एक धुर समाजवादी और ट्रेड यूनियनिस्ट लीडर के स्वास्थ्य की चिंता के लिए पूंजीपतियों की कमेटी बना दी गयी. असल में इस कमेटी के बहाने एक बार फिर जया जेटली ने जार्ज के ऊपर अपना दावा ठोंका है.
अब ऐसे में सवाल यह है कि जार्ज फर्नांडीज कहां हैं? एक दशक बाद फिर उन्हीं सूबेदार सिंह की याद आ रही है जिन्होने भाजपा के समर्थन से मंत्री बन जाने पर कहा था कि मेरा जार्ज कहीं खो गया है. वे आज होते तो बिलखते. पश्चाताप और प्रायश्चित के आंसुओं में डूबे हुए यह मानने के लिए बाध्य हो जाते कि उनका जार्ज अब सचमुच खो गया है. उनकी अपनी याददाश्त बहुत बची नहीं है, ऐसे में लगभग जिंदा लाश बन चुके जार्ज के साथ जिस तरह से कुटिल राजनीति की जा रही है उससे उनका होना भी न होने जैसा ही है.
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