वर्ष 2006 में मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा रानी अवंतीबाई के नाम पर राज्य स्तरीय वीरता पुरस्कार तथा राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नाम पर समाजसेवा पुरस्कार स्थापित किया गया। यह पुरस्कार वर्ष 2006 और 2007 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर साहसी महिलाओं को दिया भी गया। लेकिन वर्ष 2008 के बाद सरकार इन महान विभूतियों के नाम पर शुरू किए गए इन पुरस्कारों को देना भूल गई। ऐसा लगता है जैसे 1300 करोड़ रूपए के वार्षिक बजट वाले महिला एवं बाल विकास विभाग को इन वर्षो में कोई वीरांगना ही नहीं मिली। यहा फिर ऐसा भी हो सकता है कि एक-एक लाख रूपए के नगद पुरस्कार के लिए विभाग के पास बजट ही नहीं बच पाया हो। हालांकि यह असंभव है क्योंकि जिस प्रकार विभाग की मंत्री और आईएएस अधिकारी महिलाओं और बच्चों के नाम पर फिजूल खर्ची कर रहे हैं उससे तो यही लगता है कि वह भूल गए हैं। वर्ना हर साल महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महज आठ घंटों के दिखावे के लिए 30 से 40 लाख रूपए फूंक डालता है। ऐसे में 2 लाख रूपए खर्च करने में इनका क्या जाता है। सूत्रों की माने तो विभाग की मंत्री रंजना बघेल थोड़ी-सी भुलक्कड़ भी हैं, तभी तो राजकाज में उनके पति महोदय हाथ बंटाते रहते हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग की इस भूल पर दो पंक्तियां याद आती हैं...
एक तपती दोपहर है नारियों की जिंदगी..
हर सदी में दांव पर है नारियों की जिंदगी
यह पंक्तियां कब लिखी गई थीं हमें नहीं मालूम लेकिन ये आज भी अपने संदर्भ पर सही उतर रहीं है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण मध्यप्रदेश में देखने को मिलता है। लेकिन विडंबना तो यह है कि यह सब उस विभाग में हो रहा है जिसकी मुखिया महिला हैं।
ज्ञातव्य है कि मध्यप्रदेश सहित देशभर में महिलाओं के कल्याण के लिए सबसे सक्रिय और बालिकाओं के मामा की उपाधि से विभूषित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2006-07 में 1857 की आजादी की लड़ाई में देश के राजाओं को एक कर अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंकने वाली रानी अवंतिबाई और भाजपा को बालपन से पोषित कर यौवन तक संरक्षित रखने वाली राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नाम पर वीरता और समाजसेवा पुरस्कार शुरू किया था लेकिन जिस विभाग (महिला एवं बाल विकास विभाग) को यह जिम्मेदारी सौंपी गई वह इसे भूल गया। या यूं कहे तो सार्थक होगा कि प्रदेश सरकार को वीरांगना ही नहीं मिली।
राज्य शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मध्यप्रदेश की ऐसी महिलाएं जिन्होंने महिला एवं बच्चों को उत्पीडऩ से बचाने और उनके पुनर्वास में योगदान का प्रमाणिक कार्य किया हो। बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसे सामाजिक कुरीति को रोकने का साहसिक कार्य किया गया हो। उनके लिए रानी अवंतिबाई राज्य स्तरीय वीरता पुरस्कार स्थापित किया गया है। इसी तरह ऐसी महिलाएं जिन्होने सामाजिक सुधार के क्षेत्र में (स्वास्थ्य शिक्षा, साक्षरता, पर्यावरण की स्थिति में सुधार, आर्थिक गतिविधियों के संचालन, अधिकारियों के प्रति जागृति, सामाजिक उत्थान) उल्लेखनीय कार्य किया है उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए राजमाता विजयाराजे सिंधिया, समाज सेवा पुरस्कार स्थापित किया गया है। दोनों पुरस्कारों के लिए राशि रु. 