सोमवार, 15 सितंबर 2014
100 करोड़ का रोड-शो केवल दिखावा साबित हुआ
निवेशकों का पता नहीं निवेश के लिए 1000 हेक्टेयर जमीन कर ली तैयार
पहले भी 120 कंपनियों को जमीन तो दे दी पर नहीं लगा उद्योग
पुराने एमओयू को नहीं मिला आकार,सरकार चली करने नए करार
भोपाल। पिछले आठ सालों में मप्र में औद्योगिक निवेश करने के लिए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी टीम ने करीब 10 देशों और बड़े शहरों में रोड शो पर करीब 100 करोड़ रूपए फंूक दिए हैं,लेकिन प्रदेश में कोई बड़ा निवेश नहीं हो सका। देश के बाहर हुए सभी दौरे केवल छुट्टियां मनाने का उपक्रम साबित हुए। हालांकि विदेशों में सरकार ने निवेशकों को लुभाने के लिए जहां हवाई किले खूब बनाए,वहीं निवेशकों ने भी हवाई सपने दिखाकर अपना उल्लू सीधा किया है। हैरानी की बात यह है कि इसका खुलासा होने के बाद भी सरकार ने सबक नहीं लिया है और एक बार फिर इन्वेस्टर मीट की तैयारी में भी जुट गई है। पुराने एमयू को भले ही आकार नहीं मिला ,मुख्यमंत्री नए करार के लिए अफसरों के साथ इस साल पहले साउथ अफ्रीका और अब दुबई की सैर कर आए हैं। हद तो यह है कि अक्टूबर में इंदौर में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए अभी एक भी निवेशक सामने नहीं आया है,लेकिन सरकार ने निवेश के लिए इंदौर के आस-पास 1000 हेक्टेयर जमीन तैयार कर ली है। जबकि इससे पहले सरकार ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में 120 कंपनियों को जमीन दी है पर उनपर उद्योग नहीं लग सका है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बड़ी उम्मीद और दावों के साथ उद्योगमंत्री यशोधरा राजे सिंधिया,मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ प्रमुख सचिव एस के मिश्रा, उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मोह मद सुलेमान, खनिज साधन विभाग के सचिव अजातशत्रु, मप्र रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी विवेक अग्रवाल, ट्रायफेक एमडी अरूण भट्ट, मप्र औद्योगिक केंद्र विकास निगम के एमडी जेएन व्यास, पर्यटन विकास निगम के एमडी राघवेंद्र सिंह के साथ साउथ अफ्रीका के दौरे पर गए थे। उन्होंने वहां निवेशकों से बातचीत करने के साथ ही इंदौर में अक्टूबर में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट में शामिल होने के लिए आमंत्रण भी दिया। लेकिन एक भी निवेश का आश्वासन तक नहीं मिला। विदेश यात्रा से जब मुख्यमंत्री भोपाल पहुंचे तो यात्रा की असफलता उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। लेकिन इसके बावजुद सरकार अन्य देशों की यात्रा के साथ ही, मुंबई और अन्य बड़े शहरों के जाने-माने उद्योगपतियों और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए रोड-शो की तैयारी में जुट गई है। लेकिन इन यात्राओं का परिणाम क्या होगा यह सभी जानते हैं। क्योंकि पिछली इन्वेस्टर मीट के पहले भी मुख्यमंत्री ने कई विदेशी दौरे किए थे,लेकिन एक भी बड़ा निवेशक विदेशी नहीं मिल सका।
