गुरुवार, 14 मार्च 2013

जनता को ढ़ूंढऩे निकलेंगे मंत्री

भोपाल। प्रदेश में भाजपा की सत्ता की हैट्रिक को लेकर टीम शिवराज और टीम तोमर भले ही आश्वस्त हो लेकिन आलाकमान किसी भी गफलत में नहीं रहना चाहता है। इसलिए उसने प्रदेश संगठन को निर्देश दिया है कि विधानसभा के बजट सत्र के बाद मंत्रियों को उनके विधानसभा क्षेत्र और प्रभार वाले जिलों में सघन जनसंपर्क करने की कार्ययोजना तैयार करे। संगठन से निर्देश मिलते ही मंत्री मंत्रालय छोड़ जनता को ढूंढऩे(कौन सरकार से खुश है और कौन नाखुश)निकल पड़ेंगे। महाजनसंपर्क अभियान की रिपोर्ट के बाद बनेगी कार्ययोजना 20 फरवरी को महाजनसंपर्क अभियान की समाप्ति के बाद संगठन अपने रणनीतिकारों के साथ बैठ कर कार्ययोजना तैयार करेगा। कार्ययोजना में क्षेत्र की समस्या और उसके समाधान,जनता की भाजपा से नाराजगी की वजह, कांग्रेस की क्षेत्र में स्थिति और कांग्रेस के प्रभाव को कम करने के उपायों का भी समावेश रहेगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार ने भी मंत्रियों और विधायकों को फील्ड में रहने की हिदायत दी थी। शिव,तोमर और मेनन पर दारोमदार आगामी विधानसभा चुनाव में संघ और संगठन के विभिन्न सर्वे में कई मंत्रियों और विधायकों की स्थिति पतली बताई गई है। इससे भाजपा में चिन्ता की लकीरें हैं। पार्टी के माथे पर बल लगातार गहरा हो रहा है। मुख्यमंत्री भले ही कितने भी लोकप्रिय क्यों न हो किन्तु सत्ता विरोधी रुझान कम नहीं हो रहा। इसके अलावा विधायकों के प्रति नाराजगी भी बढ़ती जा रही है। पार्टी के आंतरिक सर्वे ने प्रदेश नेतृत्व को सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस सर्वे में परम्परागत सीटें छोड़ कर बाकी जगह प्लस-मायनस का गुणा भाग सामने आया है। इन सीटों पर भाजपा को मजबुत करने का दारोमदार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और संगठन मंत्री अरविंद मेनन पर है। ब्रांड शिवराज को भुनाने के लिये विशेष कार्य योजना मुख्यमंत्री के कुछ विश्वस्त अफसरों व पार्टी नेताओं ने बनाई है। परदे के पीछे कार्य करने वाले दो भाजपा पदाधिकारियों की देखरेख में जो रणनीति बनाई गई है उसके अनुसार मुख्यमंत्री निकट भविष्य में पूरे प्रदेश का दौरा करेंगे। इस दौरान सभी 230 विधानसभा क्षेत्र का जायजा लिया जायेगा। शहर से ज्यादा प्राथमिकता ग्रामीण इलाके को दी जायेगी। मुख्यमंत्री की इस यात्रा के दौरान तोमर और मेनन भी रहेंगे। मिशन 2013 के लिए टारगेट फिक्स प्रदेश में मिशन 2013 के लिए आलाकमान ने टारगेट फिक्स कर दिया है। उसने प्रदेश के नेताओं को एक लाइन की यह हिदायत दी है कि हर हाल में इस बार प्रदेश में सत्ता बरकरार रखना है। यही वजह है कि महाजनसंपर्क अभिायान के बाद उसने मंत्रियों को मैदानी मोर्चा संभालने का निर्देश दिया है। प्रदेश में उसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर ही भरोसा है। कई मंत्रियों की विवादस्पाद कार्यशैली से वह बेहद खफा हैं। इसीलिए उसने मंत्रियों से कह दिया है कि वे अब मंत्रालयों में बैठकर अपना वक्त जाया नहीं करें बल्कि निर्वाचन क्षेत्रों में पहुंचकर जनता के दुखदर्द की फेहरिस्त बनाएं। भाजपा के मंत्रियों ने इसे टारगेट 2013 नाम दिया है। मंत्रियों को हिदायत दी गई है कि वे सरकार की उपलब्धियों से जनता को अवगत कराएं। कुछ मंत्री इस काम को आसानी से अंजाम देने में सक्षम हैं, लेकिन दिक्कत आएगी उन मंत्रियों को जो मंत्री पद मिलने के बाद से ही जनता से कट गए हैं। चुनाव के सिलसिले में अब तक हुई दर्जन से ज्यादा बैठकों में विधायकों और सांसदों ने बिजली, पानी, सड़क और भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाकर अपनी-अपनी परेशानी बताई। विवादस्पद मंत्रियों और विधायकों के टिकट काटने तक की चर्चा हुई। पार्टी ने इस पर कड़े फैसले इस अंदेशे से नहीं लिए की कहीं पार्टी में बगावत न हो जाए। आखिरकार बीच का रास्ता निकाल गया जिसके तहत यह तय किया गया कि मंत्री अब मंत्रालयों में न बैठकर निर्वाचन क्षेत्रों में जाएं, जनता के सवालों का जवाब दें, उनकी समस्याओं का समाधान करें और यह देखें की चुनाव के दौरान आने वाली चुनौतियों का सामना किस तरह किया जा सकता है। यही वजह है कि मंत्रियों ने विधानसभा सम्मेलनों में रूचि दिखाई। यद्यपि इस दौरान वे जनता पर खास असर नहीं छोड़ पाए। क्योंकि क्षेत्रीय जनता ने उनके बारे में यही टिप्पणी की कि चुनाव नजदीक आते ही अब मंत्रियों और विधायकों को वोट की चिंता सताने लगी है। यह समस्या सिर्फ भाजपा के साथ ही नहीं है, कई कांग्रेसी विधायकों से भी जनता की यही शिकायतें हैं। चूंकि भाजपा सत्ता में है इसलिए उनके विधायकों और मंत्रियों पर आक्रमण ज्यादा हो रहे हैं।

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