बुधवार, 24 फ़रवरी 2010
अब कांग्रेस करेगी रथयात्रा की राजनीति
लोकसभा चुनाव में बदली सूरत से उत्साहित कांग्रेस भी अब उत्तर प्रदेश में अपना आधार बढ़ाने के लिए रथयात्रा करेगी। उत्तर प्रदेश में पार्टी की सदस्यता में आश्चर्यजनक इजाफे के मद्देनजर इसका भी सियासी फायदा उठाने के लिए रथयात्रा की यह रणनीति तैयार की गई है। इस रथयात्रा के जरिए कांग्रेस उत्तर प्रदेश में बसपा सुप्रीमो मायावती की सत्ता को चुनौती देते हुए दिखने की कोशिश करेगी। इसमें मायावती के मुकाबले कांग्रेस राहुल गांधी का चेहरा ही दिखाएगी। इसी रणनीति के तहत कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी रथयात्रा के लिए ने दलितों के मसीहा बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को चुना है। पार्टी की यह रथयात्रा एक साथ सूबे की दस दिशाओं के लिए निकलेगी और उसकी सियासी थीम अतीत की नींव पर भविष्य का निर्माण ही रहेगी। कांग्रेस ने पिछले साल आम चुनाव के दौरान राहुल गांधी का युवा चेहरा और पार्टी की विरासत की तस्वीर पेश करने के लिए इसी जुमले का सहारा लिया था। पार्टी को इस नारे का अच्छा फीडबैक मिला था। इसीलिए उत्तर प्रदेश में फिर इस पुराने आजमाए जुमले को ही चुना गया है। कांग्रेस के दस रथों के इस काफिले में प्रदेश के नेता ही सवार होंगे और राहुल की इसमें सीधी भागीदारी की उम्मीद नहीं है मगर रथ पर मुख्य नायक के रूप में उनकी ही तस्वीर होगी। साथ ही होंगी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तस्वीरें, जिनके साथ दिखाया जाएगा संप्रग सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का आईना। 45 दिनों की इस सियासी यात्रा में प्रदेश के सभी ब्लाकों और 403 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की यह रथ पहुंचेगी। इस दौरान प्रदेश नेताओं का जोर कांग्रेस के अतीत और भविष्य के साथ-साथ मायावती सरकार की कथित नाकामियों को उजागर करने पर भी रहेगा। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा का विकल्प बनते हुए दिखना चाहती है। इसीलिए पार्टी की सदस्यता अभियान में इजाफे को देख तत्काल यह फैसला किया गया है। गौरतलब है कि कांग्रेस की राष्ट्रीय स्तर पर सदस्यता में इस बार फोटो पहचान पत्र की वजह से कमी आने के पुख्ता संकेत हैं। पिछले संगठन चुनाव से पूर्व फोटो पहचान की अनिवार्यता नहीं थी इसलिए फर्जी सदस्यता के सहारे काफी पार्टी नेता अपनी सियासत चमकाते थे। लेकिन अब इसकी गुंजायश नहीं बची है और इसीलिए देश में कांग्रेस की सदस्यता इस बार चार करोड़ से घटकर तीन करोड़ के आस-पास रहने की उम्मीद है। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश में सदस्यता अभियान में इजाफे को पार्टी उसकी ओर लोगों के बढ़ते रूझान का संकेत मान रही। पिछली बार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सदस्यता 36 लाख थी जो इस बार डेढ़ गुने से ज्यादा बढ़कर 57 लाख के करीब पहुंच गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने सदस्यता अभियान में इस इजाफे की पुष्टि भी की।
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"बढ़िया लेख.."
जवाब देंहटाएंप्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com