71 उद्योग लाने के प्रयास का दावा
प्रदेश में बीते पांच साल के दौरान करोड़ों रुपए खर्च कर निवेश की जो झांकी तैयार की गई थी, उसकी हकीकत अब सामने आने लगी है। वास्तविकता यह है कि प्रदेश में अब तक महज 41 उद्योग ही जमीं पर आ सके हैं। शेष का अभी तक पता नहीं है। हालांकि, सरकार का दावा है कि वर्तमान में 71 उद्योग लगने के प्रयास जारी हैं। यह हालत तब हैं, जब विदेशी बड़े निवेशकों को लुभाने के नाम पर मुख्यमंत्री,मंत्री और अफसरों ने कई देशों के अलावा देश के कई महानगरों में रोड-शो किया है। हालांकि, इस दौरान सरकार ने दावा किया था कि सरकार ने करीब एक हजार उद्योगपतियों से 4 लाख करोड़ के निवेश के करार किए हैं।
पिछले पांच साल में प्रदेश में उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए सरकारी आंकड़ों के अनुसार मुंबई में इन्वेस्टर्स मीट पर 20 लाख, बेंगलुरू में 16 लाख, इंदौर में आयोजित दो दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट पर तीन करोड़ तीस लाख, मुंबई में इंडियन मर्चेंट चैम्बर पर 7 लाख, जबलपुर में इन्वेस्टर्स मीट पर 60 लाख, सागर में आयोजित बुंदेलखंड इन्वेस्टर्स मीट पर 20 लाख, ग्वालियर में आयोजित दो दिवसीय इन्वेस्टर्स मीट पर 1 करोड़ 15 लाख, मुंबई में निवेशकों की बैठक पर 12 लाख, नई दिल्ली में हुए बैठक पर 15 लाख, 4 देशों की विदेश यात्रा पर 60 लाख 30 हजार, भोपाल में प्रवासी भारतीय सम्मेलन पर 43 लाख, तीन देशों की विदेश यात्रा पर 1 करोड़ 18 लाख रुपए खर्च किए गए। इन तीन देशों में जर्मनी, इटली व नीदरलैंड शामिल हैं। इनके अलावा बेंगलूरू में इन्वेस्ट सेशन के नाम पर 13 लाख, लुधियाना में 10 लाख, मुंबई में इन्टरेक्टिव सेशन पर 5 लाख, कोलकाता में इन्वेस्टर सेशन पर 10 लाख, खजुराहो में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट पर 5 करोड़ 64 लाख, 12 से 20 सितंबर 2011 के बीच हांगकांग, डॉलियान, शंघाई, बीजिंग आदि में रोड शो पर एक करोड़ 14 लाख, इंदौर में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के निर्यात पर कार्यशाला आयोजित करने पर ढाई लाख, मुंबई में इंडिया इकोनॉमिक समिट पर 8 लाख, 17 से 26 जून 2012 के बीच जापान, कोरिया तथा सिंगापुर की यात्रा पर 2 करोड़, 30 सितंबर से 8 अक्टूबर 2012 के बीच यूएसए, वॉशिंगटन, न्यूयॉर्क आदि की यात्रा पर लगभग एक करोड़, 10वां प्रवासी भारतीय दिवस जयपुर में आयोजित करने पर 24 लाख, एमपी इंजीनियरिंग एंड ऑटो एक्सपो भोपाल में आयोजित करने पर 85 लाख, इंदौर में एमपी टेक्सटाइल, हर्बल एंड फार्मा एक्सपो का आयोजन करने पर एक करोड़ 25 लाख, इंदौर में ही एग्री बिजनेस मीट के आयोजन पर 32 लाख, बेंगलुरू, पुणे, मुंबई तथा दिल्ली में इन्वेस्टस मीटिंग पर 42 लाख रुपए की राशि खर्च की गई। जबकि इंदौर में आयोजित आखिरी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट पर 10 करोड़ की राशि फंूकी गई। लेकिन निवेश के नाम पर केवल एमएयू ही साईन हुए।
