गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

फिर विवादों के पायलट बाबा




पाकिस्तान के खिलाफ १९६५ और १९७१ के युद्ध के दौरान हवा में अपना रणकौशल दिखाने वाले पायलट कपिल अद्धैत अब अध्यात्म के महागुरु पायलट बाबा के नाम से मशहूर हैं। उन पर आरोप है कि वे धर्म के रथ पर सवार होकर उत्तराखण्ड में जमीन-संपत्ति कब्जाने का कला-कौशल दिखा रहे हैं। ऊची रसूख और सत्ताधारी दलों में पहुंच के कारण प्रशासन उन पर हाथ डालते हुए कांपता है। जिससे इन्हें बल मिल रहा है और वे अपनी मनमानी कर रहे हैं।
उत्तराखण्ड की राजनीति में साधु संतों का खासा हस्तक्षेप रहता है। यहां तक की कि कई संत तो स्वयं राजनेता भी हैं तो कई अन्यों के शिष्य बड़े राजनीतिक पदों पर बैठे हैं। यही कारण है कि इनमें से कई संतों की गतिविधियां संदिग्ध होने के बावजूद उन पर कार्रवाई करने का साहस प्रशासन नहीं कर पाता है। विंग कमांडर कपिल अद्वैत उर्फ पायलट बाबा ऐसे ही एक संत हैं जिन पर नाना प्रकार के गंभीर आरोप होने के बावजूद आज तक ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। २००७ में काले धन को सफेद करने की गारंटी लेने वाले पायलट बाबा की भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से नजदीकी का ही परिणाम है कि उत्तरकाशी में सरकारी जमीन कब्जाने के बावजूद बाबा पर हाथ डालने से स्थानीय प्रशासन हिचक रहा है।
बाबा के नैनीताल, हरिद्वार, उत्तरकाशी के आश्रम अपनी जमीन पर कम, सरकारी जमीन पर ज्यादा बने हुए हैं। पर्यावरण के लिहाज से अति संवेदनशील गंगोत्री में बाबा ने गंगा तट का अतिक्रमण कर अपना आश्रम बना रखा है तो उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से महज २५ किमी दूर कुमाल्टा गांव में कई नाली सरकारी भूमि पर कब्जा किया हुआ है। कुमाल्टा गांव से अंतरराष्ट्रीय सीमा कुछ ही दूरी पर है। अति संवेदनशील क्षेत्र होने के बावजूद बाबा ने यहां के आश्रम में निजी हैलीपैड भी बना डाला है। इस हैलीपैड पर प्राय: हेलिकॉप्टर उतरते देखे जाते हैं लेकिन स्थानीय अधिकारी ऐसी किसी भी जानकारी से इंकार करते हैं।
कुमाल्टा गांव ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। इस राष्ट्रीय राजमार्ग से ५० मीटर नीचे गंगा बहती है। पायलट बाबा राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर गंगा तट तक अपने आश्रम को फैला चुके हैं। हालांकि यहां उन्होंने कुछ नाली जमीन खरीदी थी। वर्ष २००६ से उस पर आश्रम बनाने का कार्य शुरू किया गया। आज पांच साल के भीतर पायलट बाबा का यह आश्रम अपनी निजी भूमि के अलावा १६ नाली सरकारी जमीन पर फैल चुका है। आश्रम का विस्तार आज भी बदस्तूर जारी है। धीरे-धीरे यह आश्रम और कितनी सरकारी जमीन पर फैलेगा इसका अंदाजा किसी को नहीं है। गौरतलब है कि गंगातट से दो सौ मीटर दूरी तक किसी भी प्रकार के निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट की रोक है। परंतु यह रोक पायलट बाबा के लिए नहीं है। वर्ष २००६ से शुरू हुए पायलट बाबा के कुमाल्टा गांव स्थित आश्रम का निर्माण रोका जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। गंगा की कलकल धारा इस आश्रम के कंस्ट्रक्शन को छूकर आगे निकलती है। यही स्थिति गंगोत्री स्थित आश्रम की भी है। यहां भी बाबा ने गंगा तट पर अवैध कब्जा किया है और प्रशासन इस अवैध कब्जे को हटाने में असमर्थ नजर आ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष २००९ में एक मामले की सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार को निर्देश दिए थे कि सरकारी जमीन पर बने धार्मिक स्थलों की लिस्ट बनाए। शुरू में उत्तरकाशी में सरकारी जमीन पर बने ९ धार्मिक स्थलों को चिह्नित किया गया। इसकी सूची बनाई गई लेकिन इस सूची में पायलट बाबा के आश्रम का नाम नहीं दिया गया। पायलट बाबा के आश्रम को छोडऩे का राजस्व विभाग ने तब यह कारण बताया था कि पायलट बाबा का यह आश्रम १० साल से भी पुराना है। उसी राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में यह भी दर्ज है कि कुमाल्टा गांव में पायलट बाबा ने वर्ष २००५ में आश्रम के लिए जमीन खरीदी और वहां निर्माण कार्य वर्ष २००६ से शुरू किया गया। आखिर राजस्व विभाग ने इतना बड़ा झूठ किसके इशारे पर बोला? राजस्व विभाग किसी के दबाव में तो नहीं था। ये जांच का विषय है और जनहित में इसकी जांच होना जरूरी भी है। फिर भी आज तक इसकी जांच नहीं हुई है। कुमाल्टा गांव की जिस जमीन पर कब्जा है, उस पर कभी आस- पास के गांवों के किसानों के लिए सिंचाई नहर बनी हुई थी, जिसे ढ़क कर बाबा का आश्रम बना दिया गया है। किसान उस नहर से अपने खेतों की सिंचाई करते थे और बारह महीने उनके खेतों में फसल लहलहाती रहती थी। वहीं आज उन किसानों के खेत पानी की कमी से बंजर होने लगे हैं और सिर्फ बरसात में ही खेती हो पाती है।
सैंण के किसान धरम सिंह भण्डारी कहते हैं, अब किसी बाबा पर हम विश्वास नहीं करते। पायलट बाबा के आश्रम ने हमारी जीवन रेखा (सिंचाई नहर) को ही पाट दिया है। कुमाल्टा, सैंण और आस-पास के गांवों में रहने वाले, जो किसान पहले खुशहाल थे वे अब भुखमरी की कगार पर हैं। हम लोगों ने कई बार इसका विरोध भी किया पर प्रशासन मौन रही। हम इन्हें यहां से हटाना चाहते हैं। ताकि हम किसानों की जिंदगी बचा सकें।ज् बाबा ने नहर को ढ़क कर किसानों के खेतों की सिंचाई तो रोक ही दी है, अपने आश्रम की जलपूर्ति के लिए गैर कानूनी ढंग से पाइप लाइन गंगा नदी से जोड़ रखी है।
बाबा के आश्रम में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे, विदेशी बालाओं की आवाजाही,संवेदनशील क्षेत्र होने के बावजूद हैलीपैड का निर्माण, गंगा के प्रवाह से छेड़-छाड़ जैसे मामलों को दो साल पूर्व स्थानीय नागरिक विनोद नौटियाल ने उजागर किया था। विनोद नौटियाल उत्तराखण्ड स्वाभिमान मंच के अध्यक्ष हैं। नौटियाल ने बाबा द्वारा किए जा रहे अतिक्रमण आदि की बाबत जिलाधिकारी को अवगत कराया था। उन्होंने अपने लिखित पत्र में बाबा की गैर कानूनी गतिविधियों की जांच की मांग की। बकौल नौटियाल पायलट बाबा ने कुमाल्टा गांव में आश्रम निर्माण के बहाने सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। यह कब्जा राष्ट्रीय राजमार्ग क्षेत्र से लेकर गंगा के प्रवाह तक है। वहीं कुमाल्टा गांव सहित आस-पास के गांवों के खेतों को सिंचित करने वाली नहर को पाटकर वहां देवी- देवताओं की बड़ी-बड़ी मूर्तियां भी खड़ी कर दी हैं।
अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इस संवेदनशील क्षेत्र में बिना सरकारी अनुमति के हैलीपैड का निर्माण किया गया है। गंगा नदी से आश्रम तक गैर कानूनी ढंग से पाइप लाइन डाल कर वे गंगा वाटर का उपयोग कर रहे हैं, जिसकी अनुमति किसी विभाग से नहीं ली गई है। ऐसे भी कोई भी व्यक्ति गंगा नदी से पानी नहीं निकाल सकता इसलिए इन सभी बातों की जांच होनी चाहिए। उत्तरकाशी के तत्कालीन जिलाधिकारी ने नायब तहसीलदार भटवाड़ी को जांच की जिम्मेदारी दी। नायब तहसीलदार भटवाड़ी ने इन सभी आरोपों की जांच की और अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दिया। लेकिन जांच से आगे की कोई कार्यवाही इस पर नहीं हुई। बाबा के ये सभी गैरकानूनी कार्य वर्ष २००९ से प्रशासन के संज्ञान में आने के बाद भी जारी हैं।
