शुक्रवार, 15 मई 2015
मप्र के मंत्रियों की परफार्मेंस रिपोर्ट से असंतुष्ट शाह ने पूछा सवाल
अकेले शिवराज की छवि से कैसे चलेगा काम
15 मंत्रियों परफार्मेंस रिपोर्ट तलब की शाह ने
विनोद उपाध्याय
भोपाल। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह शिवराज सरकार के 15 मंत्रियों से नाराज हैं। नाराजगी की वजह है इन मंत्रियों द्वारा संगठन के दिशा निर्देशों के अनुसार काम नहीं करना। राजधानी में 10 मई को आयोजित महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक और सुशासन संकल्प सम्मेलन में शामिल होने आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शाम को प्रदेश सरकार के मंत्रियों की जमकर क्लास ली। शाह ने मंत्रियों से सख्त लहजे में कहा कि आप लोगों की परफार्मेंस रिपोर्ट से संगठन संतुष्ट नहीं है। आप लोग न तो अपने क्षेत्र का दौरा करते हैं और न ही प्रभार वाले जिलों का। ऐसे में अकेले शिवराज सिंह चौहान की छवि से कैसे काम चलेगा?
उल्लेखनीय है कि मप्र के मंत्रियों की परफार्मेंस रिपोर्ट से प्रदेश संगठन भी संतुष्ट नहीं दिखा है। अब राष्ट्रीय संगठन ने भी मंत्रियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर दिया है। रविवार को दिल्ली रवाना होने से पहले शाह ने सीएम हाउस में शिवराज कैबिनेट के मंत्रियों की जमकर क्लास भी ली। उन्होंने कहा कि कई मंत्रियों का फीडबैक और परफार्मेंस ठीक नहीं है, उनके नाम मैं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को बता चुका हूं। शाह ने मंत्रियों को प्रभार के जिलों में लगातार जाने, संगठन के साथ बेहतर तालमेल और सक्रियता दिखाने की नसीहत भी दे दी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय संगठन के पास जो रिपोर्ट है, उसके अनुसार अभी तक प्रदेश में भाजपा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और संगठन के पदाधिकारियों के दम पर अच्छा परफार्मेंस करती आ रही है। इसलिए उचित होगा कि आप लोग निरंतर सक्रिय रहें और जनता के बीच अधिक से अधिक समय गुजारें। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आप लोगों की पल-पल की रिपोर्ट मेरे पास है।
संगठन से बनाए रखें तालमेल
मंत्रियों के साथ होने वाली बैठक में करीब सवा घंटे की देरी से पहुंचे शाह ने शिकायती अंदाज से सभी का अभिवादन स्वीकार किया, फिर उन्होंने मंत्रियों की जमकर क्लास ली। उन्होंने कहा कि मुझे फीडबैक मिल रहा है कि आप लोग अपने प्रभार वाले जिलों का दौरा नहीं कर रहे हैं। इससे कांग्रेस मुक्त देश का जो संकल्प प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिया है, वह कमजोर पड़ रहा है। इसलिए आप लोग संगठन के साथ तालमेल बनाकर काम करें। उन्होंने कहा कि आप लोगों में से कई मंत्रियों का संगठन से तालमेल नहीं बैठ रहा है। इसकी खबर मुझे बराबर मिल रही है। आप लोग प्रभार वाले जिलों में सक्रियता बढ़ाएं, सबसे मिलें। वहां संगठन के नेताओं से भी मेलजोल रखें। उनके साथ मीटिंग करें, यदि जिले में रुकना पड़े तो रुक भी जाएं। हारी हुई सीटों का विशेष ध्यान रखें। हम भले ही लगातार जीत रहे हों, लेकिन जनता से संपर्क निरंतर जारी रखें। उन्होंने बातचीत में संकेत दिए कि प्रदेश के कार्यकर्ता मेरे पास आकर बताते हैं कि प्रभारी मंत्री उनसे नहीं मिलते। इसलिए कोशिश करें कि जब जिलों में जाएं और अफसरों की बैठक लें तो कार्यकर्ताओं की भी अलग से एक बैठक होनी चाहिए। साथ ही आसपास की हारी हुई लोकसभा या विधानसभा में भी अभी से मेहनत करें।
गुड गवर्नेंस पर जोर दें
शाह ने कहा कि प्रदेश के बाहर अगर किसी की बात होती है, तो वह हैं शिवराजसिंह चौहान। इसलिए आप लोग भी अपनी छवि ऐसी बनाएं, ताकि दूसरे प्रदेशों में आपके कार्यों की चर्चा हो। इस अवसर पर उन्होंने मंत्रियों को सुझाव दिया कि दूसरे राज्यों में जाकर वहां गुड गवर्नेंस की अच्छी बातें देखें और उन्हें भी अपने राज्य में लागू करने के प्रयास करें। शाह ने यह भी समझाइश दे डाली कि कामकाज में सुधार दिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य दिन-रात काम कर रहे हैं और साथ ही अपने क्षेत्रों का दौरा भी कर रहे हैं। ऐसे ही आप लोग भी करें। इस अवसर पर उन्होंने उदाहरण के तौर पर संगठन के पदाधिकारियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि हरियाणा, जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा के चुनाव में यहां के पदाधिकारियों ने पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ मेहनत की, जिसका परिणाम है हम वहां ऐतिहासिक जीत हासिल कर सके।