120 कंपनियों ने जमीन तो ले ले नहीं लगाया उद्योग
एक ओर ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के ढोल इन दिनों बजने लगे हैं, जबकि मैदानी हकीकत ठीक इसके विपरित है। लाखों-करोड़ों रुपए के निवेश के एमओयू तो शासन ने कर लिए, मगर इनमें से चंद एमओयू ही धरातल पर उतर सके हैं। प्रदेश में बीते चार साल के दौरान राज्य सरकार ने उद्योगपतियों से 784 एमओयू करार किए थे। जिसके तहत प्रदेश में साढ़ेे तीन लाख करोड़ की लागत से उद्योग स्थापित किए जाने थे। इसके लिए लगभग 200 कपंनियों को हजारों हेक्टेयर जमीनें भी आवंटित की गई, लेकिन अभी तक मात्र 42 कपंनियां ही अपना उत्पादन प्रारंभ करने में सफल रही है। यह हम नहीं, बल्कि सरकार के आंकड़ेे कह रहे हैं, जिन बड़ी कंपनियों को हजारों हेक्टेयर और वर्गमीटर में जमीनें आवंटित की गई, उनकी स्थिति अभी तक केवल सरकार से जमीन प्राप्त करने तक सीमित रही है, जिससे इन कंपनियों के उद्योग स्थापित होने पर सवाल उठ खड़ेे हुए हैं।
जिन कंपनियों को जमीनें आवंटित की गई हैं, उनमें मे. जमना आटो इण्डस्ट्रीज 40 हजार 468 वर्गमीटर, मे. पुंज लायड लिमिटेड को 2 लाख 26 हजार 100 वर्गमीटर, मे. बद्री विशाल को 9 हजार 600 वर्गमीटर, मे. वेक्टस इण्डस्ट्रीज को 24 हजारी 289 वर्गमीटर, मे. ग्रेन टेक फूड इंडिया को 57 हजार 608 वर्गमीटर, मे. यीके टेक्नोकेट्र को 16 हजार 882वर्गमीटर, मे. एक्जोनोबल इंडिया को 2 लाख 26 हजार 250वर्गमीटर,मे. स्टर्लिग एग्रो इंडिया को 36 हजार 184 वर्गमीटर, मे. एचएल टेक फेब्रिक्स को 11 हजार 400 वर्गमीटर, मे. कैडबरी इंडिया लिमिटेड को 40 हजार 104 वर्गमीटर, मे.बीपी फूड्स प्रोडक्टस को 9 हजार 600 वर्गमीटर, मे.हिमालयन एल्स प्रायवेट को 25 हजार 973 वर्गमीटर, मे. विक्रम आर्या फूड को 22 हजार 400 वर्गमीटर, मे. बीआर आइल इण्डस्ट्रीज को सात हजार 957 वर्गमीटर जमीन आवंटित की गई है। इसके अलावा मे. जीआर फेब्रिक्स को 2 हजार 323 वर्गमीटर, जीआर सूल्ज को 2 हजार 223 वर्गमीटर, मे. वेरीफ्रेश डेयरी लिमिटेड को 18 हजार वर्गमीटर, मे.एशियन पैराऑक्साईड को 39 हजार वर्गमीटर, मे. गुजरात गार्डियन को 31 हजार 507 वर्गमीटर, मे. यारो फार्मास्युटिकल को 98 हजार वर्गमीटर, मे. एमपी एग्रो इण्डस्ट्रीज को 4 हजार 142 वर्गमीटर, मे. नितिन पैकेजिंग को 5 हजार 400 वर्गमीटर, मे. रेनबैक्सी लेबोरेटरी को 2 लाख 22 हजार 559 वर्गमीटर, जिसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित हैं। मे. यूनीयन एग्रो टेक इंडिया को 9 हजार वर्गमीटर, मे. क्रियेटिव हाउस वेयर को दस हजार वर्गमीटर, मे. यूनीयन रोलर लोर मिल्स को 3 हजार वर्गमीटर, मे. वॉलप्लास्ट प्रोडक्ट्स को 11 हजार 280 वर्गमीटर, मे. वीवा ड्राय मिक्स को 4 हजार 500 वर्गमीटर, मे. सिल्वर पेपर मिल्स को 29 हजार 390वर्गमीटर, मे. आरएच सोलवेक्स को 28 हजार 800 वर्गमीटर,मे. ट्रेक्टोनिक्स ईएमएस को 5 हजार वर्गमीटर, मे.यूनीवेन्चर मेटल्स को 4 हजार वर्गमीटर,मे.