बाबा के विभिन्न आश्रमों (गंगोत्री, कुमाल्टा, अल्मोड़ा, नैनीताल, हरिद्वार आदि) में विदेशी पर्यटक आते रहते हैं। ऐसे भी पायलट बाबा विदेशी शिष्यों के अध्यात्मिक गुरु के रूप में चर्चित हैं। इनके अनुयायियों में ज्यादातर विदेशी हैं इसलिए विदेशी नागरिकों का इनके आश्रम में जमावड़ा लगा रहता है। हालांकि इसमें कुछ गलत नहीं है लेकिन
फॉरनर्स रजिस्ट्रेशन एक्ट के मुताबिक विदेशी नागरिक की जानकारी फार्म सी के जरिए २४ द्घंटे के भीतर स्थानीय पुलिस को देना अनिवार्य है। पर पायलट बाबा के सहयोगियों ने इसकी जानकारी देना और कानून का पालन करना कभी जरूरी नहीं समझा। उत्तरकाशी के सीमांत जनपद होने के कारण यहां प्रशासन को विदेशियों के मामले में चौकस रहने का फरमान जारी है। फिर भी पायलट बाबा के आश्रम में आने जाने वाले विदेशियों का लेखा-जोखा प्रशासन के पास नहीं है। क्षेत्र के वरिष्ठ आंदोलनकारी एवं बुद्धिजीवी चंदन सिंह राणा कहते हैं कि यह देश की रक्षा पर सवाल है। हमारा देश आतंकी निशाने पर है। इस प्रकार की गलतियों का फायदा आतंकी संगठन उठा सकते हैं। हालांकि यह क्षेत्र शांत है लेकिन चारधाम की यात्रा के समय इन क्षेत्रों में देश-विदेश के तीर्थयात्री और पर्यटक आते रहते हैं इसीलिए सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
विगत १५ अगस्त को उत्तरकाशी के कुछ स्थानीय पत्रकार पायलट बाबा के कुमाल्टा गांव आश्रम गऐ थे। उनका मूल उद्देश्य आश्रम की गतिविधियों को परखना और बाद में उसे प्रकाशित-प्रसारित करना था लेकिन कुछ ही समय में आश्रम में मौजूद बाबा के शिष्यों से किसी बात पर उनकी बहस हो गई। बात आगे बढ़ी और आश्रम के बाबाओं ने उन पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया। उन्हें धक्के मारकर आश्रम से बाहर निकाल दिया। पत्रकारों ने इसका जमकर विरोध किया और वे अब तक धरने पर बैठे हुए हैं। विगत १३ सितंबर को एसडीएम भटवाड़ी चंद्र सिंह धर्मशक्तू की निचली अदालत ने आश्रम प्रबंधन को आदेश दिया कि वह एक महीने के भीतर सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटा ले। इसी बीच पत्रकारों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन और आश्रम प्रबंधन के बीच २६ अगस्त को एक मीटिंग भी हुई, जिसमें कुमाल्टा आश्रम के प्रबंधक ने प्रशासन को लिखित आश्वासन दिया कि वह एक महीने के भीतर अवैध कंस्ट्रक्शन रोक देंगे और यदि आश्रम ने एक महीने में अवैध कंस्ट्रक्शन नहीं रोका तो प्रशासन उक्त कंस्ट्रक्शन को हटाने के लिए स्वतंत्र है। इस लिखित आश्वासन के बाद आश्रम में कंस्ट्रक्शन रोकने की प्रक्रिया शुरु हो गई थी लेकिन एक-दो दिन बाद ही उसे रोक दिया गया। आश्रम प्रशासन अवैध कब्जा हटाने के बजाय अब अदालत से स्टे-ऑर्डर लेने की जुगत में लगा है। ३ अक्टूबर को उत्तरकाशी की जिला अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने आश्रम को स्टे-ऑर्डर देने से मना कर दिया है। बताया जाता है कि प्रशासन किसी प्रकार की कार्रवाई करने से हिचक रहा है। यहां के स्थानीय लोग लगभग दो महीने से भी अधिक समय से धरने पर बैठे हैं। रोजाना उनकी स्थानीय अधिकारियों से इस मामले में बात भी होती है लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं हो पा रहा है।