10 दिन जनता के बीच गुजारें आप लोग
आधे घंटे की चर्चा के बाद जाते-जाते शाह ने मंत्रियों को टारगेट भी थमा दिया। उन्होंने कहा कि हाल में तीन योजनाएं केंद्र सरकार ने जारी की हैं। मंत्री 20 से 30 मई तक अभियान के रूप में इन योजनाओं को लें और जनता तक पहुंचाएं। ज्यादा से ज्यादा लोगों को इससे जोड़ें। महासंपर्क के साथ यह भी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आप लोग इन 10 दिनों में जो मेहनत करेंगे, उसका परिणाम हमें आगामी चुनाव में देखने को मिलेगा। इसलिए केंद्र और राज्य की जितनी भी योजनाएं हैं, उनका प्रचार-प्रसार लगातार करते रहें। यह तभी होगा, जब आप लोग जनता के बीच जाने की आदत डालेंगे। जाते-जाते शाह ने मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान से कहा कि वे मंत्रियों की रिपोर्ट केंद्रीय संगठन को भेजें।
बहाना नहीं चलेगा, अब काम करो
शाह ने भोपाल दौरे के दौरान ने केवल मंत्रियों बल्कि पदाधिकारियों को भी निर्देश दे कर गए हैं। उन्होंने सुशासन संकल्प सम्मेलन में पदाधिकारियों से कहा कि दिल्ली से लेकर पंचायत तक अब हमारी सरकार है। कोई बहाना नहीं चलेगा। सभी को काम करना होगा। वक्त अब परिणाम देने का आ गया है। शाह ने जनप्रतिनिधियों से कहा कि पंचायत से लेकर संसद तक शत प्रतिशत व्यवस्था अब बीजेपी के हाथ में है। समस्याओं को हल करने की जिम्मेदारी अब बीजेपी की है। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साल के भीतर विकास का ठोस आधार रखा है। पंचायत, नगर पालिकाओं का ठीक से काम करना जरूरी है वरना लगेगा ही नहीं कि अच्छा काम हो रहा है। संकल्प लें कि ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे पार्टी की छवि को नुकसान हो।
बदले जाएंगे संगठन मंत्री
लंबे समय से एक ही स्थान पर जमे संगठन मंत्रियों के कामों में भाजपा जल्द ही फेरबदल करने जा रही है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यालय समिधा में संघ नेताओं से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हुई लंबी मंत्रणा ने इन संभावनाओं को बल दे दिया है। इस फेरबदल में एक दर्जन संगठन मंत्रियों के संभाग और जिले बदले जा सकते हैं तो आधा दर्जन संगठन मंत्रियों को प्रदेश से बाहर भेजा जा सकता है। दो संगठन मंत्रियों को घर बैठाए जाने की भी खबर है। संघगर्भा भाजपा की बैक बोन माने जाने वाले संगठन मंत्रियों के कामों में दिसम्बर 2011 में अंतिम फेरबदल किया गया था। इसके बाद से पार्टी ने इनके कामों में कोई बड़ा फेरबदल नहीं किया है। संघ से जुडेÞ सूत्रों की माने तो संगठन मंत्रियों के दायित्व के संभाग और जिलों में हर तीन साल में फेरबदल करने की परम्परा रही है पर प्रदेश में लगातार हो रहे चुनावों के कारण यह मामला लंबे समय से टलता रहा है। 10 मई को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, संगठन महामंत्री रामलाल और प्रदेश संगठन महामंत्री अरविंद मेनन के साथ संघ कार्यालय में हुई एक घंटे की मंत्रणा संगठन मंत्रियों के कामकाज पर ही केन्द्रित रही। इस मामले में संघ के उप प्रमुख कृष्ण गोपाल और क्षेत्र प्रचारक अरूण जैन के साथ चर्चा के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। संघ के सूत्रों की माने तो फेरबदल इसी महीने हो सकता है।