श्रीदत्ता एग्रो टेक को 4 हजार 500 वर्गमीटर, मे. राजकमल इंडस्ट्रीज को 13 हजार पांच सौ वर्गमीटर, मे.याशराज एसोसिएट्स को पांच हजार वर्गमीटर, मे.जेडीएस ट्रांसफार्मर इंडस्ट्रीज को 6 हजार 500 वर्गमीटर मे.एबी इमूलटेक को 1250 वर्गमीटर, मे.संदीप इण्डस्ट्रीज को 4 हजार 500 वर्गमीटर, मे.अर्पणा दाल उद्योग को 4 हजार 500 वर्गमीटर, मे.अनमोल रिफेक्ट्रीज को 2 हजार 500 वर्गमीटर, मे.पारसमणी ट्रेडिंग को 4 हजार 500 वर्गमीटर, मे.भगत इस्पात को 45 हजार वर्गमीटर, मे.आरबी एग्रो मिलिंग को 20 हजार 250 वर्गमीटर, मे.भावना पालीमर्स को 18 हजार 407 वर्गमीटर, मे.रोजर पॉवर टेक्रालाजी को 13 हजार 378 वर्गमीटर,मे. एसएनएस मिनरल्स को 2276.127 वर्गमीटर जमीन आवंटित की गई है।
अधर में लटके सभी उद्योग
राज्य सरकार ने 120 कंपनियों को हजारों हेक्टेयर जमीन आवंटित की हैं, अपनी गलती छुपाने के लिए सरकार ने हेक्टेयर के बदले उसे वर्गमीटर में दर्शाया हैं, लेकिन इन 120 कंपनियों में से अभी तक किसी में भी उद्योग प्रारंभ नहीं किया है। केवल निर्माणाधीन, उद्योग अप्रारंभ की श्रेणी में कंपनियों को डाल रखा है।
इन्हें हेक्टेयर में बांटी जमीन
मे.आईडब्ल्यू आई 3.846हेक्टेयर, मे.ओसवाल वूलन को 39.52 हेक्टेयर, मे.प्रॉक्टर एण्ड गे बल को 5.07 हेक्टेयर, मे. एसईएस लिमिटेड को 33.599 हेक्टेयर, मे.दौलतराम को 10.736 हेक्टेयर, मे.सांवरिया एग्रो इण्डस्ट्रीज को 9.716 हेक्टेयर, मे.मध्य भारत एग्रो को 23.380 हेक्टेयर, मे.ऑटोमेटिव्ह एक्सल को 16.79 हेक्टेयर, मे. अल्ट्रा सीमेंट को 121.203 हेक्टेयर, मे.एग्रो साल्वेंस को 3.058 हेक्टेयर, मे.जानडीयर इंडिया को 1.84 हेक्टेयर, मे.अ बूजा सीमेंट को 24.55 हेक्टेयर, मे.भारत गेयर्स को 4.04 हेक्टेयर, मे.सुखसागर को 4.42 हेक्टेयर, मे.इनलेण्ड प्रायवेट को 17.884 हेक्टेयर, कक्कड उद्योग प्रायवेट को 8.35 हेक्टेयर, मे.मारुति साल्वेंट को 2.23 हेक्टेयर, वीनस एलॉएस प्रायवेट को 5 हेक्टेयर तथा मे.पशुपतिनाथ ग्लोबल को 13.658 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई है।
ये उद्योग होने हैं स्थापित
प्रदेश में अतिरिक्त उद्योग स्थापित करने, नए उद्योग डालने और निवेश के नाम पर सरकार से बीते चार सालों में लीफ स्प्रिंग, रक्षा उत्पादन, वेफर्स, वाटर कंटेनर, बिस्किट, स्टोरेज टेंक, दुग्ध उत्पादन, इंडस्ट्रियल फेब्रिक्स, चॉकलेट, लोर मिलिंग बास पावर मशीन, बीयर, रिफायण्ड आइल, कपड़ा, ब्लेण्डस, हाईड्रोजन पैराऑक्साइड, ग्लास प्रोडक्ट, कोरोगेटेड बाक्स, फार्मा बल्क ड्रग्स, आटा मैदा, सूजी रवा, मिनी सीमेंट प्लांट, एल्यूनीमियम एक्स्ट्रशन प्लांट, दाल मिल, पॉटर ट्रीटमेंट ड्रिलिंग एडीटिव्स आदि उद्योग स्थापित होने हैं।
मंत्री ने भी स्वीकारा
वाणिज्य एवं उद्योगमंत्री यशोधराराजे सिंधिया ने विधानसभा में जानकारी दी है कि प्रदेश में पिछले पांच साल में 40 फीसदी उद्योगपति ही प्रोजेक्ट शुरू कर पाए। उन्होंने विधायक सुखेंद्र सिंह के प्रश्न पर लिखित जवाब में बताया कि पिछले पांच साल में इंवेस्टर्स समिट में 120 एमओयू हस्ताक्षरित हुए हैं। इसमें से 42 उद्योगपतियों ने उत्पादन शुरू कर दिया है।