1 लाख नगद, पुरस्कार व प्रतीक चिन्ह से युक्त प्रशंसा पत्र दिये जाते हैं। वर्ष 2006 का रानी अवंती बाई वीरता पुरस्कार कुमारी अनिता सिंह लोधी, जिला पन्ना एवं राजमाता विजयाराजे सिंधिया समाजसेवा पुरस्कार से इंदौर की श्रीमती मनोरमा जोशी को सम्मानित किया गया। जबकि वर्ष 2007 में उज्जैन जिले की कु. प्रिया सैनी को रानी अवंतिबाई राज्य स्तरीय वीरता पुरस्कार और इंदौर जिले की निवासी डॉ. श्रीमती जनक पलटा मिगिलिगन को राजमाता विजयाराजे सिंधिया समाज सेवा पुरस्कार दिया गया। जबकि वर्ष 2008,09 और 2010 के पुरस्कारों के लिए प्रदेश की वीरांगनाएं और समाजसेवी महिलाएं इंतजार ही करती रहीं कि सरकार सूचना प्रकाशित कराएगी तो वे आवेदन करेंगी लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। इसके लिए विभाग के पास कोई बहाना भी नहीं है। अगर विभाग की इस भूल का हम आंकलन करें तो पाते हैं कि वर्ष 2008 में तो कोई कारण नहीं था लेकिन वर्ष 2009 में आचार संहिता के कारण पुरस्कार नहीं दिए गए फिर आया वर्ष 2010। इस बार भी विभाग को इन पुरस्कारों सुध नहीं आई। वह भी तब जब हम पूरे विश्व के साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का शताब्दी वर्ष मना रहे हैं और देश की राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, सत्तारूढ दल की अध्यक्ष, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष महिलाएं हैं और महिलाओं को लोकसभा में 35 प्रतिशत आरक्षण मिलने जा रहा है। इस मामले में जब महिला एवं बाल विकास विभाग के नवनियुक्त संचालक अनुपम राजन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मैने आज ही कार्यभार ग्रहण किया है। मुझे इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है। इस मामले की जानकारी विभाग से लेकर आपको बताऊंगा। जब इस संदर्भ में विभागीय मंत्री रंजना बघेल से उनके मोबाइल पर बात करनी चाही तो उन्होंने कहा कि अभी मैं विभागीय मीटिग में व्यस्त हूं आप बाद में बात करें।
इन पुरस्कारों के मामले में विभाग की जबावदेह मंत्री और अफसर द्वारा दिए गए बयान लगभग इस गंभीर विषय पर पर्दा डालने जैसे प्रतीत होते हैं वह भी तब जब इन पुरस्कारों को देने के पीछे सरकार की मंशा यह थी कि एक सामान्य महिला भी कई बार किसी की जीवन अथवा अस्मिता की रक्षा जैसे या सामाजिक कुप्रथाओं, विषमताओं, दुष्प्रवृत्तियों अथवा शोषण के विरुध्द व्यक्तिगत अथवा सामूहिक रूप से संघर्ष अथवा जनचेतना जागृत करने जैसे साहसिक कार्य को अंजाम दे सके, जिन्हें निश्चय ही वीरतापूर्ण कार्य कहा जा सकता है। अक्सर ऐसी महिलाओं के कृतत्व अनदेखे और अनसराहे रह जाते हैं। यदि ऐसी महिलाओं के उन साहसिक कार्यों को पर्याप्त सराहना और पारितोषिक मिले तो न केवल उन्हें वरन् उनकी जैसी अन्य कई महिलाओं को प्रोत्साहन मिल सकता है और वे आगे आ सकती है।
प्रदेश सरकार ने ऐसी साहसिक महिलाओं को सम्मानित एवं पुरस्कृत करने हेतु वीरता पुरस्कार स्थापित किया गया।
यह पुरस्कार प्रतिवर्ष प्रदेश की किसी एक साहसी महिला को रानी अवंतिबाई के नाम से दिया जाएगा, जिन्होंने स्वयं शौर्य और वीरतापूर्वक कार्यों के जरिए एक प्रतिमान स्थापित किया है। यह पुरस्कार राशि एक लाख रुपये और प्रशंसा पत्र के रूप में दिया जाता है।
प्रिया सैनी को रानी अवंतिबाई वीरता पुरस्कार 2007
उज्जैन जिले की मूल निवासी कुमारी प्रिया सैनी को रानी अवंतिबाई वीरता पुरस्कार वर्ष 2007 से सम्मानित किया जा रहा है।
कुमारी प्रिया ने वीरता की मिसाल पेश करते हुए उत्तरप्रदेश के मुजफ्फर नगर में दो गुंडे बदमाशों को धर-दबोचा। विगत 25 अप्रैल 2007 को शाम 7 बजे मुजफ्फरनगर में प्रिया अपनी मौसी सुदेश सैनी के साथ एक विवाह समारोह से लौट रही थी तभी दो बदमाशों ने मौसी के गले से चैन खींची और प्रिया को धक्का देकर भागने लगे। प्रिया ने बहादुरी दिखाते हुए उनमें से एक को दबोच लिया। बदमाश ने प्रिया के मुंह और शरीर पर जोरदार प्रहार किए लेकिन प्रिया ने उसे नहीं छोड़ा। तब दूसरे बदमाश ने प्रिया की पीठ पर अपनी बंदूक से गोली मार दी, लेकिन प्रिया ने बदमाश को पकड़े रखा। इससे हड़बड़ाये बदमाशों का हौसला पस्त हो गया और शोर-शराबा सुनकर इक_ा हुए लोगों ने गुंडों को पकड़ लिया। अब वे मुजफ्फरनगर जेल में बंद हैं।