उत्तरकाशी के वरिष्ठ पत्रकार सूरत सिंह रावत कहते हैं गंगोत्री से लेकर उत्तरकाशी तक कई बाबाओं ने अपने आश्रम जमीनों पर अवैध कब्जा कर बनाए हैं और पायलट बाबा इन सबमें आगे हैं। इन्होंने सरकारी जमीन पर कब्जा किया सो किया गरीब किसानों के खेतों को सिंचित करने वाली नहर पर भी कब्जा कर लिया है। बेशक यहां आने वाले श्रद्धालुओं को इसमें देवता का निवास दिखे लेकिन इस कार्यप्रणाली ने स्थानीय किसानों के मुंह से निवाला छीन लिया है।
इस बीच एक और द्घटना पायलट बाबा के आश्रम की गैर कानूनी गतिविधियों को सही साबित करती है। जिसके गवाह दो अप्रवासी भारतीय बने हैं। विगत ७ सितंबर को अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिक शरन दीप और न्यूजीलैंड में रहने वाले मनिंदर जीत सिंह गंगोत्री से वापस उत्तरकाशी आ रहे थे। शरनदीप पायलट हैं।
इन्होंने जब कुमाल्टा गांव के पास आश्रम के मुख्यद्वार पर महायोगी पायलट बाबा आश्रम बोर्ड देखा तो वे अपने मित्र मनिंदर जीत सिंह के साथ आश्रम में चले गए। फिर थोड़ी देर तक आश्रम में द्घूमने-फिरने के बाद रात उन्होंने वहीं रुकने का
प्रोग्राम बनाया। इसके लिए उन्होंने आश्रम प्रबंधन से बात भी कर ली। प्रबंधन उन्हें आश्रम में कमरा उपलब्ध कराने के लिए तैयार भी हो गया था लेकिन उसी दौरान उन दोनों की नजर आश्रम में मौजूद विदेशी लड़कियों पर पड़ी। वे उन लड़कियों से बात करने लगे परंतु आश्रम के बाबाओं ने उन्हें लड़कियों से बात करने से रोक दिया। फिर भी वे दोनों नहीं माने तो आश्रम के लोग बदसलूकी पर उतर आए और उन्हें आश्रम से निकाल दिया गया। वे दोनों उत्तरकाशी पहुंचे और आरोप लगाया कि आश्रम में मौजूद लड़कियांनाबालिग थीं, जिनकी गतिविधियां उन्हें संदिग्ध लगीं। हम दोनों ने उनसे बात करनी चाही तो हमें रोक दिया गया। उनके मुताबिक अधिकांश लड़कियां बाबा की सेवा में लगी रहती थीं। हमें यह भी आभास हुआ कि बाबा के कमरे में कोई पुरुष नहीं जाता था। हम दोनों को लड़कियों से बात करने से रोकना उनकी संदिग्ध गतिविधियों की ओर इशारा करता है। इन अप्रवासी भारतीयों की लिखित शिकायत पर ३ सितंबर को पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी डॉ ़ सदानंद दाते ने पुलिस बल के साथ आश्रम पर छापा मारा। जहां नौ विदेशी लड़कियां मिलीं। इनमें ४ रूस और ४ उक्रेन की रहने वाली थीं। डॉ ़ दाते के मुताबिक सभी तीन महीने से आश्रम में रह रही थीं। उन सभी के पास पासपोर्ट और वीजा थे लेकिन जब उनसे पूछा गया कि आश्रम ने या उन लड़कियों ने स्थानीय पुलिस को विदेशी लड़कियों की आश्रम में आने की जानकारी क्यों नहीं दी तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। पुलिस ने आश्रम के तत्कालीन प्रबंधक अंबरीश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है लेकिन उनकी गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो पाई है। शासन -प्रशासन के पास पायलट बाबा के आश्रम के खिलाफ इस तरह के कई मामले दर्ज हैं, जिसमें कुछ को सही भी पाया गया है। लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि क्या कभी बाबा पर कार्रवाई हो पायेगी और यदि होती भी है तो इसमें भी आश्रम के निचले अधिकारी ही प्रशासन के शिकंजे में फसेंगे और बाबा आजाद पक्षी की तरह उड़ान भरते रहेंगे।

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