उधर, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष मानक अग्रवाल का कहना है कि भाजपा सरकार ने पिछले पांच वर्षों में इन्वेस्टर मीट के नाम पर राज्य के खजाने से अरबों की धनराशि खर्च कर केवल 784 एमओयू पर हस्ताक्षर कराए हैं। उनमें से राज्य सरकार ने 120 कंपनियों को उद्योगों की स्थापना के लिए हजारों हैक्टेयर जमीन दी है।
इन 120 कंपनियों में से मात्र 42 ने उद्योग लगाकर उत्पादन शुरू किया है। शेष में से 44 अभी उद्योग के लिए भवन निर्माण में ही लगी हुई हैं। निश्चित नहीं है कि उनके भवन कब पूर्ण होंगे और उनमें उत्पादन प्रारंभ करने की स्थिति कब आयेगी। उन्होंने बताया कि 120 में से 34 कंपनियां तो ऐसी हैं, जिनको सरकार उनकी मांग के अनुसार जमीन तो दे चुकी है, किंतु उद्योग लगाने को लेकर ये कंपनियां क्या कुछ कर रही हैं, राज्य सरकार को भी उसकी खबर नहीं है।
25,000 करोड़ के एग्रो बिजनेस करार भी बोगस
सरकार के हवा हवाई
सरकार की इंवेस्टर्स मीट्स का हश्र यह हुआ है कि एग्रो बिजनेस के 25,000 करोड़ के एमओयू भी बोगस निकले। एक तो आर्थिक मंदी, उस पर शासन के तमाम विभागों के जटिल कायदे-कानून और सरकारी अनुमतियों को मिलने में होने वाले विल ब के चलते कई अच्छे निवेशक भाग खड़े हुए। 60 से अधिक एमओयू 25,000 करोड़ रुपए से अधिक निवेश के किए गए थे, लेकिन यह तमाम करार जमीनी धरातल पर उतर ही नहीं सके लिहाजा अब इन कागजी करारों को निरस्त किया जा रहा है। यह तमाम करार मध्यप्रदेश स्टेट एग्रो इंडस्ट्री डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने निवेशकों के साथ किए थे, मगर ना तो क पनियों को जमीनें मिल सकीं और ना ही मेगा फूड पार्क से लेकर अन्य योजनाएं अमल में लाई जा सकी। शासन ने इन निवेशकों को यह वाब भी दिखाए कि लैंड बैंक में पर्याप्त जमीनें हैं, मगर जब निवेशकों ने जमीनें मांगी तो उपलब्ध ही नहीं हो सकी। यहां तक कि कुछ एग्रो बिजनेस से संबंधित क पनियां ऐसी थीं जो वाकई निवेश के लिए गंभीर थी और उन्होंने कई मर्तबा प्रयास भी किए, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब शासन की ओर से नहीं मिल सका।
उल्लेखनीय है कि शासन इंदौर में ही तमाम तरह के हब बनाने के दावे करता रहा है, जिनमें टूरिस्ट हब, मेडिकल हब, ट्रांसपोर्ट हब, आईटी हब से लेकर रेडिमेड, नमकीन, क्लस्टर और डायमंड पार्क के वाब भी दिखाए गए, मगर एक भी हब मूूर्त रूप नहीं ले सका है। हर इन्वेस्टर मीट में बड़ी सं या में देश-विदेश के निवेशक आमंत्रित किए जाते हैं और लाखों-करोड़ों के एमओयू शासन के सभी विभाग मिलकर करते हैं, लेकिन ज्यादातर करार कागजी ही निकलते आए हैं।
कागजी एमओयू होंगे निरस्त