प्रिया वर्तमान में उज्जैन में अध्ययनरत है ओैर शहर की युवतियों में हौसला अफजाई के लिये विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक आयोजनों में शामिल होकर महिलाओं की मानसिकता सशक्त करने के लिए अपना उदाहरण पेष करती हैं। सामान्य परिवार की इस वीर बेटी पर पूरे शहर और प्रदेश को नाज है।
बदमाशों द्वारा गोली चलाने के बावजूद प्रिया ने हिम्मत दिखाते हुए बदमाश को नहीं छोड़ा । इस घटना को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने वीरता की मिसाल के रूप में पेश किया। देश भर के सामाजिक संगठनों और लोगों ने प्रिया की इस बहादुरी को सराहा, साथ ही युवतियों-महिलाओं ने प्रेरणा भी ली।
जिला प्रशासन मुजफ्फर नगर द्वारा इस बहादुरी के लिये कुमारी प्रिया को सम्मानित किया गया है। पुलिस अधीक्षक मुजफ्फर नगर ने भी प्रिया के हौसले को सम्मानित किया। स्टार टेलीविजन नेटवर्क ने प्रिया की वीरता को अपने चेैनल के माध्यम से पूरे देश में पहुॅचाकर हौसला अफजाई के पुरस्कार से नवाजा। उज्जेैन स्थित महिलाओं के संगठन च्ज्संगिनी गुपज्ज् ने भी प्रिया का सम्मान किया। स्वस्थ संसार, उज्जेैन स्थित महिला जिम ने प्रिया सेैनी को रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार प्रदान किया और समाचार पत्र च्ज्राज एक्सप्रेसज्ज् ने 15 अगस्त, 2007 को आयोजित संभाग स्तरीय कार्यक्रम में सुश्री सैनी को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया राज्य स्तरीय पुरस्कार
अनेक महिलाएं स्व-प्रेरणा से ही घर और आस-पड़ौस से ही शुरू करके सफल समाज सुधार के विशिष्ट कार्य करती ऐसे कार्य, चाहे लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा, साक्षरता, पर्यावरण, आर्थिक गतिविधियों के संचालन, अधिकारों के प्रति जागृति, सामाजिक उत्थान के ही क्यों न हो, समाज सुधार के क्षेत्र में सभी गतिविधियाँ महत्वपूर्ण हैं। अनेक बार महिलाओं के ऐसे कार्यो को मान्यता नहीं मिल पाती है और वे कार्य अनजाने से रह जाते हैं। जिससे समाज में जो व्यापक सकारात्मक वातावरण बनना चाहिए, वह नहीं बन पाता।
प्रदेश सरकार द्वारा समाज सेवा के क्षेत्र में कार्यरत ऐसी महिलाओं के ऐसे योगदान के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए स्वर्गीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया, के नाम से महिलाओं के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार स्थापित किया गया है। यह पुरस्कार राशि रूपये एक लाख और प्रशंसा पत्र के रूप में दिया जाता है।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया समाजसेवा पुरस्कार वर्ष 2007 से सम्मानित डॉ. श्रीमती जनक पलटा मिगिलिगन
इंदौर जिले की निवासी डॉ. श्रीमती जनक पलटा मिगिलिगन को राजमाता विजयाराजे सिंधिया समाजसेवा पुरस्कार वर्ष 2007 से सम्मानित किया जा रहा है। डॉ. श्रीमती जनक पलटा मिगिलिगन, 1985 से आज तक आदिवासी एवं ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए लगातार प्रशिक्षित करते हुए उनके समग्र विकास की दिशा में संपूर्ण रूप से समर्पित महिला हैं। पिछले 23 सालों से महिलाओं को लगातार छ: माही व एक साल के आवासीय समग्र विकास का व्यवहारिक प्रशिक्षण देकर उन्हें सषक्त बनने में पूरा सहयोग दे रही हैैं। इन कार्यक्रमों में सामाजिक ओैर आर्थिक रूप से पिछडे, जैसे कि अनुसूचित जाति-जनजाति, आदिवासी अन्य पिछडे वर्ग, अपंग, अनाथ, विधवाएं, तलाकशुदा एवं उपेक्षित महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती रही है। यह सेवा ही उनके जीवन का उद्देश्य है। प्रशिक्षण देने में पूरे वैज्ञानिक शोध को आधार बनाकर नवान्वेषण को निरन्तर महत्व देती आ रही है। अपने संस्थान से जिन महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाता है पिछले कुछ सालों से इन प्रशिक्षाथिर्यों को नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ ओपन स्कूलिंग की परीक्षाएं दिलाकर इन महिलाओं की निरन्तर सहायता की जा रही है।
