- 133 अफसरों के खिलाफ बंटा पर्चा तो फुस्सी बम निकला
भोपाल में 133 आईएएस अफसरों के खिलाफ बंटे चर्चित पर्चे को लेकर बवाल मचा है और मुख्यमंत्री तक इस पर्चे से चिंतित हो गए। जब इस पर्चे की हकीकत जानी तो ये फुस्सी बम ही साबित हुआ। इन्दौर के सभी पूर्व कलेक्टरों को महाभ्रष्टï बताने वाले इस पर्चे में इन्दौर के बिल्डर के रूप में सिर्फ पंकज संघवी का ही नाम है, जिनके यहां अफसरों का करोड़ों रुपया इन्वेस्टमेंट होना बताया गया।
आयकर विभाग ने वरिष्ठï आईएएस दंपत्ति अरविंद जोशी और उनकी पत्नी श्रीमती टीनू जोशी के यहां छापा मारकर करोड़ों रुपए नगद तो जब्त किए ही, वहीं बेनामी संपत्तियां भी पाईं। उसके बाद से ही भोपाल में भ्रष्टï आईएएस अफसरों के खिलाफ मुहिम शुरू हो गई और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की नींद भी उड़ गई। उन्होंने इन अफसरों की बैठक ली और उन्हें दो टूक कहा कि कुछ तो शर्म करो। इसके पश्चात आईएएस लॉबी में हलचल मच गई और एक नौ पेज का पर्चा भी निकाला गया, जिसमें 133 भ्रष्टï आईएएस अफसरों की सूची बनाई गई, जिसमें 4 कैटेगरी में इन अफसरों को रखा गया। कैटेगरी-1 में भ्रष्टï, कैटेगरी-2 में महाभ्रष्टï, कैटेगरी-3 में अय्याश और कैटेगरी-4 में इन अफसरों का इन्वेस्टमेंट दिल्ली, मुंबई, भोपाल, ग्वालियर से लेकर इन्दौर और यहां तक कि विदेशों में भी बताया गया। इनमें से कई अफसर तो दो से तीन कैटेगरी में रखे गए। मजे की बात यह है कि इन्दौर में रहे सभी कलेक्टरों को महाभ्रष्टï और अन्य अफसरों को इसी कैटेगरी में रखा गया है। अग्निबाण ने जब इस पर्चे को हासिल किया और उसका विश्लेषण समझा तो पता लगा कि पर्चे में ठोस जानकारी नहीं दी गई है, सिर्फ अनुमान ही लगाया है कि फलां अफसर महाभ्रष्टï या अय्याश है और उसने इन्दौर से लेकर अन्य शहरों में अचल संपत्तियां खरीद रखी हैं, लेकिन इन आरोपों के कोई प्रमाण इस पर्चे में नहीं दिए गए, बल्कि जनरल होने वाली चर्चा के आधार पर ही पर्चा तैयार कर बंटवा दिया गया। इस पर्चे में इन्दौर के पूर्व कलेक्टरों, जिनमें एस.आर. मोहंती, एम. गोपाल रेड््डी, मनोज श्रीवास्तव, मोहम्मद सुलेमान, राजेश राजौरा, विवेक अग्रवाल से लेकर मौजूदा कलेक्टर राकेश श्रीवास्तव का नाम भी शामिल है। वहीं अन्य विभागों में रहे विश्वपति द्विवेदी, अशोक दास, प्रभुदयाल मीणा से लेकर हीरा राणा, आशीष उपाध्याय, प्रभात पाराशर, प्रमोद अग्रवाल, नीरज मंडलोई, संजय शुक्ला, राघवेंद्र सिंह, आकाश त्रिपाठी से लेकर वर्तमान निगमायुक्त सी.बी. सिंह के नाम भी शामिल हैं। मजे की बात यह है कि इन्दौर में रहे इन तमाम आईएएस अधिकारियों का जो पैसा बिल्डर के यहां इन्वेस्टमेंट करना बताया गया, उन सभी में एक ही नाम पंकज संघवी का शामिल किया गया है, जबकि पंकज संघवी राजनेता हैं और जमीनी कारोबार से सीधा उनका नाता कम ही है। अलबत्ता उनका परिवार अवश्य जमीन के धंधे में शामिल है। इन सभी 133 आईएएस अफसरों के पास 10 करोड़ से लेकर 500 करोड़ रुपए तक का काला धन बताया गया है, लेकिन एक भी अफसर के खिलाफ कोई पुख्ता प्रमाण नहीं दिए गए। यहां तक कि भोपाल की ही अरेरा कॉलोनी, कोलार रोड, भदभदा से लेकर अन्य कॉलोनियों और फार्महाउसों में इन अफसरों का बेनामी पैसा लगा होना बताया गया है। कुल मिलाकर यह पूरा पर्चा 'खोदा पहाड़ और निकली चूहियाÓ का ही प्रतीत होता है, क्योंकि इसमें एक भी अफसर के खिलाफ पुख्ता जानकारी नहीं है, सिर्फ कयास ही लगाए गए हैं।
राज टॉवर तोड़ा तो करोड़ों का इन्वेस्टमेंट कैसे?
पर्चे में शामिल 133 आईएएस अफसरों की सूची में कई ईमानदार और कड़क छवि वाले अफसरों को भी जबरन घसीट लिया गया है। इसका एक ही उदाहरण इन्दौर के पूर्व कलेक्टर रहे मनोज श्रीवास्तव का भी है। पर्चे में उनका नाम भी शामिल है और पंकज संघवी बिल्डर के यहां करोड़ों रुपए का इन्वेस्टमेंट बताया गया, जबकि हकीकत यह है कि मनोज श्रीवास्तव ने ही संघवी परिवार के बहुचर्चित राज टॉवर को ध्वस्त किया था और इन्दौर में ही करोड़ों-अरबों रुपए के जमीनों के घोटालों का पर्दाफाश भी किया। इसी कारण मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्रदेशभर के जमीन घोटालों की जांच की जो एक सदस्यीय कमेटी बनाई, उसका मुखिया भी मनोज श्रीवास्तव को ही बनाया गया। ऐसे दबंग और ईमानदार अफसर को भी इस पर्चे में शामिल किया गया। जिस बिल्डर के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई की, उसी के यहां करोड़ों का इन्वेस्टमेंट कैसे संभव है। पर्चे में इसी तरह कई अच्छी छवि वाले अफसरों को भी जबरन घसीटा गया है।
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