प्रदेश में वे रियल स्टेट कारोबारी भी माथा पकड़कर बैठे हैं, जिन्होंने 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक के एमओयू किए थे। इन कारोबारियों का कहना है कि रियल स्टेट की हालत वैसे ही पतली है। रही-सही कसर आवास एवं पर्यावरण मंत्रालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के जटिल नियमों ने पूरी कर दी है। भोपाल और इंदौर के मास्टर प्लान से लेकर मूल विकास नियम, भारी-भरकम कलेक्टर गाइड लाईन और आयकर के प्रावधानों ने रियल स्टेट कारोबार को चौपट कर दिया है, जिसके चलते 100 से अधिक बड़े-बड़े प्रोजेक्टों के करार किए गए थे, वे सब कागजी ही निकले हैं, क्योंकि शासन रियल स्टेट कारोबारियों को किसी तरह की कोई राहत नहीं दे सकी।
अब एक बार फिर अक्टूबर में होने वाली इन्वेस्टर मीट का ढोल बजाने में शासन-प्रशासन जुट गया है, जबकि आर्थिक मंदी के अलावा शासन की ढुल-मुल नीतियों के कारण निवेशक निराश ही हैं। यह बात अलग है कि केंद्र्र में मोदी की सरकार बनने के कारण उद्योगों को कुछ आस भी बंधी है।
9 नए औद्योगिक क्लस्टरों का विकास
प्रदेश में अभी तक हुई इंवेस्टर मीट के फ्लाप होने और हांगकांग,शंघाई, बीजिंग,जापान, कोरिया,सिंगापुर,वॉशिंगटन, न्यूयॉर्क,जर्मनी,ब्रिटेन, शिकागो, नीदरलैंड, इटली एवं ऑस्ट्रेलिया में किए गए रोड-शो के परिणाम सिफर होने के बावजुद सरकार अक्टूबर में इंदौर में होन वाली इंवेस्टर मीट से इतनी आशाविंत है कि उसने निवेश के लिए जमीन तैयार कर ली है।
सरकार का तर्क है कि प्रदेश में यदि औद्योगिक निवेश बढ़ाना है तो औद्योगिक जमीन की व्यवस्था सबसे पहले करनी होगी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की औद्योगिक नगरी इंदौर के आसपास 9 नए औद्योगिक क्लस्टरों का विकास किया जा रहा है। औद्योगिक केन्द्र विकास निगम अधिकारियों के अनुसार अक्टूबर में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में आने वाले संभावित निवेश को देखते हुए इंदौर के आसपास इन नए औद्योगिक क्लस्टर को इस तरह विकसित किया जा रहा है ताकि निवेशकों को तैयार जमीन दिखा सकें।
नए 9 क्लस्टरों के तैयार होने के बाद निवेशकों के लिए 1000 एकड़ जमीन उपलध होगी। एकेवीएन द्वारा खंडवा जिले में रूधीभावसिंगपुरा, बेटमा के पास अपेरल पार्क, हर्बल व फार्मा पार्क का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इसके साथ ही सांवेर रोड पर नमकीन क्लस्टर और धार जिले के उधौनी में मल्टी प्रोडक्ट क्लस्टर का काम भी जोरों पर चल रहा है। एकेवीएन के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि नए तैयार होने वाले औद्योगिक क्षेत्रों को शामिल कर लिया जाए तो निवेशकों को निवेश के लिए इंदौर रीजन में लगभग 1000 एकड़ जमीन उपलध होगी। यह संपूर्ण जमीन अक्टूबर में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले आवंटन हेतु तैयार करा ली जाएगी।
एकेवीएन के अधिकारियों का कहना है कि 149 हेक्टेयर में बन रहे रूधीभावसिंगपुरा निवेश के लिए लगभग तैयार है। इसके साथ ही उधौनी क्लस्टर (144 एकड़) के लिए वर्कऑर्डर पहले ही जारी किया जा चुका है। यहां आधारभूत सुविधाओं, जिनमें सड़क, बिजली, पानी आदि शामिल हैं, का इंतजाम किया जा रहा है।