संगठन मंत्रियों के फेरबदल में परफार्मेन्स के अलावा शिकायतों को भी आधार बनाया जाएगा। संभाग और जिलों में भी संगठन मंत्रियों, सहायकों की कमी को भी पूरा किया जाएगा। गौरतलब है कि मंदसौर, रतलाम, नीमच के संगठन मंत्री बृजेश चौरसिया को संगठन पहले ही कार्यमुक्त कर चुका है। वरिष्ठ संगठन मंत्री सीताराम बाथम एक निगम के पदाधिकारी बनने के कारण पहले ही कार्यमुक्त किए जा चुके हैं। ग्वालियर ग्रामीण के संगठन मंत्री अशोक दांतरे भी अब नहीं है। श्योपुर नगरपालिका अध्यक्ष का चुनाव लडऩे वाले छतरपुर-टीकमगढ़ के संगठन मंत्री बिहारी सोलंकी भी कार्यमुक्त हो चुके हैं। वहीं छिंदवाड़ा के संगठन मंत्री हुकुम गुप्ता के खिलाफ संगठन को शिकायतें मिली हैं।
संघ सूत्रों की माने तो इस फेरबदल में मालवा और विंध्य के संगठन मंत्री और सहायकों की भूमिका में बड़ा बदलाव हो सकता है। मालवा के काम देख रहे एक संगठन मंत्री ने खुद संगठन के काम से मुक्त करने का अनुरोध आला नेताओं से किया है। दस सालों से अधिक समय से कई शहरों का काम देख रहे इस संगठन मंत्री की इच्छा अब सक्रिय राजनीति में उतरने की है। वे पूरी तरह भाजपा की चुनावी राजनीति में सक्रिय होना चाहते हैं। वहीं विंध्य्य के एक बड़े जिले के संगठन मंत्री के खिलाफ वहां के विधायकों ने ही शिकायत की है। सिंगरौली में संगठन सहायक के तौर पर काम कर रहे सत्यनारायण सोनी के काम में बढ़ोतरी की जा सकती है। उन्हें किसी बड़े जिले में भेजने की चर्चा है। इसी तरह सागर के संगठन मंत्री दिनेश शर्मा को भी यहां से बदला जा सकता है। उनकी जगह एक पुराने संगठन मंत्री को यहां लाने की चर्चा है। पार्टी में अभी संगठन महामंत्री अरविंद मेनन, प्रदेश कार्यालय प्रभारी गोविंद आर्य और प्रदेश कार्यालय मंत्री सत्येन्द्र भूषण सिंह को मिलकार कुल 32 संगठन मंत्री हैं।
मंत्री बोले ट्रेनिंग चाहिए
मध्य प्रदेश शिवराज सरकार में साढ़े ग्यारह साल सरकार में रहने के बाद अब सरकार के मंत्रियों को ट्रेनिंग की जरुरत महसूस हो रही है। सरकार के सीनियर कैबिनेट मिनिस्टर सरताज सिंह ने ये बहस छेड़ी तो दूसरे दिग्गज मंत्री भी इस प्रस्ताव के समर्थन में नजर आ रहे हैं। एकाएक इस तरह की बात उठने से ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या सरकार में सबकुछ ठीक चल रहा है या फिर मंत्री भी नौकरशाही के पचड़े में फंसकर असहाय हो रहे हैं।
प्रदेश सरकार के लोक निर्माण मंत्री सरताज सिंह ने एक नई बहस छेड़ दी है। उनका कहना है कि मंत्रियों को भी सरकारी कामकाज निपटाने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। इस तरह की ट्रेनिंग भाजपा की केंद्रीय समिति सभी सांसदों के निजी स्टॉफ को दे रही है। सरताज सिंह की दलील है कि मंत्री भी आईएएस की तरह है, जिसे कोई भी विभाग दे दिया जाता है। इसलिए केवल निजी स्टॉफ को ही नहीं बल्कि मंत्रियों को भी ट्रेनिंग मिलना चाहिए। सरताज जैसे ज़मीन से जुड़े दिग्गज नेता का ये बयान काफी मायने रखता है। क्योंकि वे ना केवल भाजपा में बल्कि सरकार के लिए भी काफी सीनियर हैं। वे 1998 में अटलजी की 13 दिन की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए थे। तब वे होशंगाबाद से छठी बार के सांसद निर्वाचित हुए थे। इसके बाद वे सरकार की पिछली दो पारियों से मंत्री की भूमिका निभा रहे हैं। सरताज का ये बयान से संकेत देता है कि नौकरशाही या लालफीताशाही शायद सरकार में ज्यादा हावी है जो मंत्रियों के काम में रोड़े अटका रही है। नियम-कायदों में उलझाने वाली बाबूशाही से निपटना आसान नहीं है। इनसे काम लेने के लिए पूरी ट्रेनिंग ज़रुरी है। शिवराज कैबिनेट के दूसरे मंत्री भी सरताज के बयान के साथ खड़े नजऱ आते हैं। इससे ये संकेत पुख्ता होते हैं।
कांग्रेस को सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका मिल गया है। उसका कहना है कि सरकार के कई मंत्री कामकाज नहीं जानते हैं। इसलिए ये गफलत हो रही है। बहरहाल, सरताज का ये बयान सरकार के अंदर की कहानी और मंत्रियों की काम ना कर पाने का दर्द बयां करता है। सीनियर मंत्रियों के ये बयान ज़ाहिर करता है कि सरकारी नियम कायदे या नौकरशाही उनकी इच्छाओं में रोड़े अटका रही है। 11 साल बाद ये दर्द बाहर आ रहा है तो ये भी साफ है कि मंत्रियों के हाथ बंधे हुए हैं और सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा।
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