उन महिलाओं को ही प्रशिक्षिका भी बनाया जाता है। ग्रामीण अंचलों में पुन: जाकर उन सशक्त महिलाओं के सेवाकार्यों को प्रमाणित कर प्रोत्साहित भी करती है। इस प्रकार पुन: परीक्षण और पुनरावर्तन का मार्ग अपनाने के कारण डॉ. श्रीमती जनक पलटा मिगिलिगन का समाज सेवा कार्य अत्यंत सार्थक साबित हुआ है। अब तक इनके संस्थान से 4000 से भी अधिक ग्रामीण आदिवासी महिलाएं प्रशिक्षित होकर अपने गांव लौटी हैं।
श्रीमती जनक को ऑल इंडिया विमेन्स कान्फ्रेंस अखिल भारतीय महिला सम्मेलन द्वारा आदिवासी व ग्रामीण महिलाओं के लिए की गई सेवाओं के उपलक्ष्य 1992 में सम्मान दिया गया। वे संयुक्त राष्ट्रसंघ पर्यावरण कार्यक्रम (यू.एन.ई.पी.) न्यूयार्क द्वारा रियो डी जिनेरियो, ब्राजील में ग्लोबल 500 रोल ऑफ ऑनर (विश्व 500 क्रम का सम्मान) द्वारा झाबुआ जिले के 302 गाँवों में नारू उन्मूलन की सेवाओं के लिए जून, 92 में सम्मानित की गई।
ऑल इंडिया वाटर वर्क्स एसोसियेशन, इंदौर द्वारा अक्टूबर 1995 में आदिवासी व ग्रामीण महिलाओं को स्वच्छ जल के लिए प्रशिक्षित करने हेतु सम्मानित की गई। इनर व्हील क्लब, इंदोर से ग्रामीण एवं आदिवासी महिलाओं के लिए की गई सेवाओं के उपलक्ष्य में अक्टूबर 2000 को सम्मानित की गई!
स्टेट बैंक ऑफ इंदोर (प्रमुख कार्यालय) के समाज सेवा प्रकोष्ठ के पांचवें स्थापना दिवस 2 अक्टूबर 2000के उपलक्ष्य में आदिवासी व ग्रामीण महिलाओं की विशिष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।
इन्दोर जिले के तत्कालीन कलेक्टर श्री मनोज श्रीवास्तव द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 60 स्थानीय स्वैच्छिक संगठनों के समूह महिला सशक्तिकरण महासंगठन द्वारा प्रदेश की आदिवासी एवं ग्रामीण महिलाओं के उत्थान के लिए की गई महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए 8 मार्च 2001 को सम्मानित की गई।
भारतीय दलित साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश द्वारा उज्जैन में आयोजित च्ज्महिला सृजन के विविध आयाम-महिलाओं की वैयक्तिक स्वतंत्रता एवं भारतीय परिवेश में सामंजस्य की समस्याज्ज् पर च्राष्ट्रीय अम्बेडकर साहित्य सम्मानज् से 20-21 अक्टूबर 2001 को सम्मानित की गई। सम्प्रीति से ग्रामीण एवं आदिवासी महिलाओं के बीच की गई सेवाओं के उपलक्ष्य में 15 जनवरी 2003 को सम्मानित की गई। उन्हें शिक्षक कल्याण सदन समिति, इंदोर द्वारा 29 अप्रैल 2003 को मालव शिक्षा सम्मान अलंकरण च्समाज सेवा संवर्गज् सम्मान से सम्मानित किया गया। राजीव गांधी अक्षय उर्जा पखवाडा अपारंपरिक उर्जा स्त्रोत मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अगस्त 2005 में सम्मानित की गई।
मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, हिन्दी भवन भोपाल द्वारा आदिवासी व ग्रामीण महिलाओं के समग्र विकास के साथ साथ अपंग, अनाथ, तलाकशुदा औेर अन्य उपेक्षित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, जागरूकता, उत्कृष्ट समाज सेवा के लिए 25 सितम्बर 2005 को च्महिला समाजसेवी सम्मानज् राज्यपाल श्री बलराम जाखड़ द्वारा प्रदान किया गया।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 2006 को मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग, इन्दौर द्वारा समाज हित में किये अविस्मरणीय कार्यों के लिये मानव अधिकार मित्र के रूप् में सम्मानित हुई।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 2007 को इंदौर के विभिन्न शैक्षणिक एवं सामाजिक संगठन द्वारा आदिवासी महिला कल्याण के क्षेत्र में सतत् साधना एवं त्याग तपस्या पूर्ण सेवाओं के लिए संभागायुक्त श्री अशोक दास, इंदौर द्वारा सम्मानित की गई। गांवों में नेत्र से जुडी समस्याओं का निदान करने के लिए महामहिम राज्यपाल डॉ. बलराम जाखड़ द्वारा 24 जुलाई 2007 को डॉ. एम.सी. नाहटा राष्ट्रीय नेत्र सुरक्षा पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया।
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