साथ ही एक खास बात यह है कि उधौनी क्लस्टर को ग्रीन औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां पर उन कंपनियों को जमीन आवंटन में प्राथमिकता दी जाएगी जो कम से कम प्रदूषण फैलाते हैं अर्थात जिनसे पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचता है।
नमकीन क्लस्टर, फार्मा क्लस्टर व अपेरल क्लस्टर में भी तेजी से काम चल रहा है। एकेवीएन का कहना है कि साथ ही वर्तमान औद्योगिक क्षेत्रों में भी इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने का कार्य किया जा रहा है। इसके तहत पोलोग्राउंड औद्योगिक क्षेत्र व सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में सड़कों का निर्माण कार्य हो चुका है।
गैर परंपरागत ऊर्जा में जोरदार निवेश
अक्टूबर माह में इंदौर में आयोजि होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को ध्यान में रखते हुए गैर परंपरागत ऊर्जा क्षेत्र में निवेशकों को आकर्षित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अधिकारियों द्वारा काफी समय से निवेश करने वाली कंपनियों से चर्चा की जा रही है। इसका सकारात्मक परिणाम भी हुआ और बड़ी संया में कंपनियों ने प्रदेश में निवेश की सहमति उद्योग विभाग को दी है। विभागीय सूत्रों के अनुसार निवेश समेलन के लिए करीब 27866 करोड़ रुपए के निवेश करार के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग को सहमति मिल चुकी है। निवेशकों की ओर से करीब 4300 मेगावाट की उत्पादन क्षमता लगाने के लिए 164 कंपनियों की ओर से विभाग को सहमति मिल चुकी है। गैर परंपरागत ऊर्जा सेक्टर में निवेश करने वाली जिन कंपनियों ने निवेश की सहमति दी है उनमें से सबसे अधिक निवेश पवन ऊर्जा में आने की संभावना है। विभाग के पास जो सहमति आई हैं, उनमें 55 कंपनियां करीब 3200 मेगावाट उत्पादन के लिए 19236 करोड़ रुपए का निवेश करेंगी। इसके बाद सौर ऊर्जा क्षेत्र के लिए प्रस्ताव आए हैं। इसमें 70 कंपनियों ने 1000 मेगावाट उत्पादन के लिए अपनी सहमति दी है। विभाग के पास जो सहमति आई है, वह शुरुआती है, इसमें आगे और भी कंपनियों के जुडऩे की संभावना है।
यहां बनेंगे नए निवेश क्षेत्र
एकेवीएन द्वारा 5 औद्योगिक क्लस्टर पर तो कार्य किया ही जा रहा है, साथ ही उद्योग विभाग द्वारा 5 नए स्थानों का चयन किया गया है जिन्हें औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा। जिन स्थानों पर नए औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की जा सकती है उसमें धार जिले का सरदारपुर, झाबुआ जिले का बामनिया, बुरहानपुर के पास रेहता-खरकोट, बड़वानी में मल्टी प्रोडक्ट इंडस्ट्रीयल क्षेत्र शामिल हैं। इनमें से बुरहानपुर में विकसित होने वाले क्षेत्र को पावरलुम व हैंडलुम क्लस्टर के रूप में स्थिपित किए जाने की योजना है। इन सभी औद्योगिक क्षेत्र के लिए सर्वे का कार्य किया जा चुका है और जल्द ही इन्हें विकसित करने के लिए टेंडर जारी कर दिए जाएगें।
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